उत्तराखंड – पंवार वंश से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 1)

887 ई. में मालवा के राजकुमार कनकपाल बद्रीनाथ की तीर्थ यात्रा पर आए थे। इस समय चांदपुरगढ़ का सबसे शक्तिशाली राजा भानुप्रताप था। भानुप्रताप ने अपनी विवाह का विवाह कनकपाल से कर दिया। गढ़वाल के पंवार वंश या परमार वंश का संस्थापक कौन था – कनकपाल (888-898) पंवार वंश की…

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पौरव वंश से संबंधित प्रमुख तथ्य

राजा जिस स्थान पर अपने परिवार के साथ रहता था उस स्थान को पौरव शासनकाल में कोट कहा जाता था। पौरव वंश के शासनकाल में सेना तीन भागों में विभाजित होती थी – गज (गजपति), अश्व (अश्वपति), पैदल (जयनपति) इस काल में भूमि कर को भाग जाता था, जो उपज…

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उत्तराखंड में प्रमुख व्यक्तियों के नाम एवं उपनाम

उपनाम मूल नाम दैवेज्ञ मुकुन्द राम बड़थ्वाल चारण शिव प्रसाद डबराल गिर्दा गिरीश तिवाड़ी कुमाऊँ की लक्ष्मीबाई जियारानी गढ़वाल की ‘झंसी की रानी’ तीलू रौतेली टिंचरी माई ठगुली देवी शिवानी गौरापंत सतपाल महराज सतपाल सिंह रावत उत्तराखण्ड का गांधी इन्द्रमणि बडोनी उत्तराखण्ड का वृक्ष मानव विशेश्वर दत्त सकलानी काली कुमाऊँ…

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उत्तराखंड आद्य ऐतिहासिक काल के प्रमुख लेख

अशोक का कालसी अभिलेख यमुना और टोंस नदी के संगम पर कालसी नामक एक छोटा सा क़स्बा है, जिसका प्राचीन नाम “खलतिका” था, और कही-कहीं इसका नाम “कालकूट” व “युगशैल” भी मिलता है।  देहरादून में अमलावा नदी और यमुना नदी के संगम पर 257 ई.पू. में लिखित अशोक का कालसी अभिलेख  स्थित है।  अशोक…

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पंवार वंश से संबंधित प्रमुख शब्दावलियां

शब्द परिभाषा टीका पंवार (परमार) वंश में युवराज को टीका कहा जाता था। रजबार राजा को रजबार कहा जाता था। नरेश यह राज्य का सर्वोच्च अधिकारी होता था। मुखतार यह राज्य का सर्वोच मन्त्री होता था। थोकदार यह परगना का प्रशासक होता था। पट्टी यह परगना की सबसे छोटी इकाई…

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उत्तराखंड से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part – 2)

झिलमिल आरक्षिति किस जिले में स्थित है – हरिद्वार (Haridwar) झिलमिल ताल किस जिले में स्थित है – चम्पावत (Champawat) किसान चैनल की शुरूआत कब की गई थी – 21 जनवरी 2004  राज्य में क्रमशः सबसे कम व अधिक कृषि योग्य भूमि जिले में स्थित है – रुद्रप्रयाग (उधमसिंह नगर) श्यामशाह के…

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उत्तराखण्ड के आदि निवासी

प्रसिद्ध पाश्चात्य विद्वान ग्रियर्सन के अनुसार किरात गढ़वाल एवं कुमाऊं के आदि निवासी थे। प्राचीन ग्रंथो में गंगा, माता दुर्गा एवं पार्वती को भी किराती नाम से संबोधित किया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में गंगा को घाटियों के निवासी किरात वंशीय कहलाते थे। चौथी सदी ई.पू. में यूनानी राजदूत मेगस्थनीज…

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गढ़वाल मण्डल (केदारखण्ड)

गढ़वाल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग मोलाराम ने किया था। महाभारत एवं पुराणों में गढ़वाल क्षेत्र के लिए बद्रीकाश्रम, तपोभूमि स्वर्गभूमि एवं केदारखण्ड आदि नामों का प्रयोग किया गया है। व्यास जी द्वारा बद्रीकाश्रम में षष्टिलक्ष संहिता की रचना की गयी। षष्टिलक्ष संहिता ग्रंथों में देवप्रयाग को समस्त तीर्थों का शिरोमणि…

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कुमाऊँ मण्डल (मानसखण्ड)

कुर्मांचल एक संस्कृत शब्द है आगे चलकर इसे प्राकृत में कुंमु और हिंदी में कुमाऊं कहा जाने लगा। कुमाऊं का सर्वाधिक उल्लेख स्कन्द पुराण के मानसखण्ड में मिलता है। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार चम्पावत में (चम्पावत नदी के पूर्व) स्थित कच्छप (कछुवे) के पीठ की आकृति वाले कांतेश्वर पर्वत, वर्तमान नाम कांडा…

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उत्तराखंड से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part – 1)

ब्रिटिश शासनकाल में कुमाऊं क्षेत्र में कुल परगने व पट्टियों थी – 19 व 125  ब्रिटिश शासनकाल में गढ़वाल क्षेत्र में कुल परगने व पट्टियां थी – 11 व 86  उत्तराखंड में कुल विकासखण्डों (ब्लाकों) की संख्या कितनी है –  95  उत्तराखंड में सर्वाधिक विकासखण्डों वाला जिला कौन सा है…

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