उत्तराखंड से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 5)

  • वर्ष 2002 में गढ़वाल विश्वविद्यालय (श्रीनगर) द्वारा मलारी ग्राम (चमोली जिले) के प्रागैतिहासिक पुरास्थल की खुदाई की गयी थी।
  • उत्तरकाशी  (Uttarkashi) के हुडली से प्राप्त शैल चित्रों में नीले रंग (Blue Colour) का प्रयोग किया गया हैं
  • कसार देवी (अल्मोड़ा) में 14 नर्तकों के शैलचित्रों का सुंदर चित्रण किया गया है।
  • उत्तराखंड का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जिसमें इस क्षेत्र के लिए देवभूमि एवं मनीषियों की भूमि कहा गया है।
  • स्कन्द पुराण में हरिद्वार से हिमालय तक के क्षेत्र को केदारखंड (गढ़वाल) तथा नंदादेवी पर्वत से कालागिरि तक के क्षेत्र को मानसखंड (कुमाऊँ) कहा गया है।
  • नंदा देवी पर्वत केदारखण्ड व मानसखंड की विभाजन रेखा पर स्थित है।
  • पुराणों में मानसखंड और केदारखंड के संयुक्त क्षेत्र को उत्तराखंड, ब्रह्मपुर एवं खसदेश कहा गया है।
  • बौद्ध साहित्यों में उत्तराखंड, के लिए हिमवंत शब्द का प्रयोग किया गया है।
  • वर्ष 1515 में गढ़वाल के 52 गढ़ों को पंवार वंश के शासक अजयपाल द्वारा विजित करने के पश्चात इस क्षेत्र को गढ़वाल नाम से जाना जाने लगा।
  • कुबेर की राजधानी का नाम अल्कापुरी था, तथा मनुष्यों के आदि पूर्वजों का निवास स्थान को भी अल्कापुरी ही कहा गया है।
  • माणा ग्राम, बद्रीनाथ के समीप गणेश नारद, मुचकुंद व्यास एवं स्कन्द गुफाएं स्थित है।
  • भगवान राम ने अपने अंतिम समय में देवप्रयाग में तपस्या की थी, तथा लक्ष्मण द्वारा अपने अंतिम समय में तपोवन (टिहरी) में तपस्या की थी।
  • देवप्रयाग (गढ़वाल क्षेत्र) की सितोनस्यूं पट्टी में ही सीता माता पृथ्वी में समायी थी, इसी कारण प्रतिवर्ष यहाँ मनसार का मेला भी लगता है।
  • प्राचीन ग्रंथो में केदारनाथ को शृंगतुंग कहा गया है।
  • महाभारत के वन पर्व में लोमश ऋषि के साथ पांडवों के बद्रीनाथ यात्रा पर आने का वर्णन है।
  • राजा विराट की पुत्री उत्तरा का विवाह अर्जुन व सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु से हुआ था।
  • पुलिंद राजा सुबाहु की राजधानी श्रीनगर थी तथा राजा विराट की राजधानी विराटगढ़ी (जौनसार) में स्थित थी।

स्कन्द पुराण में हिमालय को 5 खण्डों में विभाजित किया गया है –

  • नेपाल हिमालय (काली नदी से तीस्ता नदी के मध्य का क्षेत्र)
  • केदारखण्ड (हरिद्वार से हिमालय तक का क्षेत्र)
  • कश्मीर या पंजाब हिमालय (सिंधु नदी से सतलुज नदी के मध्य का क्षेत्र)
  • जालंधर हिमालय
  • मानसखण्ड (नंदादेवी पर्वत से कालागिरि तक का क्षेत्र)

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