वर्षा पर आधारित होने के बावजूद भी प्रायद्वीपीय नदियों में प्रचुर मात्रा में जल संग्रहण की क्षमता हैं। वर्तमान में मध्य पदेश में 81.50 लाख हेक्टेयर मीटर पानी सतह में उपलब्ध है। मध्य प्रदेश को जल उपलब्ध कराने वाली प्रमुख नदियों में उत्तर में चंबल, बेतवा, सिंध और केन, दक्षिण में नर्मदा और वेनगंगा, पूर्व में सोन और टोंस तथा पश्चिम में माही और ताप्ती नदियाँ सम्मिलित हैं।
मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम कृषि के विकास के लिए वर्ष 1927 में पगारा बांध (ग्वालियर) का निर्माण किया गया। वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश से 14 जिलों को अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की गयी। वर्तमान में मध्य प्रदेश में 14 बड़ी, 103 मध्यम और 3275 लघु परियोजनाओं के साथ मध्य प्रदेश में अब 20.40 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता उपलब्ध है। जिनमें से राज्य में 12 बड़ी, 89 मध्यम और 4506 लघु परियोजनाएँ पूर्ण हो गई हैं।
- मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सिंचाई कुएँ एवं नलकूप द्वारा होती है। उसके पश्चात् नहरों एवं तालाबों से सिंचाई का प्रतिशत सर्वाधिक है।
- मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम वर्ष 1923 में वैनगंगा नहर का निर्माण बालाघाट जिले किया गया।
- मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सिंचाई दतिया जिले (66.46 %) तथा सबसे कम सिंचाई डिंडोरी जिले (0.58 %) होती है।
- मध्य प्रदेश में तवा परियोजना द्वारा सर्वाधिक क्षेत्रफल में सिंचाई होती है।
- मध्य प्रदेश में उपलब्ध जल संसाधनों के समुचित विकास के लिए वर्ष 1956 में जल संसाधन विभाग की स्थापना तथा वर्ष 1976 में मध्य प्रदेश सिंचाई उद्वहन निगम की स्थापना की गई।
- मध्य प्रदेश की औसत वार्षिक वर्षा 75-125 Cm है।
मध्य प्रदेश में सिंचाई के साधन
कुआँ एवं नलकूप
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सिंचाई कुओं (wells) द्वारा की जाती है।
नलकूपों (Tubewells) को सिंचाई के आधुनिक साधनों के रूप में प्रयोग किया जाता है। नलकूपों को आधुनिक युग का कुआँ भी कहा जाता है। वर्तमान में मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़ आदि जिलों में मुख्यत: नलकूपों के ही माध्यम से सिंचाई की जाती है।
नहर एवं तालाब
मध्य प्रदेश में कुओं व नलकूपों के पश्चात सिंचाई साधन के रूप सर्वाधिक नहरों का प्रयोग किया जाता है। सिंचाई के आधुनिक साधनों के रूप में नहरों का प्रयोग किया जाता है।
वह क्षेत्र जहाँ वर्षा के जल को एकत्र कर उसका प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है, तालाब कहलाता है । मध्य प्रदेश की भौतिक संरचना तालाबों तथा नहरों के लिये अधिक अनुकूल है।
मध्य प्रदेश में सिंचाई के क्षेत्र
अधिक सिंचाई वाले क्षेत्र
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सिंचाई वाले क्षेत्रों में चंबल तथा नर्मदापुरम/होशंगाबाद संभाग आते हैं तथा इन्हीं क्षेत्रों में सिंचाई के साधनों का सर्वाधिक विकास विकास हुआ है । राज्य में सर्वाधिक सिंचाई मध्य नर्मदा घाटी, चंबल बेसिन, मालवा पठार, बुंदेलखंड उच्च भूमि एवं वेनगंगा घाटी क्षेत्रों में की जाती है।
कम सिंचाई वाले क्षेत्र
मध्य प्रदेश के पश्चिमी भागों जैसे – सतपुड़ा, मैकल पठार, रीवा-पन्ना पठार आदि क्षेत्रों में छिछली अनुपजाऊ मिट्टी, ऊबड़-खाबड़ धरातल, वनों की सघन स्थिति होने के कारण इन क्षेत्रों में सिंचाई के साधनों का विकास नहीँ हुआ । इसके अंतर्गत मध्य प्रदेश के अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला आदि जिले आते हैं।