भक्ति आन्दोलन एक सामाजिक धार्मिक आंदोलन था जिसने धार्मिक और सामाजिक कठोरता का विरोध किया| भक्ति आन्दोलन में अच्छे चरित्र और शुद्ध विचार पर बल दिया गया। ऐसे समय में जब समाज निष्क्रिय हो गया था, भक्ति संतों ने नए जीवन और शक्ति का संचार किया| इन आंदोलनों ने विश्वास की एक नई भावना जागृत की और सामाजिक और धार्मिक मूल्यों को फिर से परिभाषित करने का प्रयास किया। कबीर और नानक जैसे संतों ने समाज की पुनर्व्यवस्था पर बल दिया। समतावादी चिन्तन के साथ सामाजिक समानता के लिए उनके द्वारा की गई पुकार ने कई दलितों को आकर्षित किया| हालांकि कबीर और गुरुनानक का नए धर्मों की संस्थापना का कोई उद्देश्य न था, परंतु उनकी मृत्यु के बाद उनके समर्थक कबीर पंथी और सिक्ख कहलाए|
भक्ति एवं सूफी संतों का महत्व उनके द्वारा बनाए गए नए वातावरण में दिखाई दिया जिसने बाद की शताब्दियों में भारत के सामाजिक, धार्मिक और राजनैतिक जीवन को प्रभावित किया| अकबर की उदारवादी विचार धारा इसी माहौल की उपज थी जिसमें अकबर पैदा एवं बड़े हुए थे| गुरुनानक के उपदेश पीढ़ी दर पीढ़ी चलते गए और एक अलग धार्मिक समूह के रूप में अपनी अलग भाषा, लिपि गुरुमुखी और धार्मिक पुस्तक गुरुग्रंथसाहिब के रूप में सामने आए| महाराजा रणजीत सिंह जी के नेतृत्व में सिक्ख उत्तरी भारत की राजनीति में एक अजेय राजनैतिक शक्ति के रूप में विकसित हुए| भक्ति और सूफी संतों के बीच अंतर्व्यवहार से भारतीय समाज पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा|
वहादत अल-वजूद के सूफी सिद्धांत उल्लेखनीय हिन्दू उपनिषदों के अत्यधिक समान थे, बहुत से सूफी कवि अवधारणाओं को समझाने के लिए फारसी के बजाए हिन्दी शब्दों का प्रयोग करना पसंद करते थे| इसीलिए सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने अपनी रचनाएँ हिन्दी में लिखीं| कृष्ण राधा, गोपी, जमुना, गंगा आदि शब्द साहित्य में इतने प्रचलित हो गए कि एक प्रसिद्ध सूफी मीर अब्दुल वाहिद ने अपने ग्रंथ ‘हकीक-ए-हिन्दी‘ में उनके इस्लामी पर्याय स्पष्ट किए| यह अन्त:क्रिया जारी रही और अकबर तथा जहांगीर ने उदारवादी धार्मिक नीति का अनुसरण किया| भक्ति संतों के प्रसिद्ध दोहों और भजनों ने संगीत में एक नवचेतना का जागरण किया। कीर्तन में सामूहिक रूप से गाने के लिए नई धुनें बनाई गईं| आज भी मीरा के भजन और रामायण की चौपाइयाँ प्रार्थना सभाओं में गाए जाते हैं|
प्रभाव
- भक्ति आन्दोलन के द्वारा हिन्दू धर्म ने इस्लाम के प्रचार, जोर-जबरजस्ती एवं राजनैतिक हस्तक्षेप का कड़ा मुकाबला किया|
- इसका इस्लाम पर भी प्रभाव पड़ा| (सूफीवाद)
भक्ति आन्दोलन की कुछ विशेषताएं
- यह आन्दोलन पूरे दक्षिणी एशिया (भारतीय उपमहाद्वीप) में फैला हुआ था|
- यह लम्बे काल तक चला|
- भक्ति आन्दोलन में सभी वर्गों (निम्न जातियाँ, उच्च जातियाँ, स्त्री-पुरुष, सनातनी, सिख, मुसलमान आदि) का प्रतिनिधित्व रहा।