कृषि विज्ञान (agricultural science) की वह शाखा, जिसके अंतर्गत पालतू पशुओं के स्वास्थ्य, आश्रय, प्रजनन आदि का अध्ययन किया जाता है। उसे पशुपालन (Animal husbandry) कहा जाता है।
पशुपालन का इतिहास
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 1950-51 में भारत में दुग्ध उत्पादन 17 मिलियन टन था, जो प्रति व्यक्ति 124 ग्राम था। यह न्यूनतम आवश्यकता 220 ग्राम/व्यक्ति/दिन से कम था।
प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-1956) में पशुओं के विकास हेतु मूल ग्राम योजना (key village scheme) शुरूआत की गयी थी।
वर्ष 1964-65 में सघन पशुविकास कार्यक्रम व कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी।
वर्ष 1970 में राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड व भारतीय डेरी निगम की स्थापना की गयी थी।
वर्ष 1970 में भारतीय डेरी निगम (Dairy Corporation of India) की स्थापना का मुख्य उद्देश्य श्वेत क्रांति (Operation Flood Scheme) को सफल बनाना था। यह योजना भारत में 3 चरणों में लागू की गयी थी –
- 1970 से 1978
- 1978 से 1985
- 1985 से 1995
इस योजना के फलस्वरूप भारत में दुग्ध उत्पादन में वृधि हुई।
वर्ष 1889 में अंग्रेजों द्वारा प्रयागराज (इलाहाबाद) में प्रथम मिलिट्री डेयरी फार्म (Military dairy farm) की स्थापना की गयी थी। वर्तमान में भारत में 7 केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म (central animal breeding farms) है:
- सूरतगढ़ (राजस्थान)
- चिपलीमा और सुनबेड़ा (ओड़िशा)
- घमरोड (गुजरात)
- हैसरघट्टा (कर्नाटक)
- अल्माडी (तमिलनाडु)
- अंदेशनगर (उत्तर प्रदेश)
विदेशी सहायता से भी देश में बहुत से पशु विकास कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी:
- इंडो-स्विस परियोजना (1961)
- इंडो-जर्मन परियोजना (1974-75)
- इंडो-ऑस्ट्रेलियन परियोजना (1974-75)
इन प्रयासों के फलस्वरूप ही वर्ष 1998 भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बना।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (National Gokul Mission)
28 जुलाई 2014 में केंद्र सरकार द्वारा देशी गायों के संरक्षण व विकास के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन (National Gokul Mission) की शुरुआत की गयी थी।
इस योजना का क्रियान्यवन राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम (NPBBDD) द्वारा किया जाता है।
उद्देश्य
- स्वदेशी नस्ल की गायों का विकास एवं संरक्षण।
- स्वदेशी नस्ल के पशुओं की नस्ल में सुधार।
- पशुओं की संख्या में वृधि करना।
- यह परियोजना राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम का हिस्सा है।
- दुग्ध उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिए।