प्रारंभ में आदिमानव की भौतिक पर्यावरण की कर्यमकता दो प्रकार की होती थी।
- ग्राही
- दाता
मानव तथा पर्यावरण के मध्य बदलते संबंधो को प्रागैतिहासिक काल से वर्तमान काल तक 4 चरणों विभाजित किया जा सकता है।
- आदिमानव द्वारा आखेट करना एवं भोजन संग्रहण करना
- आदिमानव द्वारा कृषि कार्य
- आदिमानव द्वारा पशुपालन करना
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास का काल
मानव पर पर्यावरण का प्रभाव (Environmental impact on humans)
जैविक – भौतिक सीमाएं (Bio-physical limitations)
जैविक दृष्टि से मानव का शरीर कुछ निश्चित पर्यावरणीय दशाओं में ही अच्छी तरह कार्य करने हेतु सक्षम होता है , अत: मौसम व जलवायु के कारक सभी जीवो व पौधों के जीवन पर विशेष प्रभाव डालते है|
संसाधनों की सुलभता (Availability of resource)
संसाधनों की सुलभता मनुष्य के जीवन को विभन्न प्रकार से प्रभावित करती है , इससे ही मनुष्य अथवा किसी देश की आर्थिक क्षमता , सामाजिक संगठन, सामाजिक स्थिरता व अन्तराष्ट्रीय संबंध भी निर्धारित होते है|
आचारपरक नियंत्रण (Behavioural Control)
विभिन्न पर्यावरणीय करक मनुष्य की जाति विविधता को निर्धारित करते है , तथा मनुष्य के चिंतन की विचारधारा , संस्कृति , आचार व व्यवहार को प्रभावित करते है|
पर्यावरण पर मानव का प्रभाव (Humans impact on Environment )
निम्नलिखित मानवीय गतिविधयों का पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है , जिनमे निम्न गतिविधियाँ शामिल है –
- खनन (Mining)
- औद्योगीकरण (Industrialization)
- आधुनिक कृषि (Modern agriculture)
- शहरीकरण (Urbanization)
- आधुनिक प्रौद्योगिकी (Modern technology)
Nice explanation