राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General of State)

भारतीय संविधान के अनु०- 165 के अंतर्गत राज्य के  महाधिवक्ता पद की व्यवस्था की गयी है जो राज्य का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है, तथा राज्य सरकार को विधि संबंधी सलाह देता है |

नियुक्ति

राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General of State) की नियुक्ति मंत्रीपरिषद की सलाह पर राज्यपाल द्वारा की जाती  है तथा   उसे किसी भी समय राज्यपाल द्वारा हटाया  जा सकता है अत: वह राज्यपाल के प्रसाद पर्यंत अपने पद पर बना  रहता है | महाधिवक्ता (Advocate General) के वेतन भत्ते , कार्यकाल व आदि चीजे राज्यपाल द्वारा निर्धारित की जाती है | इसके कार्यालय (Office) का संविधान में उल्लेख नहीं है |

योग्यता  

महान्यायवादी के लिए निम्न योग्यताओं का होना आवश्यक है —

  • भारत का नागरिक हो |
  • उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता रखता हो [अर्थात् अधीनस्थ न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में 10 वर्ष या उच्च न्यायालय में   10 वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो ]

कार्य

महाधिवक्ता राज्य  का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है जिसके निम्नलिखित कर्तव्य है —

  • राज्य सरकार को विधिक मामलों पर सलाह देना जो राज्यपाल  द्वारा दिए गए है |
  • विधिक रूप से ऐसे सभी कर्तव्यों का पालन जो राज्यपाल द्वारा दिए गए है |
  • संविधान या अन्य किसी विधि द्वारा प्रदान किए गए कर्तव्यों का निर्वहन करना |
  • राज्य सरकार से संबंधित मामलों को लेकर उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की और से पेश करना |

अधिकार 

  • महाधिवक्ता (Advocate General) को राज्य  के किसी भी राज्यक्षेत्र में किसी भी अदालत में सुनवाई का अधिकार है |
  • महाधिवक्ता (Advocate General) को विधानमंडल की किसी भी कार्यवाही में सम्मिलित होने व अपने विचार रखने का अधिकार प्राप्त है किंतु मत देने का अधिकार प्राप्त नहीं है |

सीमाएँ (Limitations)

  • किसी मामले में राज्य सरकार  के विरुद्ध  किसी व्यक्ति को कोई सलाह नहीं दे सकता है |
  • अपराधिक मामलों में बिना भारत सरकार की अनुमति के किसी व्यक्ति का बचाव नहीं कर सकता है |
  • वह उन विषयों में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता जिन मामलों में उसे राज्य सरकार की ओर से पेश होना है |

महाधिवक्ता राज्य सरकार का कोई नियमित नौकरशाह नहीं है उसे आवश्यकतानुसार राज्य  सरकार द्वारा बुलाया जाता है , अत: वह न्यायालयों में अपनी निजी वकालत जारी रख सकता है |

7 Comments

  1. यदि राज्यपाल की पद पर रहते हुए मृत्यु हो जाती है तो उसका पद kon संभालता है I

    • यदि राज्यपाल की मृत्यु हो जाए तो उसका पद खाली रह सकता है क्योकि वह राष्ट्रपति के अधीन होता है और उसी के प्रसादपर्यन्त पद पर बना रहता है| राज्यपाल की सारी शक्तियां पुनः राष्ट्रपति में निहित हो जाती है|

    • यदि राज्यपाल की मृत्यु हो जाये तो किसी राज्य के राज्यपाल को उस राज्य का अतितिक्त प्रभार दिया जा सकता है । क्योंकि 2 या 2 से अधिक राज्यों का एक राज्यपाल हो सकता है ।

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