पर्यावरण संरक्षण अधिनियम – 1986 के अनुसार किसी जीव के चरों तरफ घिरे जैविक व अजैविक (भौतिक) संघटकों से मिलकर पर्यावरण का निर्माण होता है। पर्यावरण (Enviourment) शब्द फ्रेंच (French) भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है – घिरा हुआ या घेरना।
पर्यावरण एक जैविक व अजैविक घटकों को सम्मिलित किया गया है , इसके आधार पर पर्यावरण को निम्न भागो में विभाजित किया जा सकता है –
- जैविक घटक
- अजैविक घटक
अजैविक या भौतिक घटक (Abiotic or Physical Component)
भौतिक संघटकों के अंतर्गत सामान्य रूप से स्थलमंडल, वायुमंडल, जलमंडल को सम्मिलित किया जाता है , इन्हें क्रमश: जल, वायु व मृदा संघटक भी कहाँ जाता है , यह तीनों संघटक पारितंत्र (पर्यावरण) के उपतंत्र होते है, भौतिक वातावरण का निर्माण वायु , ताप, जल, प्रकाश व मृदा जैसे – कारकों से होता है। भौतिक कारक ही जीवों की बनावट , जीवन चक्र , शरीर क्रिया, विज्ञानं , विकास आदि पर प्रभाव आदि पर प्रकाश डालते है।
जैविक घटक (Biotic Component)
पर्यावरण के जैविक संघटको का निर्माण तीन निम्नलिखित उपतंत्रों द्वारा होता है –
पादप (Plant)
यह जैविक संघटकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते है , क्योकि पादप (पौधे) ही जैविक पदार्थों का निर्माण करते है तथा उनका उपभोग स्वयं करते है, सभी जीव व जंतु प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर रहते है। पादप अपना भोजन स्वयं तैयार करते है अत: स्वपोषित (Autotrophs) कहलाते है।
जीव (Organism)
जीव परपोषित एवं स्वपोषित दोनों प्रकार के होते है , अर्थात अपने भोजन हेतु अन्य साधनों पर निर्भर रहते है , जैविक पदार्थो की सुलभता के आधार पर इन्हें तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है –
- मृतजीवी (Saprophytes) – वे जीव जो मृत पौधों तथा जीवों में घुलित कार्बनिक यौगिकों से अपना भोजन प्राप्त करते है।
- परजीवी (Parasites) – वे जीव जो अपने भोजन हेतु अन्य जीवित जीवों पर निर्भर करते है परजीवी कहलाते है।
- प्राणीसमभोजी (Holozoic) – वे सभी जीव जो अपने मुख से अपना भोजन ग्रहण करते है , सभी बड़े जीव इस क्षेणी के अंतर्गत आते है , जैसे – हाथी , गाय , बैल आदि।
वे जीव जो अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते है , स्वपोषित (Autotrophes) कहलाते है , जैसे – साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria-Blue-Green algae) पर्णहरित (Chlorophyll) आदि।
सूक्ष्मजीव (Micro-Organism)
वे जीव जो मृत जीव-जंतुओ व पौधों को सड़ा-गला कर वियोजित (Decompose) करते है तथा उन्हीं से अपना भोजन ग्रहण करते है सूक्ष्मजीव कहलाते है।
उर्जा संघटक (Energy Component)
इसके आधार पर उर्जा संघटकों को मुख्यत: दो भागों में विभाजित किया जा सकता है –
- सौर ऊर्जा
- भू – तापीय ऊर्जा
ऊर्जा संघटक के अंतर्गत सौर ऊर्जा , सौर विकिरण तथा उसके विभिन्न पक्षों को सम्मिलित किया जाता है।
सूर्य पृथ्वी में उपस्थित सभी जीवों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऊर्जा का अंतिम स्रोत है। सूर्य की किरणों की तरंग (Wavelength) के आधार पर पराबैगनीं विकिरण (UV Radation) 3 प्रकार के होते है —
- UV – C (100-280 nm)
- UV – B (280-320 nm)
- UV – A (320- 400 nm)