भुलनी धाम, रोहतास
यह मंदिर रोहतास जिले के विक्रमगंज के निकट भुलनी नामक ग्राम में स्थित है। इस मंदिर के निकट माता पार्वती का प्राचीन मंदिर स्थित है, जहाँ प्रतिवर्ष अप्रैल एवं अक्तूबर माह में भव्य मेले का आयोजन होता है।
गुप्तधाम, रोहतास
बिहार के रोहतास जिले में स्थित इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बना शिवलिंग स्थित हैं, जिसका पूजन गुप्तेश्वर नाथ के रूप में किया जाता है। शिवरात्रि और बसंत पंचमी के अवसर पर यहाँ विशाल मेले का आयोजन होता है।
माँ ताराचंडी
बिहार में कैमूर पहाड़ी की गुफा में माँ ताराचंडी का मंदिर स्थित है, जो माँ दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक हैं।
सासाराम
सासाराम में स्थित अफगान शासक शेरशाह सूरी के पिता हसन खान सूरी का मकबरा अष्टकोणीय शैली (अफगान शैली) का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
मुंडेश्वरी मंदिर, कैमूर
कैमूर जिले में माता मुंडेश्वरी देवी का अति प्राचीन मंदिर स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।
गिरिजा स्थान, मधुबनी
मधुबनी जिले में फलुहर नामक स्थान पर गिरिजा स्थान मंदिर स्थित है। यहाँ कुँवारी कन्याएँ माता पार्वती से अच्छा वर माँगने हेतु पूजा करने के लिए आती हैं।
छिन्नमस्तिका मंदिर, उच्चैठ
बिहार के मधुबनी जिले में उच्चैठ नामक स्थान पर माँ दुर्गा का प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर है। जिसमे महाकवि कालिदास भी माँ काली की पूजा-अर्चना करते थे।
राम-जानकी मंदिर, सीतामढ़ी
मिथिला के राजा जनक को ऋषि-मुनियों ने हलेष्टी यज्ञ कर अपने हाथों से हल चलाने का परामर्श दिया। हल चलाने पर हल के सिराउर से फूटे हुए घड़े से एक बालिका रूपी रत्न की प्राप्ति हुई। हल के सिराउर से उत्पन्न होने के कारण बालिका का नाम सीता पड़ा। भूमि पुत्री सीता के नाम पर सीतामढ़ी जिले का नामकरण हुआ। कालांतर में यहाँ पर राम-जानकी का भव्य मंदिर स्थापित किया गया।
अहिरौली मंदिर, बक्सर
बक्सर जिले के उत्तर-पूर्व अहिरौली मंदिर स्थित है। इस मंदिर का नाम गौतम ऋषि की पत्नी अहल्या के नाम पर रखा गया है। प्रतिवर्ष अहिरौली मंदिर में मकर-संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी मेले का आयोजन होता है।
उग्रतारा मंदिर, सहरसा
बिहार के सहरसा शहर से 16 Km पश्चिम में महिषी नामक स्थान पर प्राचीन उग्रतारा मंदिर स्थित है। इसी स्थान पर माता सती का बायाँ नेत्र गिरा था जहाँ प्रसिद्ध तारा पीठ मंदिर है।
चामुंडा मंदिर, नवादा
नवादा में स्थित चामुंडा मंदिर प्रसिद्ध शक्तिपीठ है।’मार्कण्डेय पुराण के अनुसार चंड-मुंड के वध के पश्चात ही देवी दुर्गा चामुंडा के नाम से प्रसिद्ध हुई थी मान्यता है कि देवी सती का सिर यहीं कटकर गिरा था।
नवलखा मंदिर, बेगूसराय
बेगूसराय में स्थित नवलखा मंदिर को रामजानकी ठाकुरवाड़ी के नाम से भी जाना जाता है, इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1953 ई. में महंत महावीर दासजी द्वारा किया गया था।
अहल्या स्थान, दरभंगा
दरभंगा जिले का अहियारी गाँव अहल्या स्थान के नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा से अहल्या का उद्धार किया था।
अरेराज शिव मंदिर, मोतिहारी
मोतिहारी जिला मुख्यालय के दक्षिण-पश्चिमी भाग में भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर स्थित है।
केसरिया
पूर्वी चंपारण में स्थित केसरिया स्थल से खुदाई में भगवान बुद्ध का स्तूप मिला है। यहाँ स्थापित बौद्ध स्तूप की ऊँचाई 1042 फीट है।
रामपुरवा
रामपुरवा (पश्चिमी चंपारण बिहार) से अशोककालीन स्तंभ लेख मिला है, जिसके शीर्ष फलक पर सिंह और वृष की आकृतियाँ बनी हुई हैं। इस स्थल की खोज सर्वप्रथम क्लाइल ने 1899 ई. में की थी।
थावे, गोपालगंज
थावे नामक ग्राम के निकट माता दुर्गा का प्राचीन मंदिर है। जिसे सिद्धपीठ के रूप में भी जाना जाता है। चैत्र माह में यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन होता है।
अंबिका मंदिर, आमी
छपरा जिला (बिहार) में आमी नामक स्थान पर माँ अंबिका भवानी का प्राचीन मंदिर स्थित है। मान्यता के अनुसार माता सती के आत्मदाह के पश्चात जब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के अंगों को काटा था तो एक अंग यहाँ भी गिरा था।