पंवार साम्राज्य में राजनीतिक व्यवस्था

  • पंवार वंश के शासन काल में राजा के बाद दूसरा राज्य का सबसे सर्वोच्च पद कौन सा था – मुख़्तार या  वज़ीर 
  • पंवार शासन काल में राजस्व विभाग का प्रमुख अधिकारी दश्तरी होता था।
  • पंवार वंश के शासन काल में आय-व्यय का प्रमुख अधिकारी कौन होता था – दीवान
  • पंवार वंश के शासन काल में प्रत्येक परगने में नियुक्त अधिकारी को फौजदार कहा जाता है और प्रत्येक परगने में न्यायाधिकारीदंडाधिकारी भी फौजदार ही होता था।
  • पंवार शासनकाल में ताम्रपत्र के माध्यम से सैनिकों को दी जाने वाली भूमि/जागीर को रौत भूमि कहा जाता था।
  • पंवार शासनकाल में राजधानी की सुरक्षा की जिम्मेदारी गोलदार की होती थी।
  • बख्शी पंवार शासनकाल में सैन्य वेतन अधिकारी होता था।
  • पंवार वंश में न्याय व्यवस्था हेतु सर्वमान्य संस्था पंचायत थी।
  • पंवार साम्राज्य में अन्य राज्यों से वार्ता हेतु वकील को नियुक्त किया जाता था।
  • पंवार साम्राज्य में राजदरबार के सभी धार्मिक कार्य राजगुरु के अधीन होते थे।
  • पंवार साम्राज्य में राजा की आज्ञाताम्रपत्र लिखने का कार्य  लेखवारो द्वारा किया जाता था।
  • पंवार साम्राज्य में राजस्व एकत्रित करने वाले अधिकारी (थोकदार/जागीरदार) को स्थानीय भाषा सयाणा, कमीण, गुढेरे नामो से जाना जाता था।
  • पंवार साम्राज्य में संदेशवाहक को चण्ड कहा जाता था।
  • पंवार शासनकाल में नेगियों को सम्मानित करने हेतु नेचीगारी प्रथा की शुरूआत की गयी थी।
  • पंवार साम्राज्य में राजदरबार, न्याय व्यवस्था का सर्वोच्च स्वरूप था।
  • राजदरबार में दण्ड व्यवस्था के अंतर्गत दिए जाने वाले दंड निम्नलिखित थे, जैसे – अर्थदण्ड, राज्य निकाला, मृत्यु दण्ड, नाक या हाथ काटना आदि।
  • गिरिजा प्रसाद नैथानी, को गढ़वाल पत्रकारिकता का पितामह कहा जाता है।
  • तारादत्त गैरोला को गढ़वाल जनजागरण का पितामाह कहा जाता है, तथा इन्होंने वर्ष 1917 में अकाल निवारण समिति की स्थापना की।

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