रूधिर समूह (Blood Group) की खोज K. Landsteiner ने 1900-1902 में की। मानव रक्त को A,B,O रक्त वर्ग समूह (ABO blood grouping system) द्वारा A, B, AB एवं O चार वर्गों में विभाजित किया गया हैं। लाल रक्त कोशिकाओं (Red blood cells) की सतह पर पाये जाने वाले दो भिन्न ग्लाइकोप्रोटीन्स (एन्टीजन) जिन्हें एल्यूटिनजन्स (Aluintinas) कहते हैं, की उपस्थिति या अनुपस्थिति के अनुसार रक्त वर्गों का नाम दिया जाता है। एग्ल्यूटिनोजन्स A तथा B दो प्रकार के होते हैं। यदि A एल्यूटिनोज उपस्थित है तो रक्त वर्ग को ‘A’ वर्ग, यदि B है तो ‘B’ वर्ग, यदि A और B दोनों उपस्थित हैं तो AB वर्ग तथा यदि कोई भी एग्ल्यूटिनोजन नहीं है तो रक्त वर्ग को ‘0’ | वर्ग कहा जाता है। रक्त प्लाज्मा में प्राकृतिक एन्टीबॉडीज (antibodies) मौजूद रहते हैं। इन्हें एग्ल्यूटिनिनेस (agglutinines) कहा जाता है और ये असंगत रक्त वर्गों का मिलान होने पर लाल रक्त कोशिकाओं को समूहन (Agglutination) कर देते हैं। |
रीसस फैक्टर (Rh Factor)
लगभग 85% व्यक्तियों के रक्त में ABO वर्ग के अलावा एक अतिरिक्त फैक्टर मौजूद रहता हैं। यह एक एल्युटिनोजन हो। हैं जिसे रीसस फैक्टर (Rh-factor) कहते है। जिन व्यक्तियों में यह फैक्टर रहता है उन्हें रीसस पॉजिटिव (Rh+) कहते हैं तथा बाकी 15% को रीसस नेगेटिव (Rh-) कहते हैं। यदि Rh नेगेटिव (Rh-) व्यक्ति को Rh पॉजिटिव (Rh+) व्यक्ति का रक्त चढ़ाया जाता है तो उसमें एन्टीबॉडी पैदा हो जाती है। यदि बाद में Rh पॉजिटिव (Rh+) रक्त को दोबारा उसी व्यक्ति में चढ़ाया (blood transfusion) जाता है तो इस दिये हुए रक्त की कोशिकाएं एकत्रित होकर नष्ट या हीमोलाइङ (haemolysed) हो जाती हैं और रोगी (प्राप्तकर्ता) की हालत खराब हो जाती है। जिसकी वजह से उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
रक्त वर्ग (Blood Groups)
मानव रक्त को A,B,O रक्त वर्ग समूह (ABO blood grouping system) द्वारा A, B, AB एवं O चार वर्गों में विभाजित किया गया हैं।
- AB Blood Group: Universal Acceptor सर्वग्राही
- O Blood Group: Universal Donor सर्वदाता होता है।
समूह ‘A’- इसमें एंटीजन (Antigen) A और एंटीबॉडी (Antibody) B पाये जाते हैं। समूह ‘B’- इसमें एंटीजन (Antigen) B और एंटीबॉडी (Antibody) A पाये जाते हैं। समूह ‘AB’- इसमें एंटीजन (Antigen) A और B दोनों पाये जाते हैं और कोई एंटीबॉडी (Antibody) नहीं होते हैं। समूह ‘O’ इसमें कोई भी एंटीजन (Antigen) नहीं पाया जाता और A तथा B एंटीबॉडी (Antibody) पाये जाते हैं।
इनमें रक्त समूह ‘A’ रक्त समूह A और O से रक्त ले सकता है तथा A और AB रक्त समूह के व्यक्ति को रक्त दे सकता है। रक्त समूह ‘B’ वाला व्यक्ति रक्त समूह B और O से रक्त ले सकता है तथा B और AB को रक्त दे सकता है। रक्त समूह AB किसी भी रक्त समूह के व्यक्ति से रक्त ले सकता है तथा केवल AB रक्त समूह वाले व्यक्ति को दे सकता है। रक्त समूह ‘0’ में कोई एंटीजन (Antigen) नहीं पाया जाता, परन्तु एंटीबॉडी (Antibody) A तथा B दोनों पाया जाता है, इसलिए रक्त समूह O का व्यक्ति सिर्फ O समूह से रक्त ले सकता है तथा सभी रक्त समूह को दे सकता है। अर्थात् ‘AB’ सर्वग्राही (Univeral Acceptor) तथा ‘O’ सर्व दाता (Universal Donor) है।