वैज्ञानिकों दृष्टिकोण से भारतीय भू-भाग को 5 भूकम्पीय क्षेत्रों (जोन) में विभाजित किया गया है। जिसमें 2 क्षेत्र (जोन) उत्तराखंड के अंतर्गत आते है –
- जोन 4 – इसके अंतर्गत संवेदनशील जिले आते है, जैसे – देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल, उधमसिंह नगर।
- जोन 5 – इसके अंतर्गत अति संवेदनशील जिले आते है, जैसे – चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत।
उत्तराखंड के धारचूला, मुनस्यारी, भराड़ी, चमोली व उत्तरकाशी के भू-भाग को अत्यंत संवेदनशील जोन के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
उत्तराखंड में आए भूकंपों का संक्षिप्त विवरण
वर्ष | भूकंप का स्थान (Earthquake location) | रिक्टर स्केल (Richter scale) |
---|---|---|
22 May 1803 | उत्तरकाशी (Uttarkashi) | 6.0 |
1 September 1803 | बद्रीनाथ (Badrinath) | 9.0 |
March 1809 | गढ़वाल (Garhwal) | 8.0 |
28 May 1816 | गंगोत्री (Gangotri) | 7.0 |
28 October 1916 | पिथौरागढ़ (Pithoragarh) | 7.5 |
14 May 1935 | लोहाघाट (Lohaghat) | 7.0 |
28 October 1937 | देहरादून (Dehradun) | 8.0 |
4 June 1945 | अल्मोड़ा (Almora) | 6.5 |
28 December 1958 | चमोली/ धारचूला | 6.25 |
27 July 1966 | कपकोट (Kapkote) | 6.3 |
28 August 1968 | धारचूला (Dharchula) | 7.0 |
21 May 1979 | धारचूला (Dharchula) | 6.5 |
29 July 1980 | धारचूला (Dharchula) | 6.5 |
20 October 1991 | उत्तरकाशी (Uttarkashi) | 6.6 |
29 March 1999 | चमोली (Chamoli) | 6.8 |
14 December 2005 | संपूर्ण उत्तराखंड | 5.2 |
23 July 2007 | संपूर्ण उत्तराखंड | 5.0 |
वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालयी क्षेत्र (उत्तराखंड) में भूकंप प्राय: प्लेटों की गतिशीलता और भ्रंशो की उपस्थिथि के कारण आते है। मुख्य केंद्रीय भ्रंश रेखा, वृहत हिमालय और मध्य हिमालय के मध्य स्थित है, जो उत्तराखंड में चमोली,गोपेश्वर, पीपलकोट, देवलधार, गुलाबगोटी, गंगा घाटी तथा कुमाऊँ से होते हुए नेपाल की ओर जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह भ्रंश रेखा, टिहरी बांध के नीचे से भी गुजरती है, जिस कारण सुन्दरलाल बहुगुणा (पर्यवारणविद) टिहरी बांध के निर्माण का विरोध करते रहे है।
उत्तराखंड में भूकंप की तीव्रता मापने हेतु 3 भूकंपमापी (Seismometer) क्रमशः देहरादून, टिहरी व गरुड़गंगा (चमोली) में स्थापित किए गए है।
Note :
- डाप्लर रडार (Doppler radar) का प्रयोग प्राकृतिक आपदाओं से पूर्व सूचना के लिए किया जाता है।
- वैज्ञनिकों के अनुसार प्रत्येक 50 वर्ष के अन्तराल में हिमालयी क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप आता है।
भूकंप (Earthquake)
भूकंप पृथ्वी की सतह होने वाला कंपन्न और लहर है, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी की स्थलमंडल (Lithosphere) में अचानक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) का निर्माण करती है।
भूकंपों की उत्पति का प्रमुख कारण प्लेट विवर्तनिकी गतिविधयाँ, भू-स्खलन, भ्रंश, ज्वालामुखी आदि कारणों से होती है। पृथ्वी के एस्थेनोस्फीयर (Asthenosphere) के मैग्मा में बहने वाली धाराओं (तरंगो) के कारण प्लेटों की गतिशीलता से उत्पन्न होने वाले भूकंप सर्वाधिक विनाशकारी होते है, जबकि अन्य कारणों (भू-स्खलन, भ्रंश, ज्वालामुखी) से उत्पन्न होने वाले भूकंप कम विनाशकारी होते है।
भारतीय प्लेट (Indian Plate) प्रतिवर्ष उत्तर व उत्तर-पूर्व की दिशा में 1 cm (कुछ विद्वानों के अनुसार 5 cm) खिसक रही है। उत्तर में यूरेशियन प्लेट (तिब्बत प्लेट) इसके मार्ग में अवरोध उत्पन्न करती है, जिसके परिणामस्वरूप इन दोनों प्लेटों के किनारे आपस में लॉक हो जाते है, जिसके कारण ऊर्जा का संग्रहण होता रहता है। ऊर्जा के संग्रहण से प्लेटों के मध्य तनाव में वृद्धि होती रहती है, जिससे प्लेटों के मध्य लॉक टूट जाता है और भूकंप आने की संभावना रही है।
राष्ट्रीय भू-भौतिकी प्रयोगशाला (National Geophysical Laboratory), राष्ट्रीय भूगर्भीय सर्वेक्षण संस्थान (National Geological Survey Institute), मौसम विज्ञान विभाग (Meteorological department), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (National Institute of Disaster Management) आदि द्वारा भारतीय भू-भाग को 5 भूकंप प्रभावित क्षेत्रों (Zone) में विभाजित किया गया है –
- न्यूनतम प्रभाव क्षेत्र – 5 से कम तीव्रता
- न्यून प्रभाव क्षेत्र – 5.01 से 6 तीव्रता
- मध्यम प्रभाव क्षेत्र – 6.01 से 7 तीव्रता
- अधिक प्रभाव क्षेत्र – 7.01 से 9 तीव्रता
- अधिकतम प्रभाव क्षेत्र – 9 से अधिक तीव्रता