संसद का संयुक्त सत्र (लोकसभा और राज्यसभा )

संविधान के अनु०- 108 के अंतर्गत संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की संयुक्त बैठक की व्यवस्था की गई है। इसके अंतर्गत किसी विधेयक पर गतिरोध उत्पन्न होने की स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा संयुक्त बैठक बुलाई जा सकती है या विधेयक को दूसरे सदन में 6 माह से अधिक समय  गया हो तो निम्न परिस्थितियों में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई जा सकती है —

  • यदि विधेयक को दूसरे सदन द्वारा अस्वीकृत कर दिया जाए ।
  • यदि सदन विधेयक में किए गए संशोधनों को मानने से असहमत हो।
  • दूसरे सदन द्वारा बिना विधेयक को पास किए 6 माह से अधिक का समय हो जाए।

दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है तथा उसकी अनुपस्थिति में लोकसभा उपाध्यक्ष द्वारा संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की जाति है । लोकसभा उपाध्यक्ष के भी अनुपस्थित होने पर संयुक्त सत्र अध्यक्षता राज्यसभा के उपसभापति द्वारा की जाती है उपसभापति के भी अनुपस्थित  होने पर संयुक्त अ की अध्यक्षता न में उपस्थित सदस्यों के मध्य निर्णय लिया जाता है की बैठक की अध्यक्षता कौन करेगा।
1950 से वर्तमान तक दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को अभी तक तीन बार बुलाया गया है –

  • दहेज़ प्रतिषेध  विधेयक (Dowry Prohibition Bill ) – 1960
  • बैंकिंग सेवा आयोग विधेयक (Banking Service Commission Bill ) – 1977
  • आतंकवाद निवारण विधेयक (POTA-Prevention of Terrorism Act) – 2002

Note:

धन विधेयक (Money Bill) के संबंध में संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है । क्योंकि धन विधेयक को राज्यसभा द्वारा अधिकतम 14 दिनों तक रोका  सकता है , नहीं तो यह दोनों सदनों से स्वंय ही पारित समझा जाएगा ।

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