उत्तरी भारत में स्थित मध्य प्रदेश राज्य चारों ओर से पूर्णतः स्थलों से घिरा है, जो ना ही किसी अंतर्राष्ट्रीय सीमा को और न ही किसी सागरीय सीमा को स्पर्श करता है। भारत के मध्य में स्थित होने के कारण, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) , को ‘हृदय प्रदेश’ भी कहा जाता है।
स्थिति एवं विस्तार (Status and Expansion)
- मध्य प्रदेश 21°06′ उत्तरी अक्षांश से 26°30′ उत्तरी अक्षांश तथा 74° 9′ से 82° 48‘ पूर्वी देशांतर के मध्य की भौगोलिक प्रदेश में स्थित है।
- मध्य प्रदेश की 5 राज्यों से अंतर्राज्यीय सीमा बनाता है – उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), महाराष्ट्र (Maharashtra), छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh), राजस्थान (Rajasthan) एवं गुजरात (Gujarat)।
- मध्य प्रदेश राज्य के उत्तर-पूर्व में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), दक्षिण-पूर्व में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh), पश्चिम में गुजरात (Gujarat), उत्तर-पश्चिम में राजस्थान (Rajasthan) तथा दक्षिण-पश्चिम में महाराष्ट्र (Maharashtra) स्थित है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है (प्रथम – राजस्थान)।
- मध्य प्रदेश के उत्तर में चंबल नदी तथा दक्षिणी में ताप्ती नदी सीमा बनाती है।
भौतिक संरचना (Physical Structure)
मध्य प्रदेश, भू-वैज्ञानिक दृष्टि से सर्वाधिक प्राचीनतम गोंडवाना लैंड का भाग है।जिसका अधिकांश भाग प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी मध्य भाग के अंतर्गत आता है, जिसके कारण मध्य प्रदेश में प्राचीन काल से अद्यतन काल तक की विभिन्न भौतिक संरचनाएँ मिलती है।
आद्य महाकल्प (Archaean era)
इस काल की चट्टानों को प्रारंभिक चट्टानें भी कहाँ जाता हैं। इन चट्टानों में जीवाश्म अवशेष नहीं पाए जाते हैं। इनका विस्तार बुंदेलखंड क्षेत्र में हैं।
धारवाड़ समूह (Dharwad group)
धारवाड़ चट्टानों का विस्तार मध्य प्रदेश के जबलपुर, बालाघाट और छिंदवाड़ा आदि जिलों में है। जबलपुर जिले में यह चट्टानें चूना पत्थर के रूप में विस्तृत हैं तथा अपरदन द्वारा निर्मित होने के कारण इन चट्टानों में जीवाश्म अवशेष नहीं पाएँ जाते हैं।
कुड़प्पा शैल समूह (Cudpa rock group)
कुड़प्पा चट्टानों का विस्तार मध्य प्रदेश के पन्ना, बिजावर एवं ग्वालियर आदि जिलों में है। इन क्षेत्रों में यह चट्टानें शैल जैस्पर (Shell Jasper), हार्नस्टोन (Hornstones), पोर्सलेनाइट (Porcelainite) के रूप में पाई जाती हैं। बिजावर जिले (मध्य प्रदेश) के कुडप्पा शैल से हीरा प्राप्त किया जाता है।
विंध्यन शैल समूह (Vindhyan Shell Group)
विंध्यन शैल समूह को मुख्यत: दो भागों में वर्गीकृत किया गया है –
- लोअर विंध्यन समूह (Lower Vindhyan Group) की चट्टानें सोन घाटी क्षेत्र में बालू एवं चूना पत्थर के रूप में विस्तृत हैं।
- अपर विंध्यन समूह (Upper Vindhyan Group) की चट्टानों में जीवाश्म अवशेष पाएँ जाते हैं। अपर विंध्यन समूह शैलों का विस्तार कैमूर, भांडेर, सोनघाटी एवं रीवा श्रृंखला में है।
गोंडवाना शैल समूह (Gondwana Shell Group)
गोंडवाना शैल समूह का विस्तार सतपुड़ा एवं बघेलखंड पठारों में है। इसे मुख्यत: 3 वर्गों में विभाजित किया गया है।
- लोअर गोंडवाना समूह (Lower Gondwana Group) की चट्टानें सतपुड़ा क्षेत्र में विस्तृत हैं। मध्य प्रदेश के मोहपानी और पंचघाटी कोयला क्षेत्र लोअर गोंडवाना के अंतर्गत ही आते है।
- मध्य गोंडवाना (Middle Gondwana) के शैल पेंचघाटी, मोहपानी, देनवा एवं पचमढ़ी में विस्तृत हैं। इस शैल समूह से बालूका प्रस्तर मिलते हैं।
- अपर गोंडवाना समूह (Upper Gondwana Group) की चट्टानें बघेलखंड एवं सतपुड़ा क्षेत्रों में विस्तृत हैं। इन चट्टानों में कोयला, चूना पत्थर आदि खनिज पदार्थ मिलते हैं।
Note:
मध्य प्रदेश का उच्चतम बिंदु धुपगढ़ है, जिसकी ऊँचाई 1,350 मीटर (4,429 फीट) है।