मूल नाम – अली गुरशास्प
उपाधि – सिकंदर-ए-सानी, यामीन-उल-खिलाफत (खलीफा का नाइब)
राज्याभिषेक – 1296 ई. में बलबन के ‘लाल महल’ में
राजत्व सिद्धांत
अमीर खुसरो में अलाउद्दीन के राजत्व सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जो मुख्यतः तीन बातों आधारित था –
- शासक की निरंकुशता
- धर्म और राजनीति का पृथक्करण
- साम्राज्यवाद
अलाउद्दीन के शासनकाल में चार प्रमुख विद्रोह थे
- नव मुस्लिमों का विद्रोह
- अकत खां का विद्रोह
- मंगू खा का विद्रोह
- हाजी मौला का विद्रोह
विद्रोह उन्मूलन के उपाय
विद्रोहों के लिए उत्तरदाई कारणों को जानने के बाद उनके उन्मूलन के लिए अलाउद्दीन ने चार अध्यादेश जारी किए
- धनी व्यक्ति की संपत्ति छीनना
- गुप्तचर विभाग का गठन
- मध्य निषेध को लागू करना
- बिना आज्ञा अमीरों के मेल मिलाप और वैवाहिक संबंधों का प्रतिबंध
मंगोल आक्रमण व अलाउद्दीन की नीति
सल्तनत काल में सर्वाधिक मंगोल आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी के काल में हुए, किन्तु अलाउद्दीन ने मंगोलो के विरुद्ध सफलता प्राप्त की| इन आक्रमणों से निपटने के लिए अलाउद्दीन ने रक्त और तलवार की नीति अपनाई| मंगोलो के विरुद्ध बलबन ने रक्षात्मक रुख करते हुए विस्तारवादी नीति को त्याग दिया था, जबकि अलाउद्दीन ने मंगोल आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करते हुए, विस्तारवादी नीति को जारी रखा|
अलाउद्दीन के आक्रमण
उत्तर भारत अभियान
राज्य |
शासक |
वर्ष |
खिलजी सरदार |
विवरण |
गुजरात |
रायकर्ण (वाघेला राजवंश) |
1298 ई. |
उलूग और नुसरत खां |
गुजरात अभियान के मार्ग में जैसलमेर विजित किया कर्ण भाग गया | |
रणथंभौर |
हम्मीर देव (चौहान वंशीय राजपूत शासक) |
1301 ई. |
उलूग खां और नुसरत खा |
प्रथम आक्रमण में हम्मीर देव ने विफल कर दिया और नुसरत खां मारा गया अब अलाउद्दीन ने स्वयं अपने नेतृत्व में आक्रमण किया जिसमे हम्मीर देव युद्ध में मारा गया | |
चित्तौड़ |
रतन सिंह |
1303 ई. |
अलाउद्दीन खिलजी |
चित्तौड पर अधिकार कर उसका नाम ‘खिज्राबाद’ रखा, इस आक्रमण में राजा रतन सिंह पराजित हुआ और रानी पद्मावती समेत हज़ारो स्त्रियों ने जौहर कर लिया| अलाऊद्दीन ने 1311ई. में चित्तौड़ मालदेव को सौंप दिया | |
मालवा |
महलकदेव |
1305 ई. |
आइन उल मुल्क मुल्तानी |
महलक देव पराजित होकर मांडू भाग गया | |
सिवाना |
शीतलदेव (परमार वंशीय) |
1308 ई. |
कमालुद्दीन कुर्ग |
– |
जालौर |
कान्हदेव (कृष्णदेव) |
1311 ई. |
कमालुद्दीन कुर्ग |
– |
देवगिरी |
रामचंद्र देव (यादव शासक) |
1296 ई. |
अलाउद्दीन खिलजी |
रामचंद्र देव ने एलिचपुर प्रांत की आय देने का वादा किया | |
देवगिरी |
रामचंद्र देव |
1307 ई. |
मलिक काफूर |
रामचंद्र ने कर देना बंद कर दिया था अतः अलाउद्दीन के पुनः आक्रमण करने पर उसने समर्पण कर दिया | |
वारंगल |
प्रताप रुद्र देव (काकतीय शासक) |
1309 ई. |
मलिक काफूर |
इस आक्रमण में देवगिरी के शासक रामचंद्र देव ने मालिक काफ़ूर को सहायता प्रदान की तथा मालिक काफूर तेलंगाना यहाँ के शासक की सोने की मूर्ति और कोहिनूर हीरा तथा भारी मात्रा में लूट का माल लेकर लौटा| |
द्वारसमुद्र |
वीर बल्लाल- III (होयसल वंश) |
1310 ई. |
मलिक काफूर |
— |
पांडय |
वीर पांडय |
1311 ई. |
मलिक काफूर |
पांडय राज्य के उत्तराधिकार के युद्ध में मालिक काफूर ने सुंदर पाण्ड्य का समर्थन किया| | |
देवगिरी |
शंकरदेव (सिंघण II) |
1313 ई. |
मलिक काफूर |
इस युद्ध में शंकरदेव पराजित हुआ और मारा गया| |
मृत्यु
अपने अंतिम दिनों में अलाउद्दीन खिलजी एक आसाध्य रोग से ग्रसित होकर जनवरी 1316 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी |
Note:
- विंध्याचल पर्वत पार कर आक्रमण करने वाला प्रथम तुर्क विजेता अलाउद्दीन खिलजी था|