उत्तराखंड से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 15)

चंद वंश के शासक बाजबहादुर चंद  ने राजा के पद को दैवीय तथा खुद का नाम भी नारायण रखा था।
चंद वंश के शासक इन्द्रचंद द्वारा कुमाऊं में रेशम का व्यापार स्थापित किया गया।
चंद वंश के शासक त्रिलोक चंद द्वारा छखाता महल (नैनीताल) का निर्माण किसने करवाया था।
पलेठी सूर्य मन्दिर, उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है। इस मंदिर के शिलापट पर राजा कल्याण बर्मनआदि बर्मन के लेख मिले है, जिन्हें ब्राह्मी लिपि (उत्तर गुप्त लिपि) में लिखा गया है।
पंवार वंश के शासक फतेहशाह के शासनकाल में भी नौरत्न मौजूद थे।
पंवार वंश के शासक अजयपाल को गढ़वाल में सूर्युल व्यवस्था का जनक कहा जाता है।
पंवार वंश के शासक मानशाह द्वारा कालो सिंह भंडारी को सौण वाण (स्वर्णिम विजेता) की उपाधि दी गयी थी।
उत्तराखण्ड की प्रमुख फसल झंगोरा को बिलियन डॉलर ग्रास के नाम से भी जाना जाता है।
लोक कथाओं के अनुसार माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को रिझाने के लिए चौफुला नृत्य किया गया था।
उत्तराखण्ड में रिंगाल की 5 प्रजातियां पायी जाती है,  निम्नलिखित है –

  • गोलू रिंगाल – Drepanostachyum Falcatum (वानस्पतिक नाम )
  • देव रिंगाल – Thamnocalamus Pathiflorus (वानस्पतिक नाम )
  • थाम रिंगाल
  • सरारू रिंगाल – Arundinaria Falcata (वानस्पतिक नाम) – यह रिंगाल अमेरिका में भी पाया जाता है।
  • भाटपुत्र रिंगाल 

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) अपनी हिमालय यात्रा के दौरान 18 दिन कर्णप्रयाग में रुके थे।
उत्तराखंड में पड़पलि/पलटा प्रथा का संबंध कृषि क्षेत्र से है।
उत्तराखंड में पायी जाने वाली प्रमुख फसल मण्डुआ (कौदा) का मूल स्थान अफ्रीका महाद्वीप है।
दाल एवं मांस बनाने के लिए उत्तराखंड में भड्डू (पीतल या कांसे का बर्तन) का उपयोग किया जाता था, जो अब लगभग विलुप्त हो चुका है।
उत्तराखंड के कवि गुमानी पंत की रचनाओं को आदिकाल के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल जिले में भगवान राम और देवी सीता की याद में प्रतिवर्ष मनसार मेला लगता है।
गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा लिखित तारिका उपन्यास प्रमुख रूप से एक प्रतीकात्मक उपन्यास है।
सुमित्रानन्दन पंत द्वारा लिखित प्रथम रचना हार उपन्यास है।
वर्ष 1937 में मैडम जान मारग्रेट, फूलों की घाटी (चमोली) की यात्रा पर आयी थी।
गंगा दत्त उप्रेती को कविराज के नाम से भी जाना जाता है।
गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा कुर्मांचल (कुमाऊ) की पृष्ठभूमि पर आधारित जूनिया उपन्यास की रचना की गयी थी, जो एक सामाजिक उपन्यास है।
चिंतामणि पालीवाल द्वारा दिल्ली की झलक की रचना की गयी थी।
केशव दत्त पांडेय द्वारा पर्वतीय लोकगीत प्रकाश की रचना की गयी थी।
लोकरत्न पंत (गुमानी पंत) को कुमाऊँनी भाषा के प्रथम कवि माना जाता है।
केलाग द्वारा ए ग्रामर ऑफ हिंदी लैंग्वेज (A Grammar of Hindi Language) की रचना की गयी थी।
भारत भाग्योदय महाकाव्य की रचना चंद्र दत्त जोशी द्वारा की गयी थी, जो भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की पृष्ठभूमि पर आधारित एक महाकाव्य है।
बोरीवली से  बोरीबंदर उपन्यास की रचना शैलेश मटियानी द्वारा की गयी थी, जो उनके द्वारा लिखित प्रथम उपन्यास है।
लज्जा उपन्यास की रचना इलाचंद्र जोशी द्वारा की गयी थी, जो उनके द्वारा लिखित प्रथम उपन्यास है।

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