बिहार राज्य का गठन 22 मार्च, 1912 को हुआ। भारत सरकार अधिनियम 1919 के प्रावधानों के अनुसार सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा को बिहार का प्रथम गवर्नर नियुक्त किया गया।
भारत सरकार अधिनियम 1935 के अंतर्गत केंद्र में द्वैध शासन एवं प्रांतों में प्रांतीय स्वायत्तता को लागू किया गया। 1935 के अधिनियम से बिहार में विधानसभा एवं विधानपरिषद् के लिए क्रमशः 152 तथा 30 सीटों की व्यवस्था की गई तथा प्रथम विधानसभा के लिए चुनाव 1937 ई. में हुआ। विधानसभा की 152 सीटों में से 70 सामान्य, 18 अनुसूचित जातियों, 7 अनुसूचित जनजातियों, 39 मुस्लिमों, 4 महिलाओं, 2 ऍग्लो इंडियन समुदाय, 13 विशिष्ट क्षेत्र, जैसे व्यवसाय, उद्योग, भूस्वामियों, विश्वविद्यालय शिक्षकों तथा भारतीय मूल के ईसाइयों के लिए सुरक्षित थे।
इस चुनाव में कांग्रेस ने 98 सीटें एवं मुस्लिम लीग ने 20 सीटें प्राप्त की। कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व एवं गवर्नर जनरल के बीच बनी सहमति के पश्चात 20 जुलाई, 1937 को बिहार में श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में प्रथम बार कांग्रेस की सरकार गठित हुई। डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा बिहार विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर नियुक्त हुए।
द्वितीय विश्वयुद्ध में बिना सहमति के भारत को शामिल करने के कारण 31 अक्तूबर, 1939 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस्तीफा दे दिया और राज्य विधानसभा भंग कर दी गई।
1946 ई. में पुनः चुनाव में जीत के पश्चात श्रीकृष्ण सिंह ने मुख्यमंत्री का पद भार ग्रहण किया। इस विधानसभा से भारत के संविधान सभा के लिए कुल 39 सदस्य निर्वाचित हुए, जिनमें डॉ. सरोजिनी नायडू, डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री जगजीवन राम एवं श्री तजझुल हुसैन आदि प्रमुख थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात बिहार में पहला आम चुनाव वर्ष 1952 ई. में संपन्न हुआ, इस समय विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या 331 (330 निर्वाचित एवं 1 मनोनीत) निर्धारित की गई। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात श्रीकृष्ण सिंह को बिहार राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया।
15 नवंबर, 2000 को बिहार राज्य के कुल 56 जिलों में से 18 जिलों को पृथक कर एक नए राज्य झारखंड का गठन किया गया। विभाजन के बाद राज्य में कुल 38 जिले रह गए। वर्तमान में बिहार से लोकसभा में सदस्यों की कुल संख्या 40, राज्यसभा के सदस्यों की कुल संख्या 16, बिहार विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या 243 एवं बिहार विधानपरिषद् के कुल सदस्यों की संख्या 75 है।
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