उत्तराखंड से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 6)

  • उत्तराखंड में बद्रिकाश्रम और कण्वाश्रम नामक दो प्रसिद्ध विद्यापीठ थे, जिनमें कण्वाश्रम विद्यापीठ, दुष्यन्त और शुकंतला के प्रेम-प्रसंग के लिए प्रसिद्ध है।
  • कण्वाश्रम विद्यापीठ में चक्रवर्ती सम्राट भरत का जन्म हुआ था।
  • महाकवि कालिदास द्वारा अपने महाकाव्य अभिज्ञान शाकुन्तलम की रचना मालिनी नदी के तट (कण्वाश्रम) पर की गयी थी। वर्तमान में इसे चौकाघाट के नाम से जाना जाता है।
  • नैनीताल की खोज वर्ष 1841 में पी. बैरन द्वारा की गयी थी।
  • खस जातियों के समय उत्तराखंड में बौद्ध धर्म का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार हुआ।
  • कोटद्वार को गढ़वाल का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
  • पौराणिक काल के पश्चात कुमाऊं क्षेत्र के लिए कुर्मांचल नाम का प्रयोग किया जाने लगा।
  • ब्रह्मावायुपुराण में कुमाऊं क्षेत्र में किरात, किन्नर, यक्ष, गंधर्व, विद्याधर, नाग आदि जातियों के निवास की पुष्टि होती है।
  • अल्मोड़ा के जाखन देवी मंदिर में यक्षों के निवास की पुष्टि होती है।
  • कुमाऊं क्षेत्र में स्थित नाग मंदिरों से यहाँ नागों के निवासों की पुष्टि होती है
  • पिथौरागढ़ में स्थित बीनाग या बेरीनाग सबसे प्रसिद्ध नाग मंदिर है ।
  • वर्तमान में किरातो के वंशज आज भी कुमाऊं क्षेत्र के अस्कोट एवं डीडीहाट में निवास करते है।
  • कालसी अभिलेख में यहां के निवासियों के पुलिंद तथा इस क्षेत्र के निवासियों के लिए अपरांत शब्द का प्रयोग किया गया है।
  • देहरादून के जौनसार भावर स्थित लाखामण्डल से राजकुमारी ईश्वरा का शिलालेख प्राप्त हुआ है, जिसके अनुसार यमुना उपत्यका में यादवों का राज्य था।
  • प्रथम एवं द्वितीय सदी की कुषाणकालीन मुद्राएं मुनि की रेती तथा सुमाड़ी से मिली है।
  • मोरध्वज स्तूप से तीसरी सदी के मुद्रा लेख प्राप्त हुए हैं।

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