महमूद गजनवी के आक्रमण के समय भारत की स्थिति

किसी भी देश पर आक्रमण करने से पूर्व उसकी राजनीतिक ,आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त होना अति आवश्यक है, इस समय भारत में राजनैतिक एकता का आभाव शासकों में आपसी द्वेष था ,  इस स्थिति का लाभ उठाकर महमूद ग़ज़नवी (Mahmood Ghaznavi ) ने धन प्राप्ति के लिए भारत पर आक्रमण करना उचित समझा |

राजनीतिक स्थिति (Political situation) — 

इस समय भारत राजनीतिक दृष्टि से विभिन्न राज्यों में बंटा था — 

  • मुल्तान और सिन्ध दो मुस्लिम राज्य थे|
  • हिन्दू शाही राज्य का शासक जयपाल था, इसकी सीमाएं चिनाब नदी से हिन्दूकुश पर्वत तक विस्तृत थी तथा  इसकी राजधानी उद्भाण्डपुर थी।
  • कश्मीर में  ब्राह्मण वंश का राज्य था|
  • कन्नौज में प्रतिहार वंश का राज्य था|
  • दक्षिण के राष्ट्रकूट शासकों तथा उत्तर के पडोसी राज्यों से निरन्तर संघर्ष के कारण 11 वीं सदी के यह राज्य दुर्बल हो गया था|
  • बंगाल में पाल वंश |
  • दक्षिण भारत में परवर्ती चालुक्य और चोल वंश काफी शक्तिशाली थे, किन्तु वे आपसी युद्ध में संघर्षरत थे|

अतः यह स्पष्ट हैं कि उस समय भारतीय शासक काफी शक्तिशाली थे किन्तु उनमें एकता का अभाव था, आपसी संघर्ष के कारण उनकी शक्ति इतनी दुर्बल हो गयी थी कि वे तुर्को के आक्रमण को रोकने में असफल रहे|

सामाजिक स्थिति (Social status ) — 

इस समय भारतीय समाज छोटे वर्गों में विभाजित था| उच्च जाति के लोगों ने बड़ी संख्या में निम्न वर्गों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया था| अलबरूनी ने अपनी पुस्तक तारीख-ए-हिन्द में लिखा है कि भारतीय समाज मुख्यतः चार वर्गों विभक्त था जो जन्म पर आधारित थे –

  • ब्राह्मण,
  • क्षत्रिय,
  • वैश्य,
  • शुद्र

ब्राह्मणों को समाज में उच्च स्थान प्राप्त था, जैसे  —  स्तुति करना, वेदों का पाठ करना ,अग्नि को बलि देना आदि यह कार्य और कोई नहीं कर सकता था| इसके बाद क्षत्रियों का स्थान था| वैश्य और शूद्र को वर्ण व्यवस्था में नीचे स्थान प्राप्त था, इन्हें ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार नहीं था। वैश्य का कर्तव्य पशु-पालना, खेती और व्यापार था तथा  शूद्र, का कार्य उपरोक्त तीनों वर्गों की सेवा करना था |
अलबरुनी ने इन चारों वर्गों के नीचे मानव का एक विशाल समुदाय “अंत्यज” का उल्लेख किया है| इन्हें उपरोक्त समाज में  कोई स्थान प्राप्त नहीं था| इसके अंतर्गत  विशेष व्यवसाय या कला का अनुसरण करने वाले लोग थे, जैसे  —  धोबी, मोची, जादूगर, डलिया या ढाल बनाने वाले, नाविक, मछुवारे, बहेलिया (व्याक) तथा जुलाहा | इस में लुहार शामिल नहीं थे |
समाज में सबसे निम्न स्तिथि में हादी, डोम, चांडाल बडहातू आदि शमिल थे, इन्हें गंदा  काम सौंपा जाता था | जैसे —  गांव भर की मलमूत्र की सफाई |
छुवाछूत की भावना के कारण समाज की दशा शोचनीय हो गयी थी। जाति प्रथा कठोर थी जिसके कारण जाति  परिवर्तन, खान-पान तथा अन्तर्जातीय विवाह सम्भव नहीं थे तथा उच्च वर्गों में बहु-विवाह, बाल विवाह और सतीप्रथा का प्रचलन था, विधवा विवाह प्रचलन में नहीं था आदि सामाजिक बुराइयां थी |

धार्मिक स्थिति (Religious status) —

  • इस समय धर्म का चतुर्दिक पतन प्रारंभ हो गया था, धर्म की मूल भावना समाप्त होकर उसका स्थान कर्मकांडों ने ले लिया था |
    ज्ञान प्राप्ति के स्थान मठ अब विलासिता और निष्क्रियता के केंद्र बन गए थे |
  • बौद्ध और शाक्त धर्म के सम्मिश्रण के रूप में वाममार्गी संप्रदाय लोकप्रिय हो गया था जो मुख्यतः बंगाल और कश्मीर में था |
  • सुरापान मांस का प्रयोग और व्यभिचार वाममार्गी अनुयायियों की धार्मिक क्रियाओं का अंग था तथा मंदिरों में देवदासी प्रथा व्याप्त थी जो भ्रष्टाचार का मुख्य कारण बन गई थी |
  • शैव और वैष्णव धर्म सामान्य जनता और अर्ध  हिंदुओं के धर्म थे |
  • कौल संप्रदाय के अनुयाई बिना किसी प्रतिबंध के मांस मदिरा और नारी का आनंद में विश्वास करते थे |
  • नीलपट (नीलवस्तु)  भी एक सम्प्रदाय था, वे सदा स्त्रियों के साथ आलिंगन किए रहते थे और खुले आम उनके साथ मैथुन करते थे

आर्थिक स्थिति (Economic condition) —

इस काल में भारत आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक सम्पन्न था | भूमि उपजाऊ थी, विदेशी व्यापार अपनी उन्नत अवस्था में था, मंदिरों में अपार मात्रा में हीरे और जवाहरात थे| इसी अपार धन की प्राप्ति के लिए महमूद गजनवी भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित हुआ |
 

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