उत्तराखंड से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 38)

अल्मोड़ा अखबार का प्रथम संपादक बुद्धि बल्लभ जोशी थे।
कत्यूरी वंश में ग्राम शासक को पाल्लिका कहा जाता था।
गोरखा शासको के शासनकाल में दास मंडी, हरिद्वार जिले के भीमगोड़ा नामक स्थान पर स्थित थी।
गोरखनाथ गुफा उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित है।
चंद वंश के शासक जगतचंद द्वारा जुआरियों (gamblers) पर कर लगाया गया था।
भर्तृहरि द्वारा नीतिशतकवैराग्यशतक नामक ग्रंथो की रचना की गयी थी।
वर्ष 1862 में कनिंघम द्वारा हरिद्वार का पुरातत्विक सर्वेक्षण किया गया था।
चंद वंश के शासक कल्याण चंद द्वारा चौमहला महल (अल्मोड़ा) का निर्माण करवाया  था।
विढ़म समिति का गठन कुली ऐजेंसी के संचालन हेतु किया गया था।
भागीरथी देवी उत्तराखंड की प्रथम महिला सत्याग्रही जबकि जगमोहन नेगी उत्तराखंड के प्रथम पुरुष सत्याग्रही थे।
डोला पालकी कुप्रथा के कारण महात्मा गाँधी जी ने उत्तराखंड में चल रहे व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
प्रताप सिंह नेगी को ब्रिटिश कुमाऊं में व्यक्तिगत सत्याग्रह का नायक कहा जाता है।
वर्ष 1903 में लार्ड कर्जन द्वारा रानीखेत (कुमाऊं) की यात्रा की गयी थी।
जोध सिंह नेगी द्वारा  गढ़वाल में कुली ऐजेंसी का गठन किया गया था।
काशीपुर में हुए कुमाऊं परिषद के 4th अधिवेशन में कुली बेगारी खत्म करने का निर्णय लिया गया था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता हरगोविंद ने की थी।
टिहरी जनपद में स्थित “चन्द्रबदनी मंदिर” को “स्कंद पुराण” में “भुवनेश्वरी पीठ” कहा गया है। यह मंदिर “चंद्रकूट पर्वत” पर स्थित है।
टिहरी जनपद में देवप्रयाग पर स्थित रघुनाथ मंदिर को स्कन्द पुराण में मुनेखरी पीठ कहा गया है।
तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर “चंद्रशिला पर्वत” पर स्थित है।

1 Comment

  1. ब्रिटिश गढ़वाल में व्यक्तिगत सत्याग्रह पर कब, किसने और किस कारण प्रतिबंध लगाया ?

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