सौर विकिरण के द्वारा वायुमंडल तथा पृथ्वी के धरातलीय भाग पर प्राप्त होने वाली उष्मा (सूर्यातप) का मुख्य स्रोत सूर्य है जिससे लघु तरंगों के रूप में ऊर्जा प्राप्त होती है। सामान्यत: सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा को सूर्यातप कहते हैं। सूर्य दहकता हुआ गैस का गोला है जिसके कारण इसके चारों ओर सदैव अपरिमित ऊर्जा का विकिरण होता रहता है। सूर्य के तल का औसत तापमान 57000°C (6000°K) तथा केन्द्रीय भाग का तापमान 1.5 से 2.0 करोड़ केल्विन (K) है।
सौर स्थिरांक (Solar Constant)
पृथ्वी के धरातल पर 1 वर्ग सेमी में लम्बवत् रूप से पड़ने वाली सौर किरणों से प्राप्त विकरित ऊर्जा की मात्रा को सौर स्थिरांक कहते हैं। उष्मा की मात्रा की मानक इकाई, कैलोरी है। एक ग्राम कैलोरी, उष्मा की उस मात्रा को कहते हैं जो एक ग्राम पानी का ताप 14.5 डिग्री सेल्सियस से 15.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाने के लिए आवश्यक होती है। पृथ्वी के धरालत पर पहुँचने वाले सूर्यातप की मात्रा और प्रति इकाई क्षेत्रफल पर उसकी प्राप्ति मुख्यत: तीन कारकों पर निर्भर हैं। जो निम्न हैं –
- धरातल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों का झुकाव
- दिन की लंबाई अथवा धूप की अवधि
- वायुमंडल का पारगम्यता।
उपसौर (Perihelion)
जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य कम दूरी पर होती है तो तापमान अधिक होता है। 3 जनवरी को पृथ्वी, सूर्य के सबसे नजदीक होती है। इस दिन सूर्य और पृथ्वी के मध्य दूरी 9 करोड़ 15 लाख मील होती है। इस घटना को उपसौर (Perihelion) कहते हैं।
अपसौर (Upheliuon)
जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य सर्वाधिक दूरी होती है, तो इस स्थिति को अपसौर कहते हैं। 4 जुलाई को पृथ्वी और सूर्य के मध्य सर्वाधिक दूरी होती है जो 9 करोड़ 30 लाख मील होती है तो तापमान कम होता है। उसे यह स्थिति 4 जुलाई को होती है।
वायुमंडल का गर्म और ठंडा होना
अन्य सभी पदार्थों की तरह, हवा को भी निम्न तरीकों से गर्म होती है, यह विधियाँ निम्नलिखित हैं –
- विकिरण,
- संचालन
- संवहन
विकिरण (Radiation)
उष्मा तरंगों के संचार द्वारा सीधे गर्म होने को विकिरण कहते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें उष्मा बिना किसी माध्यम से होकर भी यात्रा कर सकती है। अत: वह ऊर्जा जो विशाल मात्रा पृथ्वी पर आती है, और वापस लौट जाती है, इसी प्रक्रिया का अनुसरण करती है। पृथ्वी से होने वाले विकिरण को भौतिक विकिरण कहते हैं।
संचालन
आण्विक सक्रियता द्वारा पदार्थ के माध्यम से उष्मा के संचार को संचालन कहते हैं। जब असमान ताप वाली दो वस्तुएँ एक-दूसरे के सम्पर्क में आती है तब अपेक्षाकृत गर्म वस्तु से ठंडी वस्तु में ऊर्जा का स्थानांतरण तब तक होता रहता है जब तक दोनों वस्तुओं का तापमान समान न हो जाए।
संवहन
किसी पदार्थ में एक भाग से दूसरे भाग और उसके तत्वों के साथ उष्मा के संचार को संवहन कहते हैं। संवहनीय संचरण केवल तरल तथा गैसीय पदार्थों में ही संभव है जिनमें अणुओं के बीच का सम्बन्ध कमजोर होता है।