काली नदी कुमाऊं मंडल की सबसे बड़ी नदी है, जिसे नेपाल में शारदा नदी के नाम से जाना जाता है। काली नदी का उद्भव उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद में 3,600 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय के कालापानी नामक स्थान से होता है।
वर्ष 1639 में काशीपुर नगर की स्थापना काशीनाथ अधिकारी द्वारा की गयी थी। यह शहर ढेला नदी (सुवर्णभद्रा नदी) के तट पर स्थित है। प्राचीन काल में काशीपुर को उज्जैनी तथा हर्ष काल में इसे गोविषाण के नाम से जाना जाता था।
चंद वंश के शासक कल्याण चंद द्वारा विनसर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
कर्णप्रयाग, अलकनन्दा और पिण्डर नदी के संगम पर स्थित है।
दक्ष प्रजापति को प्रथम आर्य नरेश माना जाता है तथा इन्हे कुंभज के नाम से भी जाना जाता है। दक्ष प्रजापति की राजधानी कनखल (हरिद्वार) में स्थित थी।
महाभारत के अनुसार गढ़वाल क्षेत्र का सबसे शक्तिशाली राजा सुबाहु था।
College of forestry and Hill agriculture उत्तराखंड के रानीचौरी (टिहरी गढ़वाल) में स्थित है।
वर्ष 1924 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान शाला की स्थापना की गयी थी।
उत्तराखंड में अट्टा-सट्टा विवाह, थारू जनजाति में प्रचलित है, जिसे आंट-सांट या ग्वरसांट विवाह भी कहा जाता है। इस वैवाहिक परंपरा में दो परिवार आपस में बेटियों की अदला-बदली कर उन्हें अपने परिवार की बहु बनाते है।
लकड़ी से निर्मित धारदार हथियार को उत्तराखंड में अछाणा नाम से जाना जाता है।
जंगलों को साफ कर मोटे अनाजों की उपज के लिए तैयार की जाने वाली भूमि को इजरान कहा जाता है।
कुमाऊं क्षेत्र (उत्तराखंड) में धार्मिक अनुष्ठानों एवं संस्कारों से संबंधित लोक कलाओं को ऐपण कहा जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे – पश्चिम बंगाल में अलपना, महाराष्ट्र व गुजरात में रंगोली, बिहार में मधुबनी, मद्रास में कोलाम, उत्तर प्रदेश में चौक पूरना और राजस्थान में म्हाराना कहते है।
उत्तराखंड के जौनसार क्षेत्र में घर जमाई (पुत्री का पति) रखने की प्रथा को कठाला या कठोई कहा जाता है।
कुमाऊं के मध्यकालीन शासकों द्वारा जनता से कुकुरालो कर (राजा के कुत्तों के रख-रखाव के लिए लिया जाने वाला कर) लिया जाता था।
सर्वप्रथम प्रयाग दत्त पंत द्वारा उत्तराखंड में गाँधीवादी आंदोलन की शुरुआत की गयी थी।
महावीर त्यागी को देहरादून का सुल्तान के नाम से जाना जाता है।