पर्यावरणीय प्रदूषण (Environmental pollution)

संपूर्ण विश्व के राष्ट्रों द्वारा विकास की दौड़ में पर्यावरणीय संतुलन तेजी से बिगड़ता जा रहा है। पर्यावरणीय प्रदूषण  (Environmental pollution) के प्रमुख कारणों में तेजी से बढ़ती जनसँख्या, शहरीकरण, औद्योगिक क्रांति और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के फलस्वरूप संपूर्ण विश्व में पर्यावरणीय प्रदूषण के स्तर में तेजी वृद्धि हुई है।

प्रदूषण (Pollution)

पर्यावरणीय कारक जैसे – वायु, जल, मृदा आदि के अकार्बनिक पदार्थों की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होने वाले वह अवांछनीय परिवर्तन जिसके कारण पारिस्थितिक तंत्र व इसमें रहने वाले जीव-जंतुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, पर्यावरणीय प्रदूषण कहलाता है।

प्रदूषक (Pollutants)


पदार्थों का कोई भी रूप (जैविक या अजैविक) या ऊर्जा (ऊष्मा, ध्वनि, रेडियोधर्मिता) जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) के प्राकृतिक संतुलन की स्थिति में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते है, उन्हें प्रदूषक (Pollutant) कहा जाता है। प्रदूषकों को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है  –
उत्पत्ति के आधार पर प्रदूषकों (Pollutants) को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है

  • प्राकृतिक प्रदूषक (Natural pollutants)
  • मानव जनित प्रदूषक (Man-made pollutants)

प्रकृति अपनी साइबरनेटिक्स (Cybernetics) या होमोस्टैटिक (Homeostatic) क्षमता के कारण प्राकृतिक कारणों से होने वाले परिवर्तनों को आत्मसात कर लेती है, किंतु मानव द्वारा किए गए परिवर्तनों के कारण पर्यावरण में होने वाला प्रदूषण, इसकी तीव्रता के कारण अपरिवर्तनीय (Irreversible) है।
अवस्था (State) के आधार पर प्रदूषकों को तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है

ठोस कणिकीय प्रदूषक (Solid Particulate Pollutants) – इसके अंतर्गत आने वाले प्रमुख प्रदूषक धूल, एरोसॉल, कण, औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ, जैसे – एस्बेस्टस, सीसा, पारा आदि के कण आदि है।

तरल प्रदूषक (Liquid Pollutants) – इसके अंतर्गत आने वाले प्रमुख प्रदूषक  यूरिया, अमोनिया, नाइट्रेट युक्त जल आदि है। इसके अतिरिक्त तेलवाहक जलयानों से महासागरों व सागरों में होने वाले खनिज तेल का रिसाव एवं उससे उत्पन्न ऑयल-स्लिक्स (Oil Slicks) तरल प्रदूषक है।

गैसीय प्रदूषक (Gaseous Pollutants) – इसके अंतर्गत आने वाले प्रमुख गैसीय प्रदूषक जैसे – Sulfur dioxide (SO2), Carbon monoxide (CO), Nitrogen Dioxide (NO2), Chlorofluorocarbon (CFCs) आदि है।

स्वरूप (Form) के आधार पर प्रदूषकों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है

प्राथमिक प्रदूषक (Primary pollutants) – वह प्रदूषक जो प्रकृति में अपने मूल स्वरूप में रहकर ही प्रदूषण उत्पन्न करते हैं, प्राथमिक प्रदूषक कहलाते है। जैसे- DDT, प्लास्टिक, Carbon monoxide (CO), Carbon dioxide (CO2)आदि।

द्वितीयक प्रदूषक (Secondary pollutants) – वह प्रदूषक जो प्राथमिक प्रदूषकों की अंतक्रिया से निर्मित होते हैं, द्वितीयक प्रदूषक कहलाते है। जैसे – ओज़ोन, अमोनिया परॉक्सीएसिटिल नाइट्रेट (Peroxyacetyl Nitrate – PAN) आदि।

Note –  परॉक्सीएसिटिल नाइट्रेट का निर्माण नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nitrogen oxide) एवं हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbon) की अंतक्रिया से होता है।
निस्तारण की प्रकृति के आधार पर  प्रदूषकों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है

जैव-निम्नीकरणीय प्रदूषक (Biodegradable pollutants) – वह पदार्थ जो सूक्ष्म जैविक क्रियाओं (Microbial Action) द्वारा विघटित हो जाते हैं, जैव-निम्नीकरणीय प्रदूषक कहलाते है। जैसे –  घरेलू कचरा, सीवेज,  मल-मूत्र तथा आदि अपशिष्ट पदार्थ।

जैव-अनिम्नीकरणीय  प्रदूषक (Non-Biodegradable pollutants) – वह पदार्थ जिनका सूक्ष्म जैविक क्रियाओं द्वारा विघटन नहीं हो पाता है, उन्हें जैव-अनिम्नीकरणीय प्रदूषक कहते है। जैसे – रेडियोएक्टिव तत्त्व, भारी धातुएँ, सीसा,  प्लास्टिक, DDT आदि।

Note – जैव-अनिम्नीकरणीय प्रदूषक लंबे समय तक प्रकृति में बने रहते हैं, जिस कारण खाद्य श्रृंखलाओं में से गुजरते हुए यह उनमे संचित हो जाते हैं, इसे जैव आवर्द्धन (Bio-magnification) कहते हैं।

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