मानसून की उत्पत्ति का जेट स्ट्रीम सिद्धांत

मानसून की उत्पत्ति के जेट स्ट्रीम सिद्धांत का प्रतिपादन येस्ट (Yest) द्वारा किया गया है। जेट स्ट्रीम हवाएं ऊपरी वायुमण्डल (9-18 किमी.) के बीच अति तीव्रगामी वायु प्रवाह प्रणाली है। मध्य भाग में इसकी गति अधिकतम (340 किमी./घंटा) होती है। ये हवाएँ पृथ्वी के ऊपर एक आवरण का कार्य करती हैं जो निम्न वायुमण्डल के मौसम को प्रभावित करती  हैं।
भारत में आने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून का संबंध उष्ण पूर्वी जेट स्ट्रीम से है। यह 8°N से 35°N अक्षांशों के मध्य चलती हैं। उत्तर-पूर्वी मानसून का संबंध (शीतकालीन मानसून) उपोष्ण पश्चिमी (पछुआ) जेट स्ट्रीम से है। पश्चिमी जेट स्ट्रीम हवाएँ 20° से 35° उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों अक्षांशों के मध्य चलती है।
पछुआ (उपोष्ण) पश्चिमी जेट स्ट्रीम द्वारा उत्तर पूर्वी मानसून की उत्पत्ति  शीतकाल में  पश्चिमी जेट स्ट्रीम संपूर्ण पश्चिमी तथा मध्य एशिया में पश्चिम से पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है। तिब्बत का पठार (Tibetan plateau), जेट स्ट्रीम (jet stream) के मार्ग में अवरोधक तरह कार्य करता है और इसे दो भागों में विभाजित कर देता है।

  • प्रथम शाखा उत्तरी दिशा में तिब्बत के पठार (Tibetan plateau) के समानान्तर प्रवहित होती है
  • द्वितीय शाखा हिमालय के दक्षिण-पूर्व में प्रवाहित होती है।

दक्षिणी शाखा की माध्य स्थिति फरवरी में लगभग 25°N अक्षांश के ऊपर होती है। इसका दाब स्तर 200 से 300 ml. होता है। पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance), जिसके कारण भारत में शीत ऋतु में वर्षा होती है, इसी जेट स्ट्रीम के द्वारा आता है तथा रात्रि के तापमान में वृद्धि इन विक्षोभों के आगमन का सूचक है।
पश्चिमी जेट स्ट्रीम के द्वारा ठंडी हवाओं का आगमन होता है, जिनके द्वारा भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में उच्च दाब (high pressure) का निर्माण होता है। ये शुष्क हवाएँ उच्च दाब ने निम्न दाब (बंगाल की खाड़ी) की ओर प्रवाहित होती हैं। इन हवाओं के कारण शीत ऋतु  में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) एवं बिहार (Bihar) में शीतलहर की स्थिति उत्पन्न होती है।
बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में पहुँचने के पश्चात ये हवाएँ दाएं ओर मुड़ जाती हैं और मानसून में परिवर्तित हो जाती हैं। तमिलनाडु (Tamil Nadu) के तट पर पहुँचने पर ये हवाएं, बंगाल की खाड़ी से जलवाष्प ग्रहण कर तमिलनाडु में वर्षा करती हैं।


पश्चिमी विक्षोभ ( Western Disturbance )

भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) में यूरोप की ठंडी वायुराशि एवं सहारा मरूस्थल (Sahara Desert) की गर्म वायुराशि के अभिसरण के कारण समशीतोष्ण चक्रवात (temperate cyclone) की उत्पत्ति होती है। यह समशीतोष्ण चक्रवात (temperate cyclone) भूमध्य सागर (Mediterranean Sea), अंध महासागर (Dark ocean) और कैस्पियन सागर (Caspian Sea) से नमी प्राप्त करता है। उपोष्ण कटिबंधीय जेट हवाएँ इस समशीतोष्ण चक्रवात (temperate cyclone) को भारत की ओर अग्रसर कर देती हैं।
अफगानिस्तान (Afghanistan), पाकिस्तान (Pakistan), उत्तर-भारत (North-India) एवं नेपाल (Nepal) में शीत ऋतु में वर्षा इसी पश्चिमी विक्षोभ के कारण होती है। उत्तरी राजस्थान में इसे मावट कहते हैं।

उष्ण पूर्वी जेट स्ट्रीम द्वारा दक्षिण पश्चिम मानसून की उत्पत्ति (Origin of southwest monsoon by warm eastern jet stream)

ग्रीष्म ऋतु में पश्चिमी जेट स्ट्रीम (western jet stream) का प्रवाह भारतीय उपमहाद्वीप में नहीं होता है, तथा यह हवाएँ तिब्बत के पठार (Tibetan plateau) से उत्तर की ओर प्रवाहित होती है। इस समय भारतीय उपमहाद्वीप में उष्ण पूर्वी जेट स्ट्रीम (warm eastern jet stream) होती है। उष्ण पूर्वी जेट स्ट्रीम (warm eastern jet stream) की उत्पत्ति का मुख्या कारण मध्य एशिया (Central Asia) व  तिब्बत के पठारी (Tibetan plateau) भागों के अत्यधिक गर्म होने को माना जाता है।
तिब्बत के पठारी (Tibetan plateau) भागों  से गर्म होकर ऊपर उठने वाली हवाओं का क्षोभमण्डल (troposphere) के मध्य भाग में घड़ी की दिशा में चक्रीय परिसंचरण प्रारंभ हो जाता है तथा यह गर्म हवाएँ क्षोभसीमा (troposphere) के समीप दो अलग-अलग धाराओं में विभाजित हो जाती है।

  • प्रथम धारा विषुवत वृत्त (equator) की ओर पूर्वी जेट स्ट्रीम (eastern jet stream) के रूप में
  • द्वितीय धारा उत्तरी ध्रुव की ओर पश्चिमी जेट स्ट्रीम (western jet stream) के रूप में

पूर्वी जेट स्ट्रीम (eastern jet stream) – यह हवाएँ भारत के ऊपरी वायुमण्डल में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होते हुए अरब सागर (Arabian Sea) में नीचे बैठने लगती है। जिससे वहाँ वृहत रूप से उच्च वायु दाब का निर्माण होता है।
इसके विपरीत जा भारतीय उप-महाद्वीप (Indian sub-continent) क्षेत्र में गर्म जेट स्ट्रीम (warm jet stream) प्रवाहित होती है तो सतह की हवा को ऊपर की ओर खींच लेती है तथा वहाँ वृहत निम्न वायु दाब का निर्माण होता है। इस निम्न दाब को भरने के लिए अरब सागर (Arabian Sea) के उच्च भार क्षेत्र से हवाएँ उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होने लगती हैं। इसे ही दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी पवन (southwest monsoon wind) कहा जाता है।
जेट स्ट्रीम की अवस्थिति के आधार पर जेट स्ट्रीम को चार भागों में  विभाजित किया गया है – 

1. ध्रुवीय वाताग्र जेट स्ट्रीम का निर्माण धरातलीय ध्रुवीय शीत वायुराशियों एवं उष्ण कटिबन्धीय गर्म वायुराशियों के सम्मिलन क्षेत्र (40°-60° अक्षांश) के ऊपर होता है। दो विपरीत वायु राशियों के कारण ताप प्रवणता (Thermal Gradient) अधिक होती है। ये पश्चिम से पूर्व दिशा में प्रवाहित होती हैं परन्तु ये अधिक अनियमित होती हैं।

2. उपोष्ण कटिबन्धीय पछुवा जेट स्ट्रीम (subtropical eastward jet stream) की स्थिति धरातलीय उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायु दाब की पेटी के उत्तर में (हेडिली कोशिका की ध्रुवीय सीमा के समीप) ऊपरी क्षोभमण्डल (troposphere) में अर्थात् 30°-35° अक्षांशों के ऊपर होती है। यह पश्चिम से पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है तथा ध्रुवीय वाताग्र जेट स्ट्रीम की तुलना में यह अधिक नियमित होती है।

3. उष्ण कटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम (Tropical Eastern Jet Stream) का आविर्भाव धरातलीय पूर्वी व्यापारिक हवाओं के ऊपर क्षोभमण्डल  (troposphere) में भारत (India) एवं अफ्रीका (Africa) के ऊपर ग्रीष्मकाल में होता है। इसका सम्बन्ध तिब्बत के पठार के ऊष्मन (Heating) से होता है तथा भारतीय मानसून (Indian monsoon) में इसका विशेष महत्व है।

4. ध्रुवीय जेट स्ट्रीम (Polar jet stream) को समताप मण्डलीय उपध्रुवीय जेट स्टीम जाता के नाम से भी जाना जाता हैं। इसका निर्माण सागर तल से 30 किमी. की ऊँचाई पर समतापमण्डल (Stratosphere) में शीत ध्रुव के ऊपर तीव्र ताप प्रवणता (Steep Thermal Gradient) के कारण शीत काल में होता है इस समय प्रबल पछुवा जेट स्ट्रीम (westward jet stream) का संचरण होता है किंतु, ग्रीष्म काल में इसका वेग कम हो जाता है और इसकी दिशा पूर्व की ओर हो जाती है।

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