गठन – 21 अप्रैल 1960
मुख्यालय- रिकांगपिओ
भाषा – किन्नौरी , जाँगियाम , सुमिचो
किन्नौर, हिमाचल प्रदेश के उत्तर-पूर्व में स्थित एक जिला है। किन्नौर जिले की मुख्य भर्ती है इसका मुख्यालय रिकांग पिओ है। ऊंचे-ऊंचे पहाडों और हरे-भरे पेडों से घिरा यह क्षेत्र ऊपरी, मध्य और निचले किन्नौर के भागों में बंटा हुआ है। किन्नौर, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 250 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 22 पर स्थित है।
यह जिला पहले महासू जिले के चीनी तहसील के नाम से जाना जाता था और इसे 1 मई 1960 को एक स्वतंत्र जिले के रूप में स्थापित किया गया था। किन्नौर राज्य रामपुर बुशहर राज्य का एक हिस्सा था। यहाँ के प्रसिद्ध राजा-प्रतिपाल, चतरसिंह और केहरी सिंह थे, जिन्हें ‘अजान बहू’ के नाम से भी जाना जाता है। 13 नवम्बर 1914 को बुशहर रियासत का अंतिम शासक राजा पद्मसिंह गद्दी का बैठा तथा उसने 1947 तक शासन किया। सन् 1948 में बुशहर राज्य केंद्र शासित चीफ कमीश्नर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बना। 1960 तक वर्तमान किन्नौर जिला, महासू जिला की मिनी तहसील बना। 21 अपै्रल, 1960 को किन्नौर हिमाचल प्रदेश का छठा जिला बना।
जनसांख्यिकी (Demographics):
जनसांख्यिकी 2011 के अनुसार-
- क्षेत्रफल (Area): 6401 Sq. Km.
- जनसँख्या (Population): 84,121
- पुरुष (Men- जनगणना2011 के अनुसार):46,249
- महिलाएं (Women- जनगणना2011 के अनुसार):37,872
- लिंग अनुपात (Sex Ratio)(प्रति 1000): 819
- साक्षरता (Literacy): 80.00% (87.27% male), (70.96% female)
- उप मंडल (Sub division): 3 (पूह, निचार और कल्पा (भावनगर))
- तहसीलें & उप तहसीलें (Tahsils & Sub-Tehsils): 7 (5 तहसील और 2 उप-तहसील)
- विकास खण्ड (Development Section): 3 (पूह, निचार और कल्पा)
- ग्राम पंचायतें (Village panchayats): 65
किन्नौर जिले की घाटियां (Valleys in Kinnaur District):
- सतलुज घाटी- किन्नौर की सबसे बड़ी घाटी है
- रोपा घाटी- यहा किन्नौर जिले का अन्तिम गाँव (रोपा गाँव) है, यह गाँव सेव, अखरोट, खुर्मानी, बदाम आदि के लिए प्रसिद्ध है।
- हाँगरं घाटी
- बस्पा घाटी- इस घाटी को सांगला घाटी के नाम से भी जाना जाता है सांगला घाटी का सबसे ऊंचा गांव छितकुल है। ये किन्नौर की सबसे सुंदर घाटी है।
किन्नौर जिले की पर्वत श्रृंखलाएं (Mountain ranges in Kinnaur District):
- शिल्ला पर्वत श्रृंखला (7025 मीटर)- ये हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला है।
- लियो पारजील पर्वत (6791 मीटर)- हिमालय के पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में ज़ांस्कर रेंज के दक्षिणी छोर पर स्थित है।
- शिपकी पर्वत श्रृंखला (6608 मीटर)
- किन्नर कैलाश पर्वत श्रृंखला (6500 मीटर)
- ग्रेनाइट पीक (6,585 मीटर)
किन्नौर जिले की नदिया (Rivers in Kinnaur District):
- सतलुज नदी- सतलुज नदी किन्नौर को दो परस्पर भागों में काटती है।
- रोपा नदी- रोपा नदी शियाशु के पास सतलुज में मिलती है।
- कासांग , तेती , यूला , मुलन, स्पीति, और बस्पा सतलुज की कन्नौर में सहायक नदियां है।
किन्नौर जिले की झीलें (The Lakes in Kinnaur District):
- नाको झील- नाको, कल्पा से 117 किमी की दूरी पर स्थित है। हंगरांग घाटी में स्थित यह गांव समुद्र तल से 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गांव यहां की नाको झील के कारण भी लोकप्रिय है जिसमें गर्मियों के दौरान नौकायान की सुविधा उपलब्ध है। सर्दियों में इस झील का पानी जम जाता है और उसमे स्केटिंग की जाती है।
किन्नौर जिले के मंदिर (Temple in Kinnaur District):
- पूह गोम्पा
- नामगया गोम्पा
- कानाम गोम्पा
- नाको गोम्पा
किन्नौर जिले के त्यौहार व उत्सव (Festivals of Kinnaur district):
- लोसर उत्सव- नववर्ष के आगमन पर लगता है।
- फुलेच उत्सव- यह जिला स्तरीय मेला है जो सितंबर महीने में लगता है।
- छतरैल त्यौहार- यह त्यौहार चारगांव में चैत्र माह में मनाया जाता है।
- दाखेरनी त्यौहार- सावन के महीने में मनाया जाता है।
- तोशिम त्यौहार- यह त्यौहार अविवाहित पुरुषों द्वारा मनाया जाता है, इसमें स्थानीय शराब ‘घाती’ का सेवन किया जाता है।
- फागुली , साजो , जागरो, खेपा , छाँगो शेशुल , ईरटंग
किन्नौर जिले का लोक नृत्य एवं लोकगीत (Folk dance and Folk song of Kinnaur district):
- लोकनृत्य: राक्षश नृत्य, छम्ब, क्यांग, बाक्यांग, बायांग्चू , जातरू क्यांग, जापरो
- लोकगीत: —-
किन्नौर जिले की प्रमुख जल विद्युत परियोजना(Major hydroelectric project in Kinnaur district):
- संजय जल विद्युत परियोजना (120 MW)- ये भाभा खंड सतलुज की सहायक नदी पर स्तिथ 1989 में बनाई गयी एशिया की प्रथम भूमिगत जल विद्युत परियोजना है।
- बसपा परियोजना (300MW)- सतलुज की सहायक नदी, बसपा नदी पर बनाई गयी है।
- नाथपा झाकड़ी परियोजना (1500 MW)- केंद्र-राज्य की संयुक्त परियोजना है जिसे सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड ने बनाया है
- सोंगटोंग परियोजना (402MW)- किन्नौर में सतलुज नदी पर ये परियोजना निर्माणाधीन है।
- टीडोंग परियोजना (100MW)- किन्नौर में सतलुज नदी पर ये परियोजना निर्माणाधीन है।
- खाब परियोजना (1020MW)- किन्नौर में सतलुज नदी पर ये परियोजना निर्माणाधीन है।
- जांगी थोपन परियोजना (960 MW)- किन्नौर में सतलुज नदी पर ये परियोजना निर्माणाधीन है।
किन्नौर जिले के कुछ मुख्य तथ्य (Some key facts of Kinnaur district):
- चीनी- 1895 में गठित यह तहसील किन्नौर का मुख्यालय भी रहा है। यह लॉर्ड डलहौजी का पसंदीदा निवास स्थान था। लॉर्ड डलहौजी ने चीनी में रहते हुए हिंदुस्तान तिब्बत सड़क का निर्माण करवाया था।
- कल्पा- कल्पा रिकांगपिओ से पहले किन्नौर का मुख्यालय था।
- छितकुल- यह बसपा घाटी का अंतिम गांव है।
- कामर- बुशहर रियासत की प्राचीन राजधानी कामरू में स्थिति थी। यहां के पांच मंजिला शाहि दुर्ग में कामाक्षा देवी का मंदिर है।
- किनौर के कड़छम में भेड़ प्रजनन केंद्र है।
- किनौर में 1890 में पहला प्राइमरी स्कूल चीनी में खुला।
- छम्मू पुरुषों द्वारा पहने जाने वाली कमीज है।
- थेपांग हिमाचली टोपी का नाम है।
- छानली शाल का नाम है।
- छमू सुथन ऊनी पजामा है।
- डोरी, चोली और गचांग महिलाएं पहनती है।
- किनौर में नाश्ते को खाऊ ,दोपहर के भोजन को शिल, और रात्रि के भोजन को खाऊ कहा जाता है
- रिब्बा (किनौर) को अंगूरों की भूमि कहा जाता है।