हिमाचल अपने नैरो गेज रेलवे के लिए जाना जाता है। एक कालका-शिमला रेलवे, जो की यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल है, और दूसरा पठानकोट-जोगिन्दरनगर लाइन है। इन दोनों पटरियों की कुल लंबाई 259 किलोमीटर है।
कालका-शिमला रेलमार्ग (Kalka-Shimla Railways)-
कालका-शिमला रेलमार्ग की कुल लम्बाई 96 कि.मी. है। इस रेल मार्ग पर संकरी रेल लाइन है, जिसकी चौड़ाई 76.2 सै.मी. है। इस रेलमार्ग में 869 पुल हैं। कालका से शिमला के बीच रेलमार्ग में 20 रेलवे स्टेशन हैं जिनमें धर्मपुर, सोलन, कंडाघाट, तारादेवी, सलोगटा, समर हिल आदि प्रमुख हैं। रेलवे का निर्माण 1898 में ब्रिटिश राज के दौरान हुआ था। इस रेलमार्ग पर यातायात 1 जनवरी, 1906 को पहली बार प्रारम्भ हुआ था। इस रेल मार्ग का निर्माण अंग्रेजों ने अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला को कालका से जोड़ने के लिए किया था। इस रेल मार्ग पर कुल 103 सुरंगें बनी हैं, जिनमें सबसे लम्बी बड़ोग सुरंग है। इसकी लम्बाई 1143.61 मी. है।
कालका शिमला रेल मार्ग के निर्माण में बाबा भलकू राम (Baba Bhalku Ram) का बहुत योगदान है। इसी ग्रामीण अनपढ़ ने 1900 ई. के लगभग कालका-शिमला रेल मार्ग का सर्वे तथा एलाइनमेंट का काम किया था अन्यथा उसकी सहयता के बिना यह इंजीनियरिंग का अजूबा केवल कागजों में ही सिमट कर रह जाता।
कालका शिमला रेलवे ट्रैक (Kalka Shimla Railway Track has Total 18 Sections)-
कालका [0 किलोमीटर], टकसाल [5.69 किलोमीटर], गुम्मन [10.41 किलोमीटर], कोटि [16.23 किलोमीटर], सोनवारा [26.55 किलोमीटर], धरमपुर [32.94 किलोमीटर], कुमारहट्टी [38.79 किलोमीटर], बरोग [42.14 किलोमीटर], सोलन [46.10 किलोमीटर], सोलन ब्रेवरी [50.9 किलोमीटर], सलोगरा [52.71 किलोमीटर], कंडाघाट [58.24 किलोमीटर], नोह [64.92 किलोमीटर], केथेलेघाट [72.23 किलोमीटर], शोघी [77.81 किलोमीटर], तारादेवी [84.64 किलोमीटर], जुटोग [89.41 किलोमीटर], समर हिल [92.93 किलोमीटर], शिमला [95.59 किलोमीटर]।
नगल-चुरुड रेलवे लाइन-
प्रदेश की एकमात्र बड़ी रेलवे लाइन नंगल-डैम चुरुड है। यह 26 कि.मी. लम्बी है। यह दिल्ली-नंगल रेल लाइन का विस्तार है।
नगल-ऊना रेलवे मार्ग (Nangal-Una Railways)-
नंगल-ऊना रेलमार्ग हिमाचल प्रदेश में एकमात्र ब्रॉडगेज रेलपार्ग रलमार्ग जो ऊना को नई दिल्ली से जोडता है। इस रेलमार्ग की लम्बाई 16 कि.मी. है। प्रदेश में नंगल से तलवाड़ा रेल मार्ग। माण जोरों पर चल रहा है। इसके बन जाने से हिमाचल में रेल मार्ग में और भी वृद्धि हो जायेगी।
पठानकोट-जोगिन्द्रनगर रेल मार्ग (Parthankot-Jogindernagar Railway)-
हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा की सुंदर घाटीयो तक पहंचने का यह रेल मार्ग प्रमख साधन है। यह रेलमार्ग 1926 में बनना आरम्भ हुआ था तथा तीन हा इस रेलमार्ग पर यातायात आरम्भ हो गया था। इस रेलमार्ग की कुल लम्बाई 113 कि.मी. है। इस रेल मार्ग पर हारपुर, पालमपुर, बैजनाथ, जोगिन्द्रनगर आदि प्रमुख रेलवे स्टेशन बने हैं। इस रेल मार्ग में 2 सुरंगें हैं।
हिमाचल रेलवे के मुख्य तथ्य (Key facts of Himachal Railway):
- कालका-शिमला रेलमार्ग हिमाचल की सबसे पुराना रेलमार्ग है।
- 8 जुलाई 2008 को, UNESCO ने कालका-शिमला रेलवे को भारत के विश्व धरोहर स्थल के पर्वतीय रेलवे (mountain railways of India) में शामिल किया।
- कालका-शिमला रेलवे ट्रैक के संरक्षण, संरक्षण और स्वच्छता के लिए जागरूकता (यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल) 12 अप्रैल, 2018 को लिया गया।