फाइबर (Fiber)
फाइबर मुख्य पादप कोशिकाओं की सतहों (Walls) का निर्माण करते हैं। फाइबर मुख्यत: भोज्य पदार्थो जैसे – फल, अनाज पत्तेदार सब्जी, दालों, , रोटी, व खाद्य वस्तुओं के उस हिस्से को कहते हैं, जो बिना पचे व अवशोषित हुए ही आंत के द्वारा बाहर निकल जाता है।
यह भोजन का एक आवश्यक तत्त्व हैं जिसके कारण आंत व पेट की सफाई भी आसानी से हो जाती है। ये पदार्थ आंत में नहीं चिपके रहते हैं और इनके उपयोग से कई अन्य प्रकार की पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
पेट के विकार और कब्ज में आंत की आंतरिक सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है और छोटी-छोटी थैलियाँ सी बन जाती हैं। रेशादार (फाइबर) युक्त भोजन करने से मल मुलायम होकर आसानी से आंत से बाहर निकल जाता है, इस प्रकार फाइबर की अधिक मात्रा आँत के आसपास पड़ने वाले दबाव को रोकने में मदद करती है। रेशेदार युक्त भोज्य पदार्थो बवासीर व पाइल्स से भी बचाते हैं, तथा पेट में बनने वाली गैस पर भी नियंत्रण रहता है, तथा भोजन का पाचन ठीक से होता है और शरीर को ऊर्जा मिलती है, इसलिए रेशेदार (फाइबर) युक्त पदार्थ भोजन में जरूरी होते हैं।
किण्वक (Enzyme)
सजीवों की प्रत्येक जीवित कोशिकाओं में जीवन पर्यन्त जैव रासायनिक क्रियाएं होती रहती है। ये जैव रासायनिक क्रियाएं किसी न किसी जैव उत्प्रेरक की उपस्थिति में होती है। इन्हीं जैव उत्प्रेरक को किण्वक (Enzyme) कहते हैं। किण्वक (Enzyme) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कुहने ने 1878 में किया था। ये नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक रासायनिक यौगिक हैं जो मात्र उपस्थित रहकर कोशिका में होने वाली जैव रासायनिक क्रियाओं की दर को प्रभावित करते हैं। किण्वक (Enzyme) वो प्रोटीन होते हैं जो एक खास तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया में मदद करते हैं। किण्वक (Enzyme) हमारे शरीर में होने वाली जैविक क्रियाओं के उत्प्रेरक हैं। ये जरूरी क्रियाओं के लिए शरीर में तमाम तरह के प्रोटीन का निर्माण करते हैं। इनकी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण है कि ये या तो शरीर की रासायनिक क्रियाओं को शुरु करते हैं या फिर उनकी गति बढ़ाते हैं। उत्प्रेरण का इनका गुण एक चक्रीय प्रक्रिया है।
वे रासायनिक तत्व, जो एंजाइम्स की क्रियाओं के फलस्वरूप तैयार होते हैं, सबस्ट्रेट और जो उनकी मौजूदगी के बिना तैयार होते हैं, रिएक्टेंट (Reactant) कहलाते हैं। मनुष्य के शरीर में होने वाली ये रासायनिक क्रियाएं उसके जीवन के लिए अनिवार्य है। शरीर में ये क्रियाएं निबंध रूप से होती रहें, इसके लिए किण्वक (Enzyme) की उपस्थिति जरूरी है। किण्वक (Enzyme) के न बनने पर फेनिलकीटोन्यूरिया (Fennelkitoneuria) बीमारी होती है, जिससे दिमागी विकास में रुकावट आती है।
किण्वक का व्यावसायिक महत्व
किण्वक (Enzyme) को कृत्रिम रूप से बनाया जा सकता है और जैव वॉशिंग पाउडर में प्रयुक्त किया जाता है। ये खास तरह के धब्बों पर काम करते है।
प्रोटीज का प्रयोग मांस को मुलायम बनाने और खाल से बाल हटाने में किया जाता है।
एमिलीज का प्रयोग स्टार्च को चीनी में बदलने में किया जाता है। जिससे सीरप और जूस बनता है।
एंजाइम अवरोधक – कुछ ऐसे विष हैं जैसे सायनाइड और आर्सेनिक जो एंजाइमों के सक्रिय स्थान को अवरुद्ध करते हैं जिससे सबट्रेट सक्रिय स्थान पर प्रवेश नहीं कर सकता और प्रतिक्रिया नहीं होती है।