आर्य समाज एक हिन्दू सुधारवादी था आन्दोलन है जिसकी स्थापना वर्ष 1875 में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने की थी। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना स्वामी विरजानन्द की प्रेरणा से की थी।
उद्देश्य — प्राचीन वैदिक धर्म की शुद्ध रूप से पुन:स्थापना करना था।
आर्य समाज के 10 प्रमुख सिद्धांत
वेद ही ज्ञान के स्रोत हैं, इसलिए वेदो का अध्ययन करना आवश्यक है –
- वेदों के आधार पर मंत्रो का उच्चारण करना।
- मूर्ति पूजा का खंडन।
- तीर्थ यात्रा और अवतारवाद का विरोध।
- कर्म पुनर्जन्म एवं आत्मा के पुनर्जन्म लेने पर विश्वास।
- एक ईश्वर में विश्वास जो निरंकारी है।
- स्त्रियों की शिक्षा को प्रोत्साहन।
- बाल विवाह और बहु विवाह का विरोध।
- कुछ विशेष परिस्थितियों में विधवा विवाह का समर्थन।
- हिंदी एवं संस्कृत भाषा के प्रसार को प्रोत्साहन।