राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना, महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली एक केन्द्र प्रायोजित योजना है। इस योजना को पहले राजीव गांधी राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना (Rajiv Gandhi National Creche Scheme) का नाम दिया गया था।
क्रेच (शिशुगृह) एक ऐसी जगह है जो माता-पिता को काम पर रहने के दौरान अपने बच्चों को क्रेच (शिशुगृह) में छोड़ने में सक्षम बनाती है, जहां बच्चों को उनके समग्र विकास के लिए वातावरण प्रदान किया जाता है।
क्रेच (शिशुगृह) को बच्चों के समूह की देखभाल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिन्हे आमतौर पर क्रेच (शिशुगृह) में 6 वर्ष की आयु तक के बच्चे, जिन्हें दिन के दौरान अपने घर से दूर देखभाल, मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है।
उद्देश्य
- काम पर जाने वाले माता-पिता के बच्चों (6 महीने से 6 साल) के लिए डे-केयर सुविधाएं प्रदान करना
- बच्चों में पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना।
- बच्चों में शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक विकास, भावनात्मक विकास और समग्र विकास को बढ़ावा देना।
- बच्चों की बेहतर देखभाल करने के लिए माता-पिता को शिक्षित और सशक्त बनाना
- स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण
उपयोगकर्ता शुल्क
- बीपीएल परिवार – ₹ 20 प्रति बच्चा प्रति माह।
- वह परिवार जिनकी मासिक आय (दोनों माता-पिता) 12,000 रुपया प्रति माह – ₹ 100 / – प्रति माह प्रति बच्चा
- वह परिवार जिनकी मासिक आय (दोनों माता-पिता) 12,000 रुपया प्रति माह से अधिक – ₹ 200 / प्रति माह प्रति बच्चा
क्रेच (शिशुगृह) सुविधा का लाभ
- यह महिलाओं को अपने करियर के साथ-साथ अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी दोनों का प्रबंधन करने में मदद करता है।
- यह कार्यस्थलों पर लिंग विविधता को बढ़ावा देता है।
- क्रेच (शिशुगृह) अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाकर लैंगिक समानता और लोकतंत्र को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।