महाकवि कालिदास (Mahakavi Kalidas)
महाकवि कालिदास उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे हैं। इन्हें भारत का शेक्सपियर (Shakespeare of India) भी कहा जाता है, इनके द्वारा रचित अभिज्ञान शकुंतलम का अनेक भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
कालिदास द्वारा भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर अनेकों रचनाएँ की गयी। उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं और उनकी उपमाएँ बेमिसाल हैं।
रचनाएँ
महाकवि कालिदास द्वारा संस्कृत में लगभग 40 रचनाएँ की गयी हैं, इनमे से उनके द्वारा लिखित रचनाएँ निम्नलिखित है –
- नाट्य – अभिज्ञान शाकुंतलम्, विक्रमोर्वशीयम्, मालविकाग्निमित्रम्
- महाकाव्य – रघुवंशम्, कुमारसंभवम्
- खंडकाव्य – मेघदूतम्, ऋतुसंहार
नाटक
मालविकाग्निमित्रम् (Malavikagnimitram) – इसे कालिदास द्वारा रचित प्रथम रचना माना जाता है, जिसमें शुंग शासक अग्निमित्र व मालविका के प्रेम-संबंध की कहानी है।
अभिज्ञान शाकुंतलम् (Abhigyan Shakuntalam) – इसे कालिदास द्वारा रचित प्रथम रचना माना जाता है, जिसका अनुवाद अंग्रेज़ी और जर्मन के अतिरिक्त अनेक भाषाओं में हुआ है। इसमें राजा दुष्यंत व शकुंतला (ऋषि विश्वामित्र और मेनका की पुत्री) के प्रेम – प्रसंग का वर्णन है।
विक्रमोर्वशीयम् (Vikramorvashiyam) – इसमें राजा पुरूरवा व उर्वशी (इंद्रलोक की अप्सरा) के प्रेम-संबंध का वर्णन करने हैं।
महाकाव्य
रघुवंशम् (Raghuvansham) में संपूर्ण रघुवंशी के राजाओं वर्णन हैं, तथा कुमारसंभवम् (Kumarasambhava) में कार्तिकेय के जन्म व शिव-पार्वती की प्रेमकथा का वर्णन है।
खंडकाव्य
मेघदूतम् (Meghdootam) – एक गीतिकाव्य है जिसमें यक्ष द्वारा मेघ से संदेश ले जाने की प्रार्थना और उसे प्रियतमा के पास भेजने का वर्णन है। मेघदूत के दो भाग हैं-
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- पूर्वमेघ
- उत्तरमेघ
ऋतुसंहारम् – इसमें ऋतुओं के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया गया है।
भर्तृहरि (Bhatrihari)
भर्तृहरि, चंद्रगुप्त द्वितीय के ज्येष्ठ भ्राता तथा उज्जैन के शासक जिन्होंने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी। उत्तर प्रदेश के चुनार नामक स्थल को भर्तृहरि की साधना स्थली तथा सरिस्का (अलवर – राजस्थान) में उनकी समाधि स्थली है।
भर्तृहरि द्वारा रचित शतकत्रय (नीतिशतक, शृंगारशतक, वैराग्यशतक) की उपदेशात्मक कहानियाँ का भारतीय जनमानस को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं।
रचनाएँ
- नीतिशतक
- शृंगारशतक
- वैराग्यशतक
अन्य ग्रंथ
- मीमांसा सूत्र वृत्ति,
- वेदांत सूत्र वृत्ति,
- वाक्यप्रदीय वृत्ति,
- भागवृत्ति,
- शब्द धातु समीक्षा,
- त्रिपदी (महाभाष्य)
- दीपिका (महाभाष्य)
बाणभट्ट (Bāṇabhaṭṭa)
सातवीं शताब्दी में बाणभट्ट (Bāṇabhaṭṭa) कन्नौज के शासक हर्षवर्धन के राजदरबारी कवि और संस्कृत के गद्य लेखक थे।
रचनाएँ
- हर्षचरितम् (Harshacharitam) – इसमें राजा हर्ष के जीवन चरित्र का वर्णन है।
- कादम्बरी (Kadambari)
- ‘चंडीशतक’ – मार्कंडेय पुराण के देवी महात्म्य पर आधारित
- ‘पार्वती परिणय’ (नाट्य) है।
भवभूति (Bhavabhuti)
भवभूति कन्नौज के शासक यशोवर्मन के दरबारी कवि एवं सर्वश्रेष्ठ नाटककार थे, इनके नाटकों को कालिदास के समकक्ष माना जाता हैं। महावीरचरितम् (Mahavicharitam) की प्रस्तावना में भवभूति (Bhavabhuti) ने अपने बारे में लिखा है कि वह विदर्भ देश के श्री भट्टगोपाल के पुत्र है, जिनका निवास स्थान ‘पद्यपुर’ था।
रचनाएँ
- मालती माधव (Malti Madhav,)
- महावीरचरितम् (Mahavicharitam)
- उत्तर रामचरितम्म
Note : भवभूति को भारतीय मिल्टन’ भी कहा जाता है।