मध्य प्रदेश – भौतिक संरचना (Physical Structure)

मध्य प्रदेश को उसकी भौतिक परिस्थितियों के आधार पर 3  प्राकृतिक प्रदेशों  में वर्गीकृत किया गया है।
natural region of mp

मध्य उच्च प्रदेश (Middle High Region) 

मध्य उच्च प्रदेश त्रिभुज के आकार का एक पठारी प्रदेश (plateau region) है, जो नर्मदा, सोन घाटियों एवं अरावली श्रेणियों के मध्य स्थित है। नर्मदा सोन घाटी के उत्तर में स्थित कैमूर, भांडेर तथा विंध्याचल पर्वत श्रेणियाँ मध्य उच्च प्रदेश का ही भाग हैं। इन पर्वत श्रेणियों से निकलने प्रमुख नदियाँ – चंबल, केन, काली सिंध, बेतवा तथा पार्वती उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होते हुए यमुना नदी में समाहित हो जाती हैं, इसी कारण मध्य उच्च प्रदेश को गंगा के बेसिन का ही भाग माना जाता है। इन प्रदेशों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है –

  • मध्य भारत का पठार (चंबल उप-आर्द्र प्रदेश )
  • रीवा-पन्ना का पठार (विंध्यन कगारी प्रदेश)
  • मालवा का पठार
  • बुंदेलखंड का पठार
  • नर्मदा-सोन घाटी

मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्वत

मध्य भारत का पठार (चंबल उप-आर्द्र प्रदेश )

  • मध्य भारत के पठार का विस्तार पूर्व में बुदेलखंड के पठार से पश्चिम में राजस्थान की उच्च भूमि तथा उत्तर में यमुना के मैदान से दक्षिण में मालवा के पठार तक है।
  • सीमांत भ्रंश द्वारा यह पठार पश्चिमी भाग में अरावली श्रेणी से पृथक होता है। इस क्षेत्र में दोमट मृदा से ढकी हुई अवसादी चट्टानें पाई जाती हैं। इस क्षेत्र के अंतर्गत निम्न जिले आते है जैसे – भिंड (सबसे कम वर्षा प्राप्त करने वाला जिला), मुरैना, ग्वालियर, गुना, शिवपुरी नीमच व मंदसौर आदि।
  • इस क्षेत्र में लगभग 75 Cm औसत वार्षिक वर्षा होती है। इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ पार्वती, चंबल, कुनु, काली सिंध, कुंवारी आदि हैं।
  • मध्य भारत के पठार की जलवायु महाद्वीपीय प्रकार की है। इस क्षेत्र में पाई जाने वाली  जलोढ़ एवं काली मृदा, कृषि की दृष्टि से गेहूं, बाजरा, ज्वार के लिए उत्तम हैं। खनिज की दृष्टि से यह क्षेत्र अधिक संपन्न नहीं है।

रीवा-पन्ना का पठार (विंध्यन कगारी प्रदेश)

  • मालवा पठार के उत्तर-पूर्व में स्थित रीवा-पन्ना पठार को विंध्यन कगारी प्रदेश के नाम से भी जाना जाता हैं।  इन क्षेत्रों में लाल, पीली और बलुई मृदा मिलती है।
  • केन, टोंस, सोनार, बीहड़ और व्योरमा इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ तथा  चचाई, केवटी, बहुटी तथा पूखा इस पठार के प्रमुख जलप्रपात हैं। विंध्यन कगारी प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 125 Cm है।
  • मध्य प्रदेश सतना व पन्ना जिले में पाए जाने वाले महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ  क्रमशः चूना पत्थर एवं हीरा हैं।

मालवा का पठार

  • मालवा पठार के पश्चिमी भाग को मध्य उच्च प्रदेश के नाम से  जाना भी जाना जाता है। कर्क रेखा (Cancer line), मालवा पठार के लगभग मध्य से होकर गुजरती है।
  • भोपाल, राजगढ़, मंदसौर, देवास, सीहोर, उज्जैन, गुना, रायसेन, सागर,  इंदौर, रतलाम, धार एवं झाबुआ जिलों में मालवा के पठार का विस्तार है।
  • मालवा पठार की औसत ऊँचाई लगभग 500 meter है। सिगार (881 meter) इस पठार की सबसे ऊँची चोटी है। ज्वालामुखी लावा  के द्वारा निर्मित होने के कारण इस क्षेत्र में काली मृदा पाई जाती है।
  • इस क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रमुख नदियां क्षिप्रा, चंबल, काली सिंध, माही, सोनार, बेतवा, पार्वती आदि हैं। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 75 – 125 Cm के मध्य होती है।

बुंदेलखंड का पठार 

  • बुंदेलखंड पठार का विस्तार मध्य प्रदेश के मध्य उत्तरी भाग में है। इस  पठार के पूर्व में बघेलखंड, पश्चिम में मध्य भारत का पठार, उत्तर में यमुना का मैदान  तथा दक्षिण में विंध्याचल पर्वत स्थित है।
  • इसकी औसत ऊँचाई उत्तर में 150 meter से लेकर दक्षिण में 400 meter तक है।
  • सिद्धबाबा (1172 meter) इस पठार की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है। जिसका ढाल उत्तर की तरफ है।
  • बुंदेलखंड पठार का निर्माण ग्रेनाइट-नीस से हुआ है।
  • इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ सिंध, केन, बेतवा तथा धसान हैं। यहाँ  औसत वार्षिक लगभग 70 – 100 Cm के मध्य होती है तथा इस क्षेत्र की प्रमुख फसल ज्वार तथा तेंदू पत्ता प्रमुख वन उपज है।

नर्मदा-सोन घाटी 

  •  मध्य प्रदेश के निचले प्रदेश में नर्मदा-सोन घाटी का विस्तार है, जिसकी औसत ऊँचाई लगभग 300 meter है। यह घाटी पश्चिम से उत्तर-पूर्व तक एक लंबी और सँकरी भ्रंश घाटी के रूप में विस्तृत है।
  • नर्मदा-सोन बेसिन को उच्चावच की दृष्टि से निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया गया है –
    • मैकल पठारी क्षेत्र,
    • दक्षिण में सतपुड़ा श्रेणी,
    • उत्तरी में विंध्य पर्वतीय क्षेत्र,
    • मध्यवर्ती मैदान
    • धार उच्च भूमि
  • इस क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली प्रमुख नदियाँ नर्मदा, सोन, तवा, दुधी व शक्कर हैं।

सतपुड़ा श्रेणी  (Satpura Range) 

सतपुड़ा श्रेणी का विस्तार नर्मदा घाटी के दक्षिण में पूर्व से पश्चिम तक फैली है। सतपुडा पर्वत श्रेणी को 3 उप-वर्गों में विभाजित किया गया हैं –

  • राजपीपला श्रेणी
  • मध्य श्रेण ( इसके अंतर्गत ग्वालीगढ श्रेणी तथा महादेव श्रेणी आती हैं)
  • मैकल श्रेणी  (इसका आकार अर्द्धचंद्राकार है)

मैकल श्रेणी में स्थित अमरकंटक पठार से ही सोन, नर्मदा एवं जोहिला आदि नदियों का उद्गम होता है। सतपुड़ा पर्वत श्रेणी तथा मध्य प्रदेश की भी सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ (1350 meter) है, जो महादेव पहाड़ियों में स्थित है।
गोदावरी एवं नर्मदा नदियों के मध्य सतपुड़ा पर्वत श्रेणी जलद्विभाजक का कार्य करती है।

पूर्वी पठार (Eastern Plateau) या बघेलखंड का पठार  

बघेलखंड के पठार का विस्तार मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में है। जो मध्यप्रदेश के  कटनी, शहडोल, सीधी, सिंगरौली, उमरिया और अनूपपुर जिलों में विस्तृत है।
इस पठार का निर्माण गोंडवाना शैल समूह से हुआ है, जिस कारण इस क्षेत्र में प्रमुख खनिज भी पाएँ जाते है।
इस क्षेत्र की जलवायु मानसूनी होने के कारण इस क्षेत्र में जैव-विविधता भी अधिक मिलती है। यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष सागौन, साल तथा तेंदू पत्ता आदि  हैं।

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