उत्तराखंड से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 9)

रानी कर्णावती द्वारा करनपुर गाँव (देहरादून) में बसाया गया था।
अबू-फ़ज़ल इब्न मुबारक द्वारा लिखित आइन-ए-अकबरी (Ain-i-Akbari) में कुमाऊं प्रान्त को को दिल्ली सूबे के अंतर्गत दर्शाया गया है।
खंलगा दुर्ग उत्तराखंड के नालापानी (देहरादून) में स्थित है।
पंवार शासनकाल के अधिकांश अभिलेखों को गढ़वाली भाषा में लिखा गया है।
मालिनी नदी के तट पर स्थित कण्वाश्रम को बद्रीनाथ यात्रा का प्रथम बिंदु माना जाता है। कण्वाश्रम में ही राजा दुष्यंत व शकुंतला के पुत्र भरत का जन्म हुआ था, इन्ही भरत के नाम पर आगे चलकर हमारे देश का नाम भारत पड़ा।
हर्ष देव जोशी (कुमाऊं का चाणक्य) के अनुसार चन्द वंश का संस्थापक थोहर चन्द था।
उप्पूगढ़ (टिहरी गढ़वाल) के गढ़पति कफ्फू चौहान को पंवार वंश के राजा अजयपाल द्वारा पराजित किया गया था।
खानों से धातुएं प्राप्त करना उत्तराखंड की अगरिया जाति का मुख्य व्यवसाय था।
नरेंद्रनगर के महल (टिहरी गढ़वाल) को वर्तमान में आनंदा के नाम से जाना जाता है।
छमुना पातर, कत्यूरी शासक वीर धामदेव के शासनकाल में नृत्यागंना थी। वीर धामदेव  के  शासनकाल को ही कत्यूरी वंश का स्वर्ण काल कहा जाता है।
दीक्षित आयोग की रिपोर्ट में उत्तराखंड की राजधानी के लिए प्रथम स्थान देहरादून तथा द्वितीय स्थान काशीपुर को चुना गया था।
गोरखाओं द्वारा जोगा मल्ल शाह को उत्तराखंड का प्रथम सूबेदार नियुक्त किया गया था।
प्रत्येक वर्ष 18 दिसम्बर विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (World Minority Rights Day) मनाया जाता है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग उत्तराखंड का न्यूनतम सिक्ख आबादी वाला जिला है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड में सबसे कम व सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले जिले क्रमश: बागेश्वरहरिद्वार है।
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत सर्वप्रथम सिक्किम को खुले में शौच से मुक्त किया गया तथा 22 जून 2017 को उत्तराखंड एवं हरियाणा को भी खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक सिक्ख आबादी वाला जिला उधमसिंहनगर है।
कत्यूरी सैनिक रामू रजवार द्वारा नयार नदी के तट पर  तीलू रौतेली की हत्या की गयी थी।
6 फरवरी 1820 को डॉ॰ विलियम मूर क्राफ्ट (Dr. William Moore Craft) टिहरी गढ़वाल  का भ्रमण किया गया था।
वर्ष 1906 में स्वामी रामतीर्थ द्वारा भिलंगना नदी में जल समाधि ली गयी थी।
वर्ष 1855 में आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती का टिहरी गढ़वाल में  आगमन हुआ था।
खीराकोट आंदोलनखड़िया खनन से संबंधित है।
पंवार वंश के शासक मानशाह के शासन काल में यूरोपीय यात्री विलियम फिंच गढ़वाल की यात्रा पर आया था।
वर्ष 1921 में कुली बेगार आंदोलन (सरयू नदी के तट पर, बागेश्वर) के समय कुमाऊँ का डिप्टी कमिश्नर डायबिल था।
वर्ष 1932 जागृत गढ़वाल सभा की स्थापना की गयी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Latest from Blog