मध्य प्रदेश – जलवायु क्षेत्र (Climate zone)

वायुमंडल में होने वाला अल्पकालिक परिवर्तन मौसम तथा मौसम में होने वाले दीर्घकालिक परिवर्तन को जलवायु कहते है जिसका प्रभाव एक विस्तृत क्षेत्र और पर्यावरण पर पड़ता है। कर्क रेखा, मध्य प्रदेश के मध्य से गुजरती है जिसके कारण मध्य प्रदेश की जलवायु मानसूनी प्रकार (उष्णकटिबंधीय) की है। यहाँ की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों में समुद्र तट से दूरी, अक्षांशीय स्थिति, औसत ऊँचाई, प्राकृतिक वनस्पति, धरातलीय स्वरूप, वायु दिशा आदि प्रमुख हैं। मध्य प्रदेश की जलवायु को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है –
मध्य प्रदेश जलवायु क्षेत्र

उत्तर का मैदानी क्षेत्र (North plains) 

समुद्र से दूर स्थित होने के कारण उत्तर के मैदानी क्षेत्र की जलवायु महाद्वीपीय प्रकार की है। जिस कारण यहाँ ग्रीष्म ऋतु में मौसम अधिक गर्म तथा शीत ऋतु में मौसम अधिक ठंडा होता है।
गर्मियों में उत्तर के मैदानी क्षेत्र का औसत तापमान 40°C से 45.5°C तथा शीत ऋतु में 15°C-18°C के मध्य रहता है।

मालवा का पठार (Plateau of Malwa) 

सम जलवायु होने के कारण मालवा क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु में न तो अधिक गर्म होती है  और न ही शीत ऋतु में अधिक ठंड। मालवा क्षेत्र का औसत तापमान गर्मियों में 40°C से 42°C तथा  सर्दियों में तथा 10°C से 15°C के मध्य रहता है।
मालवा क्षेत्र में भी मानसूनी हवाओं का प्रभाव रहता है तथा इन्ही मानसूनी पवनों के द्वारा इस क्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा होती है। मानसूनी पवनों के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने पर यहाँ  वर्षा की मात्रा घटती जाती है।

बघेलखंड का पठार (Plateau of Baghelkhand)

इस क्षेत्र की जलवायु भी मानसूनी प्रकार की है। बघेलखंड क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु का औसत वार्षिक तापमान 35.5°C तथा शीत ऋतु का औसत वार्षिक तापमान 12.5°C के रहता है।
सोन नदी, बघेलखंड पठारी क्षेत्र से होकर बहने वाली प्रमुख नदी है, जिसमें औसत वार्षिक वर्षा लगभग 125 Cm होती है।

विंध्य पर्वतीय क्षेत्र (Vindhya Range) 

विंध्य पर्वतीय क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु में न तो अधिक गर्म होती है और न ही शीत ऋतु में अधिक ठंड पड़ती है। मध्य प्रदेश के प्रमुख स्थल पंचमढ़ी एवं अमरकंटक इसी पर्वतीय क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।

विंध्य पर्वतीय क्षेत्र में वर्षा दक्षिण-पश्चिमी मानसून की दोनों शाखाओं (अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी) से आने वाले मानसून के द्वारा वर्षा होती है।

नर्मदा घाटी क्षेत्र (Narmada Valley Area)

कर्क रेखा (Cancer Line) के समीप स्थित होने के कारण नर्मदा घाटी क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु में मौसम अधिक गर्म किन्तु शीत ऋतु में सामान्य ठंड रहती है ।
नर्मदा घाटी क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ  नर्मदा, दुधी, तवा तथा शक्कर आदि हैं। यहाँ वर्षा सामान्यतः 57.5 – 143 Cm  के मध्य होती है तथा वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर काम होती जाती है।

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