बासवा जयंती (Basava Jayanthi)

प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को वैश्विक रूप से बासवा जयंती के रूप में मनाया जाता।

  • बसवा जयंती 12 वीं शताब्दी के दार्शनिक और समाज सुधारक विश्वगुरु बसवेश्वरा के जन्म के सम्मान में मनाया जाता है , इन्होने मानव जाति को एक अद्वितीय आध्यात्मिक पथ प्रदान किया।

बसवेश्वरा का जन्म 1131 ई. में बागेवाड़ी (अविभाजित कर्नाटक के बीजापुर जिले) में हुआ था। बसवेश्वरा, लिंगायत संप्रदाय (Lingayat sect) के संस्थापक संत हैं।
उनका आध्यात्मिक अनुशासन अरिवु (सत्य ज्ञान), अचरा (सही आचरण), और अनुभव (ईश्वरीय अनुभव) के सिद्धांतों पर आधारित था और जिसने 12 वीं शताब्दी में सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक क्रांति को जन्म दिया।
यह पथ लिंगंगयोग (परमात्मा से मिलन) के समग्र दृष्टिकोण की वकालत करता है, तथा व्यापक अनुशासन भक्ति (devotion), ज्ञान (knowledge), और क्रिया (action) को अच्छी तरह से संतुलित करता है।
कलचुरी राजा, बिज्जला (1157-1167, ई.) द्वारा प्रारंभिक अवस्था में बसवेश्वरा को अपना कणिका (लेखाकार) तथा बाद में अपने प्रधानमंत्री के रूप में एक नियुक्त किया।
बसवेश्वरा ने परम्परावादी समाज की सभी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत कि और विभिन्न पहलुओं में व्यापक बदलाव किया।
उनके कल्याणकारी राज्य की स्थापना के उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण और कार्य ने वर्ग, जाति, पंथ और लिंग के बावजूद, समाज के सभी नागरिकों के लिए एक नई स्थिति को उत्पन्न किया।

अनुभाव मंतपा (Anubhava Mantapa)

  • बसवेश्वरा द्वारा अनुभाव मंतपा (Anubhava Mantapa) की स्थापना की गयी, जो सभी के लिए सामाजिक और आर्थिक सिद्धांतों के साथ-साथ धार्मिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों सहित सामाजिक समस्याओं की मौजूदा समस्याओं पर चर्चा करने के लिए एक सामान्य मंच था।
  • यह भारत की पहली और सबसे महत्वपूर्ण संसद थी, जहाँ कल्याणकारी समाज के नागरिक (शरण) एक साथ बैठे और लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना के समाजवादी सिद्धांतों पर चर्चा की जाती थी।
  • शरणों (Sharanas) की सभी चर्चाओं को वचनाओं (Vachanas) के रूप में लिखा गया था। वचना (Vachanas) सरल कन्नड़ भाषा में लिखा गया एक नवीन साहित्यिक रूप था।

बसवेश्वरा द्वारा दिए गए दो महत्वपूर्ण और सामाजिक-आर्थिक सिद्धांत निम्नलिखित है –
1. कायाका (ईश्वरीय कार्य)

इसके अनुसार, समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद का काम करना चाहिए और इसे पूरी ईमानदारी के साथ करना चाहिए।

2. दसोहा (समान वितरण) –

  • समान कार्य के लिए समान आय।
  • कायका जीवी अपनी मेहनत की कमाई से अपने वर्तमान जीवन का नेतृत्व कर सकते हैं। किंतु उसे अपने भविष्य के लिए धन या संपत्ति को संरक्षित नहीं करना चाहिए। उसे अपने समाज और गरीबों के लिए अधिशेष धन का उपयोग करना चाहिए।

14 नवंबर 2015 को, भारतीय प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) द्वारा लंदन के लैम्बेथ में टेम्स नदी (Thames River) के किनारे बसवेश्वरा (Basaveshwara) की मूर्ति का उद्घाटन किया गया।

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