बिहार में उच्च न्यायालय की संवैधानिक स्थिति

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214 के अंतर्गत प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है, किंतु दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय, अथवा बड़ी जनसंख्या वाले राज्य के लिए एक से अधिक उच्च न्यायालय की व्यवस्था का अधिकार भारतीय संसद् को प्राप्त है। राज्य में न्यायापालिका के शीर्ष पर उच्च न्यायालय है, जिसके नीचे जिला एवं सेशन न्यायाधीश का न्यायालय, सिविल और सेशन न्यायालय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट, मुंसिफ और अन्य मजिस्ट्रेट आते हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। देश में न्यायाधीशों सर्वाधिक संख्या इलाहाबाद उन न्यायालय के 160 स्वीकृत पद  है। बिहार में उच्च न्यायालय की स्थापना 3 फरवरी, 1916 को पटना में की गई।

उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए योग्यताएँ 

  •  वह भारत का नागरिक हो।
  •  कम-से-कम दस वर्षों तक भारत में न्यायिक पद पर रह चुका हो
  •  किसी राज्य के उच्च न्यायालय में कम-से-कम दस वर्ष तक अधिवक्ता के रूप में कार्य कर चुका हो।
  •  62 वर्ष की आयु से कम हो।
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन तथा भत्ते राज्य की संचित निधि से दिए जाते हैं।

उच्च न्यायालय के न्यायधीशों को हटाने की प्रक्रिया 

उच्च न्यायालय के न्यायधीशों को किसी भी सदन में कदाचार अथवा असमर्थता के आरोप पर महाभियोग लाकर एवं उसे दोनों सदन में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई (2/3) बहुमत से पारित करके हटाया जा सकता है।

उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार

अधीनस्थ न्यायालयों के संबंध में विभिन्न उपबंध संविधान के अनुच्छेद 233 से 236 तक उल्लिखित है। संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत मौलिक अधिकार से संबंधित मामलों के लिए सीधे उच्च न्यायालय में जाया जा सकता है। मौलिक अधिकारों से सम्बंधित उच्च न्यायालय को निम्नलिखित लेख जारी करने का अधिकार है-

  • बंदी प्रत्यक्षीकरण आदेश,
  • परमादेश लेख,
  • प्रतिषेध लेख,
  • अधिकार पृच्छा
  • उत्प्रेषण

उच्च न्यायालय के निर्णयों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है, किन्तु इसके लिए संबंधित उच्च न्यायालय की आज्ञा आवश्यक है, इसके अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय किसी भी उच्च न्यायालय के दिए गए आदेश के विरुद्ध स्वेच्छा से अपील ले सकता है। उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालयों की कार्रवाई का विवरण माँग सकता है तथा अधीनस्थ न्यायालय से किसी दूसरे अधीनस्थ न्यायालय में किसी मामलें को स्थानांतरित कर सकता है।

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