नालंदा
बिहार की राजधानी पटना से लगभग 90 Km की दूरी पर स्थित नालंदा विश्व के प्राचीनतम शिक्षा स्थलों में से है। नालंदा विश्वविद्यालय बौद्ध शिक्षा का विश्व विख्यात केंद्र था जिसकी स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त द्वारा की गई थी। वर्तमान में चीन के सहयोग से द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
बड़ी दरगाह, नालंदा
पीर पहाड़ी (नालंदा जिले) में शेख मखदूमशाह और हजरत मलिक की बड़ी दरगाह तथा हजरत बदरुद्दीन की छोटी दरगाह और जामा मस्जिद भी देश-विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
बिहार शरीफ
बिहार शरीफ (नालंदा) में मखदूम साहेब की दरगाह स्थित है, जहाँ प्रतिवर्ष उर्स (मेला) लगता है तथा यहाँ मलिक इब्राहीम बयाँ का मकबरा भी स्थित है।
राजगीर (राजगृह)
नालंदा जिले में स्थित राजगृह एक ऐतिहासिक स्थल है जो 5 पहाड़ियों के मध्य में स्थित है। यह स्थल मगध साम्राज्य में हर्यक वंश की राजधानी था तथा इसी स्थल से भारत में सबसे प्राचीनतम स्थापत्य कला का प्रमाण मिलता है। महात्मा बुद्ध की मृत्यु के पश्चात राजगृह की सप्तपर्णी गुफा में अज्ञातशत्रु द्वारा प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था। जापान सरकार द्वारा रत्नागिरि पहाड़ी पर विश्व के सबसे ऊँचे विश्व शांति स्तूप निर्मित किया गया है। बिम्बिसार द्वारा महात्मा बुद्ध को वेनुवन उपहार में प्रदान किया गया था।
मखदूम कुंड, राजगीर (राजगृह)
राजगृह में स्थित मखदूम कुंड मुसलमानों का अत्यंत पवित्र धार्मिक स्थल है। यहाँ स्थित एक गरम जल का कुंड हैं, जो प्राकृतिक झरने से बना है।
कुंडग्राम वैशाली
यह भगवान महावीर का जन्मस्थल है, जो पटना के उत्तर में लगभग 54 Km दूर वैशाली जिले में स्थित है।
पावापुरी, नालंदा
468 ई. पूर्व में भगवान महावीर को इसी स्थान पर निर्वाण प्राप्त किया था। यहाँ पर एक तालाब का निर्माण किया गया है, जो कमल के आकार का है, तथा इसके मध्य में जैन स्मारक बना हुआ है, जो जल मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इसका प्राचीन नाम अपपुरी था।
गया
गया एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक है। यहाँ पितृपक्ष के अवसर पर विशाल मेला लगता है। लफल्गु नदी के किनारे स्थित इस धर्म-पर्यटन केंद्र में विष्णुपद मंदिर हिंदुओं का पूज्य तीर्थ है, इसका नव-निर्माण इंदौर की महारानी (अहिल्याबाई होल्कर) द्वारा किया गया था। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री विष्णु के पदचिन्ह स्थित हैं।
चोवार का शिवमंदिर (गया)
गया से लगभग 25 Km पूर्व में टनकुप्पा प्रखंड में चोवार नामक स्थान प्रसिद्ध शिवमंदिर स्थित। इस गाँव में खुदाई से प्राचीन अष्टधातु की मूर्तियाँ एवं चाँदी के सिक्के मिले हैं।
ब्रह्मयोनि पहाड़ी
गया जिले में ब्रह्मयोनि पहाड़ी पर विशाल बरगद के पेड़ के नीचे शिव मंदिर स्थित है, इस मंदिर पहुँचने के लिए 440 सीढ़ियों को पार करना होता है। दंतकथाओं के अनुसार पहले फल्गु नदी इसी पहाड़ी पर बहती थी, किन्तु देवी सीता के श्राप के प्रभाव से यह नदी पहाड़ी के नीचे से बहती है। माँ गौरी देवी का एक मंदिर भी इसी पहाड़ी पर स्थित है।
बोधगया
भगवान बुद्ध को बोधगया में ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। गया से लगभग 12 Km दूर दक्षिण में फल्गु नदी (निरंजना) के तट पर स्थित बोधगया विश्व में बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहाँ का प्रमुख दर्शनीय स्थल तिब्बती मठ है, जहाँ निरंतर बौद्ध चक्र चलता रहता है। बोधगया में महाबोधि मंदिर के निकट चबूतरे के आकार का वज्रासन स्थित है, जिस पर बैठकर भगवान बुद्ध ने साधना की थी।
महाबोधि मंदिर (बोधगया)
बोधगया से 14 Km दूरी पर महाबोधि मंदिर स्थित है। इस स्थान पर सम्राट् अशोक ने स्तूप का निर्माण करवाया था, जिसे बाद में कुषाण शासक हुविष्क ने भव्य एवं विशाल मंदिर में परिवर्तित किया। इस मंदिर में भगवन बुद्ध की मूर्ति पद्मासन की मुद्रा में स्थित है।
बोधिवृक्ष (बोधगया)
महाबोधि मंदिर परिसर के पिछले हिस्से में एक विशाल पीपल का वृक्ष स्थित है। इसी वृक्ष के नीचे भगवन बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। मौर्य शासक अशोक की रानी तिष्यरक्षिता एवं गौड़ शासक शशांक द्वारा महाबोधि वृक्ष को नष्ट कर दिया गया था, जो आज भी पर्ण-पल्लवित है।
सूर्य मंदिर (औरंगाबाद)
लगभग 500 वर्ष पुराना सूर्य मंदिर अपनी वास्तुशैली के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर मंदिर पश्चिमोन्मुखी है। चंद्रवंशी राजा भैरवेंद्र सिंह ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।
वैशाली
वैशाली में स्थित कुंडग्राम भगवान महावीर की जन्मस्थली होने के कारण अत्यंत प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह स्थल विश्व की सर्वप्रथम गणतंत्र की नगरी बनी थी। लिच्छवी शासकों ने यहाँ गणतंत्र की स्थापना की थीtatha सम्राट् अशोक ने यहाँ सिंह-स्तंभ की स्थापना की थी। यहाँ के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थलों में प्राचीन तालाब, बावन पोखर मंदिर, बौद्ध स्तूप, हरि कटोरा मंदिर, अशोक की लाट और भगवान बुद्ध के अनेक प्रवचन स्थल स्थित है।
चौमुखी महादेव मंदिर (वैशाली)
चौमुखी महादेव मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग स्थापित है जिसके चारों ओर दरवाजे हैं, इसलिए इसे चौमुखी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
हरिहर क्षेत्र मंदिर, सोनपुर, सारण
पटना के उत्तर में लगभग 36 Km दूर यह अत्यंत प्राचीन मंदिर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पीड़ित गज की पुकार सुनकर भगवान विष्णु ने ग्राह का सिर चक्र से काट दिया था। कार्तिक माह का प्रसिद्ध सोनपुर का मेला इसी क्षेत्र में लगता है।
नेपाली मंदिर, हाजीपुर
गंगा और गंडक नदियों के संगम पर स्थित यह मंदिर कला की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके काष्ठ स्तंभों अनेक देवताओं की आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं।
चेचर
चेचर को कोटिग्राम, विशालानगरी, श्वेतपुर, कुशपल्लव आदि नामों से भी जाना जाता है। यह पाषाणकालीन स्थल हाजीपुर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी खोज वर्ष 1978 ई. में डॉ. योगेंद्र मिश्र ने की थी।
पटना
पटना,को प्राचीन काल में पाटलिपुत्र, पुष्पपुर तथा मध्यकाल में अजीमाबाद आदि नामों से प्रसिद्ध रहा है, वर्तमान में यह स्थल बिहार की राजधानी है। पाटलिपुत्र की स्थापना में हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु के पुत्र उदयन द्वारा पाटली नामक ग्राम में की गई थी।