उत्तराखंड से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 8)

  • उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में किस क्षेत्र में पाताल तोड़ कुएं मिलते है।
  • उत्तराखंड में अधिकांश पर्यटन स्थल शिवालिक श्रेणी में स्थित है। शिवालिक पहाड़ियों को प्राचीनकाल में मैनाक पहाड़ियों के नाम से जाना जाता था।
  • मसूरी (पहाड़ों की रानी), मध्य हिमालय श्रेणी में स्थित है।
  • प्राचीन ग्रंथों में वृहत्त हिमालयी (Greater Himalayan) क्षेत्र को हिमाद्री (बर्फ का घर) कहा गया है।
  • उत्तराखंड की सबसे ऊँची पर्वत चोटी नंदा देवी [7,816 meter (25,643 फीट)] है जो चमोली जिले में वृहत्तहिमालयी क्षेत्र में स्थित है।
  • उत्तराखंड के नरेन्द्र नगर (टिहरी) में सर्वाधिक मात्रा में वर्षा (318 cm) होती है।
  • उत्तराखंड में मुख्य केन्द्रीय भ्रंश रेखा (Main Boundary Thrust line), वृहत एवं मध्य हिमालय से होकर गुजरती है।
  • उत्तराखंड में भूकंप संबंधित जनजागरुकता हेतु फिल्म डांडी-काठी की गोद मां का प्रकाशन तथा ‘आपदा प्रबंधन’ नामक त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन भी कराया जा रहा है।
  • उत्तराखंड के सबसे पश्चिमी भाग में यमुना नदी एवं पूर्वी भाग में काली नदी ‘शारदा’ प्रवाहित होती है।
  • काली ‘शारदा’ नदी का उद्गम पिथौरागढ़ के उत्तर में स्थित लिपुलेख दर्रे के समीप जैकसन श्रेणी के पूर्वी ढाल का काला पानी नामक स्थान से होता है।
  • काली और गोरी नदी एक दूसरे से जौलजीवी (पिथौरागढ़) के पास मिलती है, इन्ही नदियों संगम पर प्रत्येक वर्ष जौलजीवी मेला लगता है। स्कन्द पुराण में काली नदी को श्यामा नदी कहा गया है तथा इसके जल को पवित्र नही माना गया है।
  • सूपिन नदी, टोंस की सहायक नदी है, जिसका उद्गम बंदरपूंछ पर्वत के स्वर्गराहिणी हिमनद से होता है।
  • गंगा नदी को गंगोत्री से देवप्रयाग तक भागीरथी के नाम से जाना जाता है जबकि देवप्रयाग के बाद इसे गंगा नदी के नाम से जाना जाता है।
  • उत्तराखंड में भागीरथी एवं गंगा नदी की लम्बाई क्रमश: 205 एवं 96 किमी है।
  • चन्द्रभागा नदी, गंगा की सहायक नदी है, जो दायी ओर से ऋषिकेश में गंगा नदी में मिलती है।
  • केदारखंड में अलकनंदा नदी, धौली, नंदाकिनी, पिण्डर, मंदाकिनी, भागीरथी व नयार नदियों को सप्त सामुद्रिक स्त्रोत कहा गया है।
  • भागीरथी नदी ‘सास’ और अलकनंदा नदी ‘बहु’ का मिलन देवप्रयाग (टिहरी) में होता है।
  • कोसी नदी का उदगम कौसानी बागेश्वर के समीप ‘धारपानीधार’ से होता है।
  • पश्चिमी धौलीगंगा की सहायक नदियाँ गणेश गंगा, ऋषिगंगा, कियोढ़ तथा गिरथी नदियाँ
  • नयार नदी, गंगा की सहायक नदी है, पौड़ी के व्यास घाट के समीप गंगा नदी में मिलती है।
  • स्कंद पुराण में नैनी झील (नैनीताल) को त्रि-ऋषि सरोवर के नाम से भी जाना जाता है।
  • गोरी नदी का उद्गम मिलम हिमनद से होता  है।
  • पूर्वी रामगंगा नदी, सरयू की सहायक नदी है, जो रामेश्वर तीर्थ के समीप सरयू नदी मे मिलती है।
  • पूर्वी रामगंगा नदी, का उद्गम पोटिंग एवं नामिक ग्लेशियर से होता है।
  •  नैनीताल जिले में स्थित भीमताल कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है। यह त्रिभुजाकार झील है।
  • नैनीताल जिले में स्थित नौकुचियाताल कुमाऊं मंडल की सबसे गहरी झील है, जिसकी गहराई 40 मी. है तथा इस झील के 9 कोने है।
  • नल दमयंती ताल, सातताल की एक प्रमुख झील है जिसका आकार पंच भुजाकार है।  श्यामला ताल (चंपावत) के किनारे विवेकानन्द आश्रम स्थित है, तथा यहाँ प्रत्येक वर्ष झूला मेला लगता है।
  • तड़ाताल (अल्मोड़ा) से जल निकासी हेतु 5 सुरंगों का निर्माण किया गया था।
  • लधिया नदी, काली की सहायक नदी है जो चंपावत में चूका नामक स्थान पर दाईं और से काली नदी में मिलती है।

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