गठन – 15 अप्रैल 1948
मुख्यालय- मंडी
भाषा – मंडयाली , सुकेती , हिंदी , बालड़ी सरकाघाटी
मंडी जिला, 15 अप्रैल, 1948 को दो रियासतों मंडी और सुकेत के विलय के साथ बनाया गया था। शहर का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है और एक अद्वितीय मंदिर वास्तुकला का दावा करता है। इसे छोटा काशी के रूप में जाना जाता है क्योंकि शहर में और ब्यास नदी के तट पर कई प्राचीन मंदिर हैं। मंडी लगभग हिमाचल के भौगोलिक केंद्र में है, जो शिवलिंग पर्वतमाला की तलहटी में ब्यास नदी के बाएं किनारे पर स्थित है। मंडी में फलों के पेड़ का कवर हिमाचल प्रदेश में फलों के पेड़ के कवर का कुल क्षेत्रफल का लगभग 15 प्रतिशत है। मंडी कच्ची रेशम ने व्यापक ख्याति प्राप्त की है और द्रंग और गुमा में सेंधा नमक की खदानें जिला अर्थव्यवस्था की विशेष विशेषताएं हैं।
जनसांख्यिकी (Demographics):
जनसांख्यिकी 2011 के अनुसार-
- क्षेत्रफल (Area): 3,950 Sq. Km.
- विधान सभा क्षेत्र: 10
- जनसँख्या (Population): 999,777
- ग्रामीण जनसंख्या (Rural population): 9,36,894 (93.74%)
- पुरुष (Men- जनगणना2011 के अनुसार): 498,065
- महिलाएं (Women- जनगणना2011 के अनुसार): 501,712
- लिंग अनुपात (Sex Ratio)(प्रति 1000): 1012
- साक्षरता (Literacy): 82.81% (91.51% male), (74.33% female)
- उप मंडल (Sub division): 10
- तहसीलें & उप तहसीलें (Tahsils & Sub-Tehsils): 16(तहसील), 8(उप तहसील)
- विकास खण्ड (Development Section): 11
- ग्राम पंचायतें (Village panchayats): 473
मंडी जिले के वन्य जीव अभ्यारण्य (wildlife Sanctuary in Mandi District):
- नागरु वन्य जीव अभ्यारण्य (278 km2): 1962 में गठन
- शिकारी देवी वन्य जीव अभ्यारण्य(72 km2): 1962 में गठन
- बांदली वन्य जीव अभ्यारण्य(41 km2): 1962 में गठन
मंडी जिले की घाटियां एवं पर्वत श्रृंखलाएं (Mountain ranges and Valleys in Mandi District):
- धौलाधार: इसकी सबसे ऊँची चोटी नागरु चोटी(4400m) है।
- धोगड़ धार: गुम्मा और द्रंग की नमक की खाने यही पर स्थित है।
- सिकंदर धार: इसका नाम सिकंदर लोधी के नाम से जोड़ा जाता है, बाद में सिकंदरधार दो भागो में बट जाता है-
i-कमलाहधार ii- लिंडी धार। - बेरकोट धार: बेरकोट पर्वत श्रृंखला से होकर दो महत्वपूर्ण नदियां व्यास नदी और सतलुज नदी बहती है।
मंडी जिले की नदिया (Rivers in Mandi District):
- सतलुज नदी: फिरनु गावं से मंडी में प्रवेश करती है। सतलुज नदी सोलन और शिमला से मंडी जिले की सीमा बनती है।
- ब्यास नदी: लारजी के पास मंडी में प्रवेश करती है। सेज और तीर्थन नदी इसी स्थान पर ब्यास नदी में मिलती है
मंडी जिले के बांध(DAM in Mandi District):
- पंडोह बांध: ऊँचाई – 76 m, बांध का निर्माण 1977 को हुआ।
मंडी जिले की झीलें (The Lakes in Mandi District):
- रिवालसर झील (1360 m): इसे तैरते हुए टापुओं की झील या पदमाचन झील भी कहते है।
- पराशर झील (2730 m): ये झील शक्ति मुनि के पुत्र पराशर ऋषि से सम्बंधित है।
- पंडोह झील: ये एक कृत्रिम या मानव निर्मित झील है।
- कुमारवाह झील(3150 m)
- मंछियाल झील (850 m)
- कमरुनाग झील (3200 m)
- सुखसागर झील
- कालासर झील
- कुंतभयोग झील
मंडी जिले के मंदिर (Temple in Mandi District):
- भूतनाथ मंदिर: अजबर सेन ने 1526 को बनाया, ये अर्धनारीश्वर को समर्पित मंदिर है।
- श्यामकाली मंदिर: राजा श्यामसेन के द्वारा बनाया गया।
- पराशर मंदिर: राजा बाणसेन के द्वारा 1346 को बनाया गया।
- माधोराव मंदिर: राजा सूरजसेन के द्वारा बनाया गया।
- मगरू महादेव मंदिर
- बटुक भैरव मंदिर (मंडी): राजा सिद्ध सेन के द्वारा बनाया गया।
- शम्भू महादेव मंदिर (पइडल): राजा सिद्ध सेन के द्वारा बनाया गया।
- सिद्ध भद्रा मंदिर (पइडल): राजा सिद्ध सेन के द्वारा बनाया गया।
- सिद्ध काली मंदिर (सेरी): राजा सिद्ध सेन के द्वारा बनाया गया।
- सिद्ध गणपति मंदिर (सुरकोठी):राजा सिद्ध सेन के द्वारा बनाया गया।
मंडी जिले के मेले व यात्रा (Fair in Mandi District):
- शिवरात्रि मेला: मंडी जिले का शिवरात्रि मेला विश्व प्रसिद्ध है, इसकी शुरुवात बर सेन द्वारा की गयी।
- छेश्चु मेला: यह एक राज्य स्तरीय मेला है।
- माहूनाग मेला
मंडी जिले का लोक नृत्य एवं लोकगीत (Folk dance and Folk song of Mandi district):
- लोकनृत्य: बांठडा।
- लोकगीत: मनी रामा पटवारीया, न मन्या औ हंसा, निरमण्डा रीए ब्राह्मणीय।
मंडी जिले की प्रमुख जल विद्युत परियोजना (Major hydroelectric project in Mandi district):
- शानन परियोजना(110 MW): रीना नदी – 1932- पंजाब राज्य विद्युत् बोर्ड द्वारा निर्मित, ये सबसे पुरानी परियोजना है।
- बस्सी परियोजना (760 MW): ब्यास नदी पर।
- गुम्मा परियोजना (3 MW): गुम्मा खड्ड पर।
- उलह II (100 MW):निर्माणाधीन , उलह खड्ड पर।
- पटकरी (16 MW): निर्माणाधीन, पटकरी नदी पर।
मंडी जिले के कुछ मुख्य तथ्य (Some key facts of Mandi district):
- हिमाचल में सबसे अधिक पशू -धनमंडी में पाए जाते है।
- सबसे ज्यादा गाय और बैल मंडी जिले में पाए जाते है।
- काँगड़ा के बाद सबसे ज्यादा चाय का उत्पादन मंडी में होता है।
- मंडी में 100 टन प्रतिदिन क्षमता वाला वनस्पति घी सयंत्र है।
- झंझेली (मंडी) अपने शांत मार्गों के कारण हाईकिंग के शौकीनों का स्वर्ग माना है।
- गवाईं (मंडी) में अंगोरा खरगोश के प्रजनन केंद्र है।
- आलसु (मंडी) में सरकारी मछली प्रजनन केंद्र है।
- कमांडे (मंडी) में गाय और बेलों के लिए प्रजनन केंद्र है।
- मंडी सबसे बड़ा प्रसाशनिक मंडल मंडी है।
- सबसे छोटा प्रसाशनिक मंडल धर्मशाला है।
- मंडी जिले के गुम्मा और द्रंग में नमक की खाने पाई जाती है।
- सुंदरनगर और एलसीडी में सीमेंट प्लांट है।
- मंडी को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है।
- मंडी को हिमाचल का बनारस कहा जाता है।
- डेलू (जोगिंद्रनगर) में हवाई खेलों का स्कूल है।
- सुखदेव वाटिका सुंदरनगर (मंडी) में है।
- चेल-चौक मंडी में है।