वर्ष 1907 में मथुरा प्रसाद नैथानी द्वारा लखनऊ में गढ़वाल भ्रातृमण्डल की स्थापना की गयी, जिसका प्रथम अधिवेशन वर्ष 1908 में कुलानंद बहुगुणा द्वारा कोटद्वार में आयोजित किया गया था।
गढ़वाल भ्रातृमण्डल के प्रथम अधिवेशन में गढ़वाल यूनियन तथा हितकारिणी सभा एक हो गयी।
तारादत्त गैरोला को गढ़वाल जनजागरण का पितामह तथा गढ़वाल का महर्षि के नाम से भी जाना जाता है।
चंद्रमोहन रतूड़ी को गढ़वाल पुनर्जागरण का पिता (जनक) कहा जाता है।
भक्त दर्शन में तारादत्त गैरोला की तुलना रविन्द्र नाथ टैगोर से की गयी है।
गिरिजा प्रसाद नैथानी द्वारा वर्ष 1912 में स्टोवल प्रेस की स्थापना की गयी, तथा वर्ष 1914 में स्टोवल कमेटी की स्थापना उत्तराखंड की सारी सभाओं को एक करने के लिए की गयी थी।
एकता सम्मेलन का आयोजन वर्ष 1914 ई. में दुगड्डा (पौड़ी गढ़वाल) में सरदार नारायण सिंह की अध्यक्षता में किया गया था। इस सम्मेलन के आयोजन की सलाह विशम्भर दत्त चंदोला ने दी थी।
वर्ष 1914 में गढ़वाल सभा की स्थापना की गयी थी।
वर्ष 1904 में सरोला सभा की स्थापना गढ़वाल में की गयी थी।
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