शैल एवं खनिज (Shell & Mineral)

पृथ्वी की पर्पटी अनेक प्रकार के शैलों से बनी है। पृथ्वी की पर्पटी बनाने वाले खनिज पदार्थ के किसी भी प्राकृतिक पिंड को शैल कहते हैं। शैल विभिन्न रंग, आकार एवं गठन की हो सकती हैं।

निश्चित दशाओं में एक प्रकार की शैल चक्रीय तरीके से एक-दूसरे में परिवर्तित हो जाते हैं। एक शैल से दूसरे शैल में परिवर्तन होने की इस प्रक्रिया को शैल चक्र कहते हैं।  द्रवित मैग्मा (Liquid Megma) ठंडा होकर ठोस आग्नेय शैल (Igneous rock) बन जाता है। ये आग्नेय शैल छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होकर अवसादी शैल (Sedimentary shell) का निर्माण करते हैं। ताप एवं दाब (Temp. & Pressure) के कारण ये आग्नेय एवं अवसादी शैल कायांतरित शैल में बदल जाते हैं। अत्यधिक ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैल (Metamorphic shell) पुनः पिघलकर द्रवित मैग्मा बन जाती है। यह द्रवित मैग्मा पुनः ठंडा होकर ठोस आग्नेय शैल में परिवर्तित हो जाता है ।
मुख्य रूप से शैल तीन प्रकार की होती हैं –

  • आग्नेय शैल (Igneous rock)
  • अवसादी शैल (Sedimentary shell)
  • कायांतरित शैल (Metamorphic shell)

आग्नेय शैल (Igneous rock)

द्रवित मैग्मा ठंडा होकर ठोस हो जाता है। इस प्रकार बने शैल को आग्नेय शैल कहते हैं। इन्हें प्राथमिक शैल (Primary shell) भी कहते हैं। आग्नेय शैल दो प्रकार की होती हैं:

  • अंतर्भेदी शैल (Intersection Shell)
  • बर्हिभेदी शैल (Barbicide Shell)

अंतर्भेदी शैल – जब द्रवित मैग्मा कभी-कभी भू-पर्पटी के अंदर गहराई में ही ठंडा हो जाता है। इस प्रकार बने ठोस शैलों को अंतर्भेदी आग्नेय शैल कहते हैं। धीरे धीरे ठंडा होने के कारण ये बड़े दानों का रूप ले लेते हैं। जैसे – ग्रेनाइट शैल का एक उदाहरण है।
बर्हिभेदी शैल – जब आग की तरह लाल द्रवित मैग्मा ही लावा है जो पृथ्वी के आंतरिक भाग से निकलकर सतह पर आता है। जब द्रवित लावा पृथ्वी की सतह पर आता है, यह तेज़ी से ठंडा होकर ठोस बन जाता है। पर्पटी पर इस प्रकार से बने शैल को बर्हिभेदी आग्नेय शैल कहते हैं। इनकी संरचना बहुत महीन दानों वाली होती है। जैसे – बेसाल्ट, दक्कन पठार बेसाल्ट शैलों से ही बना है।

अवसादी शैल (Sedimentary shell)

जब शैल लुढ़ककर, चटककर तथा एक-दूसरे से टकराकर छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। इन छोटे कणों को अवसाद कहते है। ये अवसाद हवा, जल आदि के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाकर, जमा हो जाते हैं। ये अदृढ़ अवसाद दबकर एवं कठोर होकर शैल की परत बनाते हैं। इस प्रकार की शैलों को अवसादी शैल कहते है। जैसे – बलुआ पत्थर, रेत के दानों से बनता है। इन शैलों में पौधें, जानवरों एवं अन्य
सूक्ष्म जीवाणुओं, जो कभी इन शैलों पर रहे हैं, के जीवाश्म भी हो सकते हैं।

कायांतरित शैल (Metamorphic shell)

आग्नेय एवं अवसादी शैल उच्च ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैलों में परिवर्तित हो सकती हैं ;चित्रा 2.3द्ध। जैसे – चिकनी मिट्टी स्लेट में एवं चूना पत्थर संगमरमर में परिवर्तित हो जाता है।
Note : पेट्रोलाॅजी शैलों का विज्ञान है।

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