भाषा (Language) – भाषा की उत्पत्ति भाष् धातु से हुई है। जिसका अर्थ होता है कहना या बताना अर्थात् अपने भावो या विचारों को प्रकट करना।
भाषा की परिभाषा – अपने मतव्य को सप्रेषित करने का माध्यम भाषा है।
भाषा को मुख्यत: दो भागो विभाजित किया जा सकता है –
- मौखिक भाषा (Spoken language)
- लिखित भाषा (Written language)
मौखिक भाषा को वेदों में श्रुति साहित्य भाषा कहा गया है क्योंकि वैदिक काल में शिक्षा का ज्ञान मौखिक रूप से दिया जाता था जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक दूसरे तक पहुंचता था। इसे ही भाषा का मूल रूप माना गया है।
Note: भाषा के तीन प्रकार भी होते हैं सांकेतिक भाषा मौखिक भाषा लिखित भाषा परंतु भाषा के विकास के क्रम को देखा जाए तो भाषा का विकास वैदिक युग से हुआ है जहां से मौखिक भाषा का उदय हुआ है अतः भाषा के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं।
भाषा का इतिहास
विश्व में 3000 भाषाएं लगभग बोली जाती है जो 13 भाषा परिवारों में वर्गीकृत हैं।
सबसे प्राचीन भाषा ही परिवार भारोपीय भाषा परिवार है जिसकी जननी, संस्कृत भाषा को माना जाता है इसलिए सबसे प्राचीन भाषा भी संस्कृत को ही माना जाता है जिसमें ऋग्वेद की रचना की गई है। भारोपीय भाषा परिवार यूरोप से भारत तक फैला हुआ है इसमें अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू आदि भाषाएं आती है।
भारतीय भाषा परिवार का विकास
जो भाषाएं जो समान गुण प्रदर्शित करती हैं उन्हें एक ही भाषा परिवार में रखा जाता है। भारत में मुख्य 5 भाषा परिवार पाए जाते हैं।
भारोपीय भाषा परिवार– यह भाषा परिवार भारत के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में बहुत अधिक फैला हुआ है इसे हिंद आर्य भाषा परिवार भी कहा जाता है। इसमें मुख्यतः अंग्रेजी हिंदी उर्दू नेपाली कोंकणी मैथली सिंधी आदि भाषाएं आती है। यह सबसे बड़ा भाषा परिवार है।
द्रविड़ भाषा परिवार– यह भाषा परिवार दक्षिण भारत में फैला हुआ। इसकी मुख्य भाषा तमिल है। यह दूसरा सबसे बड़ा भाषा परिवार है। इसमें मुख्य भाषा तमिल कन्नड़ मलयालम तेलुगु है तेलुगु इसकी प्रमुख भाषा है इसकी भाषाओं का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है इस भाषा परिवार का विस्तार नर्मदा गोदावरी के दक्षिण भाग से कन्याकुमारी तक हुआ है।
चीनी तिब्बती भाषा परिवार– इसका विकास सेवन सिस्टर राज्य अर्थात अरुणाचल प्रदेश मेघालय मणिपुर असम नागालैंड त्रिपुरा मिजोरम राज्य में हुआ है इसमें प्रमुख भाषाएं नागा मणिपुरी खासी चंबा तिब्बत बाडो इत्यादि है।
Note: मंदारिन इसी भाषा परिवार का एक हिस्सा है। जो विश्व का सर्वाधिक बोली जाने वाली बोली है।
आस्ट्रिक भाषा परिवार– इस भाषा परिवार का विकास झारखंड छत्तीसगढ़ असम पश्चिम बंगाल उड़ीसा आदि राज्यों में हुआ इसकी प्रमुख भाषा संथाली खड़िया सांवरा मुंडारी हो भाषा है। जनसंख्या की दृष्टि से इसकी सबसे बड़ी भाषा संथाली है।
अंडमानी भाषा परिवार– इस भाषा परिवार की खोज आवेता अब्बी ने कि यह भाषा परिवार अंडमान निकोबार दीप समूह में बोली जाती है इसमें मुख्य भाषा अंडमानी ग्रेड निकोबारी, जाखा ओंगे आदि हैं।
भारत का भाषाई इतिहास लगभग
भारत का भाषाई इतिहास लगभग 3500 वर्षों से भी अधिक पुराना है भारत में भाषा के इतिहास का वर्गीकरण प्राचीन काल से अब तक इसे तीन भागों में बांटा गया है।
- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा (1500 ई.पूर्व-500 ई.पूर्व)
- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा (500 ईसा पूर्व से 1000 ई. तक)
- आधुनिक भारतीय आर्य भाषा (1100 ई.- वर्तमान तक)
प्राचीन आर्य भाषा
इसका कार्यकाल 1500 ईस्वी पूर्व से 500 ईसवी पूर्व तक माना जाता है। इसे मुख्यत: दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।
वैदिक संस्कृत – वैदिक संस्कृत में ही वेदों की रचना हुई है इसका काल 1500 ई. पूर्व से 1000 ई. पूर्व का है। इस भाषा को यास्क व पाणिनी ने छान्दस नाम दिया है।
अलौकिक संस्कृत- संस्कृत का काल 1000 ई.पूर्व से 500 ई. पूर्व तक का है। यह भाषा वैदिक संस्कृत के साथ बोली जाने वाली संस्कृत भाषा थी।
मध्यकालीन आर्य भाषा
इस भाषा का काल 500 ई. पूर्व से 1000 ई. तक था। इसमें पालि, प्राकृत, अपभ्रंश और अवहट्ट भाषाओं की उत्पत्ति हुई थी।
पालि भाषा – इस भाषा का काल 500 ई. पूर्व से 100 ई. तक का था। महात्मा बुद्ध ने भी पालि भाषा में ही अपने उपदेश दिए थे जिस कारण इसे पहली देशज भाषा भी कहा जाता है।
प्राकृत भाषा– इसका काल 100 ई. से 500 ई. तक था। प्राकृत भाषा में महावीर स्वामी ने उपदेश दिए थे इसे द्वितीय देशज भाषा भी कहा जाता है।
अपभ्रंश भाषा – इस भाषा का काल 500 ई. से 1000 ई. तक का था इसमें कई भाषा तथा उपभाषाओं का उदय हुआ जिनमें से प्रमुख भाषाएं निम्न है –
- शौरसेनी अपभ्रंश – इसके अंतर्गत पश्चिमी हिंदी, गुजराती, पहाड़ी और राजस्थानी आती है।
- पैशाची – पंजाबी और लहंदा
- ब्राचड. – सिन्धी
- महाराष्ट्री- मराठी
- मागधी- बिहारी, बंगाली, उडिया, असमिया
- अर्द्धमागधी- पूर्वी हिन्दी
- पश्चिमी हिंदी से विकसित होने वाली बोलियां -खड़ी बोली (कौरवी), ब्रजभाषा, हरियाणवी बुंदेली, कन्नौजी
- बिहारी से विकसित होने वाली बोलियां – भोजपुरी, मगही, मैथिली
- पूर्वी हिंदी से विकसित होने वाली बोलियां – अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी
- राजस्थानी से विकसित होने वाली बोलियां – मारवाड़ी, मेवाती, जयपुरी(ढुढनी), मालवी पहाड़ी से विकसित होने वाली बोलियां- पूर्वी पहाड़ी, पश्चिमी पहाड़ी, मध्यवर्ती पहाड़ी
Note: अपभ्रंश से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ। स्वयंभू को अपभ्रंश का बाल्मीकि कहा जाता है।
अवहट्ट काल- हिंदी के विकास का यह काल 500-1100 ई. तक चला यह काल अपभंश व पुरानी हिन्दी के बीच का काल था! इसे संक्रमणकालीन या संक्रांति कालीन भाषा कहा जाता है।
Note: चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने संक्रांति काल में प्रयुक्त की जाने वाली भाषा को पुरानी हिंदी कहां है!
आधुनिक भारतीय आर्य भाषा (हिंदी) –
- प्राचीन हिंदी (1100-1400ई.)
- मध्यकालीन हिंदी(1400-1850ई.)
- आधुनिक हिंदी(1850-अब तक)
देवनागरी लिपि का विकास
ब्राह्मी लिपि → उत्तर शैली → गुप्त लिपि → सिद्ध मातृका → कुटिला लिपि → देवनागरी लिपि
देवनागरी लिपि का सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात के राजा जयभट्ट के शिलालेख में मिलता है!
यह अक्षरात्मक लिपि है परंतु इसका विकास वर्णनात्मक लिपि से हुआ है!