सिकंदर लोदी (Sikander Lodi 1489-1517 ई०)

  • मूल नाम – निजाम खाँ था।
  • माता – जैबन्द (सुनार की पुत्री)
  • राज्यारोहण – 16 जुलाई 1489 ई०
  • निधन  – 21 नवंबर 1517

बहलोल लोदी उसने अपनी मृत्यु से पूर्व  ही सिकंदर लोदी को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। बहलोल लोदी के मृत्यु के पश्चात 16 जुलाई 1489 ई० में निजाम खाँ, सिकन्दर लोदी के नाम से सिंहासनारूढ़ हुआ।
सैन्य अभियान – 
अपने शाही प्रतिद्वन्दियों को समाप्त करने के पश्चात सिकन्दर लोदी ने अन्य विरोधियों के विरुद्ध सैन्य अभियान किया तथा उन्हें पराजित कर उनके साम्राज्य को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया। तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत की सीमा में सर्वाधिक विस्तार सिकंदर लोदी के समय में हुआ।  सिकन्दर लोदी के प्रमुख सैन्य अभियान निम्नलिखित है 

  • तातर खाँ लोदी के विरुद्ध अभियान
  • बयाना के शासक सुल्तान अशरफ के विरुद्ध अभियान
  • बचगोती राजपूतों के विरुद्ध अभियान
  • हुसैन शाह शर्की के विरुद्ध अभियान
  • तिरहुत पर आक्रमण
  • बंगाल के शासक सुल्तान अलाउददीन के विरुद्ध अभियान

सिकंदर लोदी की आर्थिक नीति

सिकंदर लोदी ने भूमि की माप के लिए गज-ए-सिकन्दरी नामक प्रमाणिक माप का प्रारम्भ किया जिसमें 39 खाने थे और जो मुगल काल तक प्रचलित रही।
भूमि की नाप करवाकर उपज के अनुसार लगान की राशि तय की जाती थी, जिससे नियमित समय से लगान वसूलना आसान हो गया।
शेरशाह सूरी के शासनकाल में बनायी गयी लगान सूची का आधार, सिकंदर लोदी की बनाई गयी लगान तालिका थी।
खाद्यान्न वस्तुओं पर चुंगी कर हटा दिया।

सिकंदर लोदी की धार्मिक नीति

धार्मिक दृष्टि से सिकन्दर लोदी असहिष्णु था। उलेमा वर्ग को संतुष्ट करने के लिए उसने हिन्दुओं के प्रति अनुदार नीति अपनाई तथा हिन्दुओं के विरुद्ध अनेक कार्य किए

  • हिन्दुओं के धार्मिक संस्कारों पर प्रतिबंध लगा दिया तथा मंदिरों एवं मूर्तियों को नष्ट करवाया।
  • नागरकोट के ज्वालामुखी मन्दिर की मूर्ति तोड़कर उसके टुकड़ों को मांस तौलने के लिए कसाइयों को दे दिया।
  • बोधन नामक एक हिन्दू को उसने इसलिए मृत्यु दण्ड दिया था, क्योंकि वह इस्लाम व हिन्दू दोनों धर्मों को सत्य बताया था।
  • उसने मुसलमानों में प्रचलित कुप्रथाओं को भी रोकने का प्रयत्न किया, तथा  मुहर्रम में ताजिए निकलना बंद करवा दिया।
  • मुस्लिम स्त्रियों कों पीरों व संतों की मजारों पर जाने से रोक लगा दी।

सिकंदर लोदी की उपलब्धियाँ  

1504 ई० में आगरा नामक नगर की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।
सिकंदर लोदी स्वयं  फारसी भाषा का ज्ञाता था तथा ‘गुंलरुखी’ के उपनाम से फारसी में कविताएं लिखता था।
इसके समय में संस्कृत के कई ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद् हुआ। सिकन्दर लोदी के संरक्षण में उसके वजीर मियाँ भुआँ ने संस्कृत भाषा के औषधिशास्त्र के एक ग्रन्थ का तिब्बत-ए-सिकन्दरी या फरहंग-ए-सिकन्दरी नाम से फारसी में अनुवाद किया।
सिकंदर लोदी को ललित कलाओं में भी रुचि थी। उसके समय में संगीत पर लज्जत-ए-सिकन्दरशाही नामक ग्रन्थ की रचना हुयी जो भारतीय संगीत पर आधारित पहला फारसी ग्रन्थ है।
दिल्ली में अपने पिता बहलोल लोदी के मकबरे का निर्माण सिकन्दर लोदी ने करवाया था। 1505 ई० में  मिया भुऑ द्वारा निर्मित मोठ की मस्जिद (दिल्ली ) लोदी स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है।

मृत्यु 

21 नवम्बर, 1517 ई० को गले की बीमारी के कारण सिकंदर लोदी मृत्यु हो गयी।

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