हाल ही में, तुर्की के राष्ट्रपति (रजब तैयब अरदगान) ने चोरा संग्रहालय (Chora museum) को एक मस्जिद में बदलने का निर्णय लिया है।
चोरा संग्रहालय (Chora museum)
वर्ष 534 ई. में इस चर्च का निर्माण बीजान्टिन काल (Byzantine period) में किया गया था, किन्तु वर्तमान में यह एक संग्राहलय (museum) है।
11 वीं शताब्दी में, इस चर्च की आंतरिक दीवारों, स्तंभ, और गुंबद को मोज़ाइक (mosaics) और भित्तिचित्रों (frescoes) से ढक दिए गए, क्योकि यह बाइबिल की कहानियों से संबंधित दृश्य दिखाते थे।
वर्ष 1453 में ओटोमन्स साम्रज्य द्वारा रोमन साम्राज्य की राजधानी कॉन्स्टेंटिनोपल (Constantinople) पर विजय के बाद चोरा चर्च (Chora Church) को जब्त कर लिया गया और वर्ष 1511 में इसे एक मस्जिद (mosque) में बदल दिया गया।
वर्ष 1945 में, इसे एक संग्रहालय (museum) में बदल दिया गया था।
Chora को तुर्की में Kariye भी कहा जाता है, जो मध्यकाल में एक पवित्र चर्च के रूप में प्रसिद्ध था।
कारण
पुनर्निर्माण को तुर्की के राष्ट्रपति समर्थकजहां वह तुर्की के ओटोमन इतिहास और पश्चिमी विचारों और प्रभावों पर घरेलू उपलब्धियों पर जोर देता है।
प्रो-इस्लामिक नीतियों को अपनाकर तुर्की के राष्ट्रपति (रजब तैयब अरदगान) का उद्देश्य मुस्लिम देशों का सर्वोच्च नेता बनना है।
- तुर्की के राष्ट्रपति ने मुस्लिम देशों के मध्य अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए विशेष रूप से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया है और भारत विरोधी भाषण भी दिए है।
इसे संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) द्वारा यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के लिए एक विरोध के रूप में भी देखा जा सकता है।
- यरुशलम (Jerusalem) में अरब-मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी निवास करती है। तुर्की के राष्ट्रपति द्वारा संग्रहालयों को फिर से मस्जिद में बदलने पर अरब देशों का समर्थन भी हासिल होगा।