- इंडियन मेडिसिन फार्मास्युटिकल लिमिटेड (Indian Medicine Pharmaceutical Limited), मोहान (अल्मोड़ा) में स्थित है।
- ऐबट पर्वत (Abbott Mountains) उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित है।
- उत्तराखंड में पाए जाने वाले रोज जिरेनियम (Rose Geranium) पौधो का मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका देश का है।
- कैलाश पर्वत की तलहटी पर पार्वती ताल स्थित है।
- ठाकुर दत्त जोशी को मिनी कार्बेट के नाम से भी जाना जाता है।
- संस्कृत भाषा के महान कवि कालिदास का जन्म कविल्ठा (कालीमठ) में हुआ था।
- खान अब्दुल गफार खां को स्वतंत्रता आंदोलन के समय अल्मोड़ा जेल में रखा गया था।
- हेमंत कुकरेती द्वारा नया बस्ता कविता संग्रह की रचना की गयी थी।
- उत्तराखंड के देहरादून जिले में मिनिएचर बल्ब फैक्ट्री (Miniature bulb factory) स्थित है।
- भोटिया जनजाति द्वारा प्रत्येक वर्ष लौहसर पर्व मनाया जाता है।
- वर्ष 1954 में शक्ति नारायण शर्मा द्वारा देहरादून जिले में बिनोवा ग्रामोद्योग संघ की स्थापना की गयी थी।
- शेखर पाठक द्वारा पहाड़ पत्रिका का संपादन किया जाता था।
- बैरागना मत्स्य प्रजनन केंद्र उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित है।
- मौर्यकालीन स्वर्ण मुद्रायें उत्तराखंड में खटीमा से प्राप्त हुई है।
- रामगंगा नदी को राठ वाहिनी नदी के नाम से भी जाना जाता है।
- सरताल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है।
- उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था को मनी ऑर्डर अर्थव्यवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
- उत्तराखंड के गठन के लिए कौशिक समिति की स्थापना उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा की गयी थी।
- वर्ष 1945 में कुमाऊं रेजिमेन्ट का गठन किस वर्ष किया गया था।
- महाभारत के अनुसार यमुना नदी का प्राचीन नाम कलिदजा या कालिंदी नदी था।
- आसन नदी को ऋग्वैदिक काल में असमानवती नदी के नाम से जाना जाता था।
- प्राचीनकाल में काठमांडू को कांतिपुर के नाम से जाना जाता था।
- वर्ष 1808 में रेपर द्वारा गढ़वाल का सर्वेक्षण किया गया था।
- अमर सिंह थापा द्वारा गंगामाता मंदिर का निर्माण करवाया गया था, यह मंदिर गंगोत्री क्षेत्र में स्थित है।
- जे.वी. फ्रेजर वह प्रथम यूरोपीय यात्री के जो गंगोत्री व यमुनोत्री की यात्रा पर आए थे।
- परमार वंश के संस्थापक कनकपाल को शौनक गोत्र का माना जाता है।
- 17 अक्टूबर 1906 को स्वामी राम तीर्थ द्वारा भिलगंना नदी में समाधि ली गयी थी।
- आजाद पंचायत संगठन द्वारा 30 मई 1930 को तिलाड़ी में जन समूह एकत्रित किया गया था। यह जन समूह ग्रामीणों द्वारा अपने वन अधिकारों की रक्षा के लिए एकत्रित हुआ था, जिस पर टिहरी राजा (नरेंद्र शाह) के वजीर चक्रधर जुयाल ने गोलियाँ चलवा दी।
- नरेंद्र नगर का पुराना नाम ओडाथली था यहां पर ऋषि उद्धव मुनि ने तपस्या की गयी थी।
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