नाइट्रोजन (Nitrogen – N)-
आयतन की दृष्टि से यह वायुमण्डल का 78% भाग है जबकि वायुमण्डल सहित सम्पूर्ण पृथ्वी पर नाइट्रोजन 0.01% है। यदि वायुमण्डल में नाइट्रोजन (Nitrogen) न हो तो सिर्फ आक्सीजन की उपस्थिति से सम्पूर्ण संसार जलकर भस्म हो जाता।
रेफ्रिजरेटरों (Refrigerators) तथा अन्य प्रशीतक संयंत्रों में अमोनिया (ammonia) या क्लोरोफ्लोरो कार्बन (chlorofluoro carbon) किसी एक का प्रयोग किया जाता है।
नाइट्रस आक्साइड (N2O) को लाफिंग गैस (laughing gas) भी कहा जाता हैं। यह एक निश्तेजक भी है। क्लोरोफार्म (Chloroform) का प्रयोग भी निश्तेजक के रूप में होता है।
औद्योगिक संयंत्रों (industrial plants) में नाइट्रोजन (Nitrogen) का उपयोग अज्वलनशील वातावरण (inflammable environment) बनाने के लिए किया जाता है।
विस्फोटक पदार्थ तथा कृत्रिम रेशम बनाने में अमोनिया (ammonia) का प्रयोग किया जाता है।
मृदा में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के लिए कुछ जीवाणु पाए जाते हैं जो वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट में परिवर्तित कर देते हैं। जैसे – राइजोवियम नाइट्रोमोनास (Rhizovium nitromonas), नाइट्रोवैक्टर (Nitrovectors ) आदि।
फास्फोरस (Phosphorus – P)
फास्फोरस के 5 अपरूप है, जो निम्नलिखित है –
- पीला फास्फोरस (Yellow phosphorus)
- लाल फास्फोरस (Red phosphorus)
- श्वेत फास्फोरस (White phosphorus)
- बैंगनी फास्फोरस (Purple phosphorus)
- काला फास्फोरस (Black phosphorus)
लाल फास्फोरस या फास्फोरस ट्राई सल्फाइड (phosphorus tri sulfide) का प्रयोग दियासलाई (matches) बनाने के लिए किया जाता है।
चुहा नाशक विष (Rat poison), विस्फोटक, आतिशबाजी के लिए पटाखे बनाने में श्वेत फास्फोरस (White phosphorus) का प्रयोग किया जाता है।आतिशबाजी में विभिन्न रंगों का प्रकाश उत्पन्न करने के लिए, पोटैशियम परमैंगनेट (Potassium permanganate – KMnO4) का प्रयोग किया जाता है। समुद्रों में जहाजों द्वारा सिग्नल देने के लिए फास्फीन (PHI) का प्रयोग किया जाता है।
सल्फर (Sulfur – S)
पेट्रोलियम शोधन संयंत्रों (petroleum refining plants) तथा वाहनों से प्रदूषण के रूप में सल्फर डाईआक्साइड (Sulfur dioxide – SO) निकलती है।
सल्फर डाईआक्साइड (Sulfur dioxide – SO2), तथा नाइट्रोजन के आक्साइड वातावरण के जल वाष्प से क्रिया कर सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) तथा नाइट्रिक अम्ल (HNO3) बनाते हैं, जो वर्षा के जल के साथ घुलकर मृदा को अम्लीय बनाते हैं। इसे ही अम्ल वर्षा (acid rain) कहते हैं।
ताजमहल के क्षरण मुख्य कारण सल्फर डाईआक्साइड (Sulfur dioxide – SO) के कारण हो रहा है।