राष्ट्रपति का निर्वाचन (President)

भारतीय संविधान में अनु० – 52 के अंतर्गत राष्ट्रपति पद की व्यवस्था की गई है , राष्ट्रपति कार्यपालिका संबंधी समस्त शक्तियों का प्रयोग प्रत्यक्ष अथवा अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करता है , भारत सरकार की समस्त कार्यपालिका कार्यवाही राष्ट्रपति के नाम से संचालित होती है।

राष्ट्रपति का निर्वाचन

राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से ना होकर अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति द्वारा होता है, जिसमे निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा  चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत व गुप्त मतदान द्वारा उसका  निर्वाचन द्वारा किया   जाता है। जिसमें निम्न लोग शामिल होते है —

  • संसद के दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य
  • राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
  • केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली व पुडुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य

राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों का समान प्रतिनिधित्व हो इसके लिए राज्य विधानसभाओं और संसद के मतों की संख्या निम्न प्रकार से निर्धारित होती है।


किसी उम्मीदवार को राष्ट्रपति के चुनाव में निर्वाचित होने के लिए मतों का एक निश्चित भाग प्राप्त होना अनिवार्य है।

निर्वाचक मंडल के प्रत्येक सदस्य को केवल एक मतपत्र दिया जाता है । मतदाता वोट देते समय   उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी वरीयता अंकित करता है ।
प्रथम चरण = इस चरण में प्रथम वरीयता के मतों की गणना होती है, यदि उम्मीदवार निर्धारित मत प्राप्त कर लेता है , तो वह निर्वाचित घोषित हो जाता है अन्यथा मतों के स्थानातंरण की प्रक्रिया अपनाई जाति है।
द्वितीय चरण = इस चरण में न्यूनतम मत प्राप्त करने वाले उमीदवारों के मतों को रद्द कर दिया जाता है तथा इसके द्वितीय वरीयता के मत अन्य उमीदवारों के प्रथम वरीयता के मतों में स्थानांतरित कर दिए जाते है।
यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कोई उमीदवार निर्धारित मत प्राप्त नहीं कर लेता है।

योग्यता

  • कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक हो।
  • कम से कम 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
  • लोकसभा का सदस्य होने को योग्यता रखता हो।
  • भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार में अथवा अन्य स्थानीय प्राधिकरण या सार्वजनिक प्राधिकरण में लाभ के पद पर ना हो।
  • चुनाव में नामांकन के लिए कम से कम 50 प्रस्तावक व 50 अनुमोदक होने चाहिए।
  • RBI में 15000 की राशि जमानत के रूप में यदि उसे कुल मतों का 1/6  मत नहीं मिले टो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाएगी।

Note = वर्तमान राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , राज्यपाल , संघ अथवा राज्य का मंत्री लाभ के पद नहीं होंगे ।

शपथ

  • श्रद्धापूर्वक राष्ट्रपति पद का कार्यपालन करूँगा।
  • संविधान और विधि का परीक्षण , संरक्षण और प्रतिरक्षण करूँगा।
  • भारत की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूँगा।

उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश व उसकी अनुपस्थिति में वरिष्ठतम न्यायधीश द्वारा राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाती है।

पदावधि

राष्ट्रपति की पदावधि उसके पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष तक की होती है , लेकिन वह किसी भी समय उपराष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है। राष्ट्रपति को उसके कार्यकाल पूरा होने से पूर्व भी अनु० – 61 के अंतर्गत महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति की अनुपस्तिथि में उसका कार्यभार उपराष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति की अनुपस्तिथि में उसका कार्यभार उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायधीश , मुख्य नयायधीश की अनुपस्तिथि में उसका कार्यभार उच्चतम न्यायालय का वरिष्ठतम न्यायधीश करता है।

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