हिमाचल प्रदेश में लगभग पांच सौ पनविद्युत् परियोजनाएं (Hydropower projects) प्राईवेट क्षेत्र में आवंटित की गई हैं। उनमें से 10 मैगावाट या इससे अधिक पनविद्युत् उत्पादन क्षमता रखने वाली कुछ परियोजनाओं का वर्णन कर दिया गया है। जल विद्युत् योजनाएं आरम्भ हो जाने से प्रदेश की आर्थिकी पर अच्छा प्रभाव पड़ा है। प्रदेश की प्रमुख पविद्यत् योजनाए निम्नलिखित हैं:
1. संजय विद्युत् परियोजना या भावा परियोजना (Bhaba Project):
यह परियोजना किन्नौर जिले में हुरी गांव वा खडड पर कार्यान्वित की गयी है। इसकी तीन इकाइयाँ हैं। प्रत्येक से 40 मैगावाट कुल 120 मैगावाट बिजली बनाई जा रही है। इस पर 125.22 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इस परियोजना में भावा खड्ड के पानी को 5.7 किलोमीटर लम्बी, 2.5 मीटर व्यास वाली सुरंग से ले जाकर 4.5 मीटर व्यास वाली सार्जशाफ्ट में डालकर 1410 मीटर लम्बी लोहे की शाफ्ट से बनी 1.5 मीटर व्यास की तीन शाखाओं में ले जाकर भूमिगत पावर हाऊस में डाला गया है। अब यह योजना पूर्ण हो चुकी है।
2. आन्ध्रा हाइडल परियोजना (Andhra Hydel Project):
यह परियोजना शिमला जिले के रोहडू उपमण्डल की चड़गांव तहसील में चड़गांव के समीप आन्ध्रा गांव में तैयार की गयी है। इस परियोजना के अन्तर्गत 5.65 मैगावाट की तीन इकाइयां हैं। परियोजना की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 16.95 मैगावाट है।
3. रौंग-टौंग हाइडल परियोजना (Rong Tong Hydel Project):
यह परियोजना लाहौल-स्पीति में स्पीति नदी के सहायक रौंग-टौंग नाले के पानी से बिजली तैयार करने हेतु कार्यान्वित की गयी है। इसमें 2 मैगावाट बिजली पैदा हो ही है। यह दिसम्बर 1986 में चालू हो गयी है। इस योजना की विशेषता यह है कि यह समुद्रतल से 3660 मीटर की ऊंचाई पर तैयार की गयी है।
4. बिनवा हाइडल परियोजना (Binwa Hydel Project):
यह परियोजना काँगड़ा जिले के बैजनाथ के समीप उत्तराला में कार्यान्वित की गई है। इसमें 6 मैगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। इस पर 12.32 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
5. गज परियोजना (Gaj Project):
यह काँगड़ा जिले में शाहपुर के नज़दीक गज और ल्योण खड्डों के पानी के कार्यान्वित की गयी है। इससे 10.5 मैगावाट बिजली पैदा होगी। इस पर 40 करोड़ रुपये के लगभग खर्च हुआ। गज खड्ड के किनारे बिठड़ी गाँव के पास पावर हाऊस बनाया गया है।
6. बनेर परियोजना (Baner Project):
यह परियोजना धर्मशाला से 25 किलोमीटर दूर बनेर खड्ड के पानी से कार्यान्वित की गयी। इससे 12.5 मैगावाट बिजली पैदा होगी। इस पर 40.54 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। ये दोनों योजनाएँ मई-जून, 1996 में चालू की गई हैं।
7. थिरोट परियोजना (Thirot Project):
यह परियोजना लाहौल-स्पीति जिले की लाहौल घाटी में थरोट नाले के पानी से समुद्रतल से 2970 मीटर की ऊँचाई पर कार्यान्वित की गयी। इससे 4.5 मैगावाट बिजली पैदा की जा रही है।
8. लारजी हाइडल परियोजना (Larji Hydel Project):
यह परियोजना कुल्लू जिले में भुन्तर से थोड़ा दूर तारजी नामक स्थान पर ब्यास नदी के पानी से कार्यान्वित हुई। इसके अन्तर्गत 45.3 मीटर ऊँचा बाँध बना कर पानी को 15 किलोमीटर लम्बी और 8.5 मीटर ब्यास वाली सुरंग से ले जाकर गिराया गया है। इससे 126 मैगावाट बिजली पैदा की जा रही है।
9. कोल डैम परियोजना (KOI Dam Project):
यह परियोजना सतलुज नदी पर डैहर से 6 किलोमीटर ऊपर कोल नामक स्थान पर 163 मीटर ऊँचा राकफिल डैम बनाकर कार्यान्वित की जा रही है। 11.7 मीटर ब्यास वाली 1 माटर लम्बी सुरंग द्वारा पानी सतलुज नदी के बाएं किनारे पावर हाऊस में गिराया जाएगा। इस परियोजना से 800 मैगावाट बिजली उत्पन्न की जाएगी और इस इस पर 5360 करोड़ रुपये के लगभग व्यय होगा। इसका कार्यान्वयन शनल थर्मल पावर कारपोरेशन (NTPC) द्वारा किया जा रहा है।
10. नाथपा-झाकड़ी परियोजना (Nathpa-Jhakhari Project):
यह प्रदेश की अभी तक सबसे बड़ी किन परियोजना है, जिससे 1500 मैगावाट बिजली पैदा हो रही है। इस परियोजना पर 6,000 करोड़ के लगभग व्यय का अनुमान है। यह राज्य और केन्द्रीय सरकार द्वारा संयुक्त रूप से विश्व बैंक की सहायता से चालू की गई है। कार्यान्वयन के लिए एक स्वतन्त्र निगम नाथपा-झाकड़ी निगम (NJPC) बनाया गया था, जो अब ‘सतलुज जल नि निगम’ (SJVN Ltd.) के नाम से पुनर्नामित है।
11. कड़छम वांगतु परियोजना (Karchham wangtu Project):
इस परियोजना में कड़छम के पास सतलज के पानी को मोड़ कर 15.5 किलोमीटर लम्बी सुरंग से ले जाकर 280 मीटर शीर्ष से वांगतु (किन्नौर) के पास भूमिगत पान हाऊस में गिराकर 1000 मैगावाट बिजली पैदा की जायेगी। इस योजना पर 6314 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
12. घानवी परियोजना (Ghanvi Project):
यह परियोजना ज्योरी के पास सतलुज नदी से मिलने वाली घानती खड्ड के पानी से कार्यान्वित की जा रही है, जिससे 22.5 मैगावाट बिजली पैदा होगी और इस पर 95 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान है। इसे कार्यान्वयन के लिए निजी क्षेत्र में दिया गया है।
13. बास्पा हाइडल परियोजना (Baspa Hydel Project):
यह परियोजना सतलुज की सहायक नदी बास्पा के पानी से दो चरणों में कार्यान्वित की जाएगी। इससे 300 मैगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी।
14. धमवाड़ी-सुंडा परियोजना (Dhamawari-Sunda Project):
यह शिमला जिले में पब्बर नदी के पानी से कार्यान्वित की जाएगी। इससे 70 मैगावाट बिजली पैदा होगी और इस पर 150 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
15. चमेरा हाइडल परियोजना (Chamera Hydel Project):
चम्बा में रख नामक गाँव के पास रावी नदी पर बाँध बना कर चमेरा हाइडल परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। इसे तीन चरणों में कार्यान्वित किया जायेगा। इसमें हिमाचल प्रदेश का भाग भी होगा। इस परियोजना में 22 किलोमीटर सुरंग से पानी ले जाकर 411 मीटर की ऊँचाई से गिराया जाएगा। इससे पहले चरण में 540 मैगावाट, दूसरे चरण में 300 व तीसरे चरण में 231 मैगावाट बिजली पैदा होगी।
16. पार्वती हाइडल परियोजना (Parbati Hydel Project):
यह परियोजना कुल्लू की पार्वती नदी के पानी से कार्यान्वित होगी। यह परियोजना तीन चरणों में पूरी होगी। इससे 2051 मैगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी। पहले चरण में 750 मैगावाट, दूसरे चरण में 800 मैगावाट तथा तीसरे में 501 मैगावाट बिजली तैयार की जा सकेगी।
17. रामपुर परियोजना (Rampur Project):
412 मैगावाट की यह परियोजना सतलुज जल विद्युत् निगम द्वारा रामपुर (शिमला) के समीप बनाई जा रही है।