- चंद वंश के शासक त्रिमलचंद द्वारा गढ़वाल नरेश श्यामशाह के दरबार में शरण ली गयी थी।
- कोसी का युद्ध वर्ष 1635 में चंद शासक त्रिमलचंद व गढ़वाल नरेश महिपतिशाह के मध्य लड़ा गया था।
- चंद वंश का अंतिम शासक महेन्द्रचंद्र था।
- चंद शासक इंद्रचंद ने चीन से वैवाहिक संबंध स्थापित किए थे।
- तांड कर – यह कर चंद शासनकाल में सूती एवं ऊनी वस्त्रों बुनकरों से लिया जाता था।
- सोमचंद ने अपने शासनकाल में चौथानी ब्राह्मणों की नियुक्ति की थी।
- गरुड़ ज्ञानचन्द सर्वाधिक समय तक कुमाऊं की गद्दी पर बैठने वाला राजा था।
- भारतीचंद प्रथम स्वतंत्र चंद शासक था, जो किसी अन्य राजा को कर नहीं देता था। भारतीचंद द्वारा ही कटकाली प्रथा की शुरुआत की गयी थी।
- बालो कल्याण चंद द्वारा नैलपोखर किले का निर्माण कराया गया था।
- त्रैवर्णिक धर्म नामक ग्रंथ की रचना रुद्रचंद्र द्वारा की गयी थी।
- बाज बहादुर चंद वंश का सबसे महानतम शासक था, जिसे बूढ़ा अत्याचारी शासक के नाम से भी जाना जाता है।
- जगतचंद, मुग़ल शासक बहादुर शाह प्रथम के दरबार में जाने वाला शासक था, जगतचंद द्वारा 1000 गायों को दान किया गया था।
- देवीचंद, को कुमाऊं का मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से भी जाना जाता है। विक्रमादित्य बनने के चाह में देवीचंद, ने कुमाऊं का सारा खजाना लूटा दिया था।
- देवीचंद ने दाऊद खां को अपना सेनापति नियुक्त किया था।
- मानिक गौडा व पूरनमल ने देवीचंद की हत्या कर अजीत चंद को कुमाऊँ का शासक नियुक्त किया था।
- चंद वंश के शासक कल्याणचंद को अनपढ़ शासक कहा जाता है, कल्याण चंद द्वारा मुग़ल शासक मुहम्मद शाह रंगीला को भेंट भेजी गयी थी।
- वर्ष 1740 ई. में अली अहमद खां द्वारा कटारमल के सूर्य मंदिर को ध्वस्त किया गया था।
- शिवदत्त जोशी, कल्याण चंद का दीवान था।
- दीपचंद गूंगा शासक था। इसके समय वास्तविक शक्तियां शिवदत्त जोशी के पास थी।
- शिवदत्त जोशी को कुमाऊं का बैरम खां के नाम से भी जाना जाता है।
- चंद साम्राज्य में राजा की जो अवैध संतानों को खगास संतान कहा जाता था।
- चंद वंश के शासक मोहन चंद द्वारा कुमाऊं में नागा बाबाओं की सेना तैयार की गयी थी। यह 2 बार कुमाऊँ की गद्दी पर बैठने वाला शासक था।
- चंद शासक, शिवचंद को मिट्टी का महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
- चंद साम्राज्य में नगद टैक्स देने वाले को सिरतान कहा जाता था।
- वर्ष 1883 ई. में हैनरी रैम्जे तराई क्षेत्र में इम्प्रूवमेन्ट फण्ड (Improvement fund) की स्थापना की गयी थी।
- ज्योतिराम कांडपाल द्वारा देघाट (अल्मोड़ा) में उद्योग मंदिर आश्रम की स्थापना की गयी थी।
- प्रत्येक वर्ष 24 दिसम्बर को स्व. इंद्रमणि बडोनी की जयंती को लोक संस्कृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Latest from Blog
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission) द्वारा 18 December 2022 को Uttarakhand Patwari/ Lekhpal Exam की…
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission) द्वारा 18 December 2022 को Uttarakhand Police Constable/ PAC/ IRB/ Agnishamak परीक्षा…
The Uttar Pradesh Public Service Commission conducts the Uttar Pradesh Combined State/Upper Subordinate Exam (UPPSC). UPPCS…
Uttar Pradesh Subordinate Services Selection Commission (UPSSSC) द्वारा आयोजित UP राजस्व लेखपाल Mains exam का आयोजन…
MPPSC (Madhya Pradesh Public Service Commission) द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Examination) – 2022 का हल …