- वैज्ञानिक नाम: एपिस (Apis)
- उम्र: 122 – 152 दिन
“एपिकल्चर (Apiculture), मधुमक्खी पालन की एक वैज्ञानिक विधि है। ”
‘एपिकल्चर (Apiculture)’ शब्द का उद्भव लैटिन भाषा के शब्द ‘एपिस (apis)’ से हुआ है जिसका अर्थ मधुमक्खी होता है।
मधुमक्खियाँ एक सामाजिक कीट होती है, जिनके परिवार में एक रानी मक्खी, 100-200 नर तथा कई हजार श्रमिक होते है।
रानी मधुमक्खी:
- यह एक पूर्ण विकसित मादा मक्खी एवं परिवार की जननी होती है।
- अनुकूल वातावरण में इटैलियन प्रजाति की रानी मधुमक्खी एक दिन में लगभग 1500–1600 अंडे देती है, जबकि देशी प्रजाति की रानी मधुमक्खी लगभग 600–1000 अंडे देती है। रानी
- रानी मधुमक्खी की औसतन उम्र लगभग 2-3 वर्ष होती है।
श्रमिक
- यह अपूर्ण मादा मधुमक्खी होती है, जिसका कार्य अण्डों व बच्चों का पालन पोषण करना, पराग एवं रस एकत्र करना, परिवार तथा छतो की देखभाल, शत्रुओं से रक्षा करना इत्यादि।
- श्रमिक मधुमक्खी की उम्र लगभग 2-3 महीने होती है।
नर मधुमक्खी (निखट्टू)
- यह रानी मधुमक्खी के साथ संभोग के अतिरिक्त कोई कार्य नही करती, किंतु संभोग के तुरंत बाद नर मधुमक्खी की मृत्यु हो जाती है।
- नर मधुमक्खी की औसत आयु लगभग 60 दिन की होती है।
मधुमक्खी की भाषा की खोज के लिए प्रो. कार्ल वॉन फ्रिश (Karl von Frisch) को नोबेल पुरूस्कार प्रदान किया गया। मधुमक्खी की भाषा को “मधुमक्खी के नाच” के नाम से भी जाना जाता है।
रानी मधुमक्खी के शरीर से स्रावित होने वाले अल्फा कीटोग्लूटैरिक अम्ल (Alpha insectoglutaric acid) से श्रमिक मक्खियाँ नपुंसक (Impotent) हो जाती है।
मधु का संगठन
- शहद (honey) में शर्करा (ग्लूकोज़ व फ्रुक्टोज़) की मात्रा लगभग 78% होती है।
- मधु (Honey) में जल की मात्रा लगभग 17% होती है।
- शहद (honey) में खनिज एवं एंजाइम की मात्रा लगभग 5% होती है।
मधुमक्खियों की प्रजातियाँ
भारत में मधुमक्खी की मुख्यत: चार प्रजातियाँ पाई जाती है:
- छोटी मधुमक्खी (Apis florea),
- भैंरो या पहाड़ी मधुमक्खी (Apis dorsata),
- देशी मधुमक्खी (Apis sirana indica)
- इटैलियन मधुमक्खी (Apis mellifera)