स्मॉग टॉवर (Smog towers)

वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को दिशा निर्देश दिए गए है कि वह दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर प्यूरीफाइंग टॉवर (Purifying towers) या स्मॉग टॉवर (Smog towers) लगाने का खाका तैयार करे।

क्या हैं स्मॉग टॉवर ?

क्या है स्मॉग टॉवर स्मॉग टॉवर एक बहुत बड़ा एयर प्यूरीफायर होता है। यह अपने आसपास की गंदी वायु अंदर खींचता है और वायु में से गंदगी सोख लेता है और स्वच्छ वायु बाहर फेंकता है। यह स्मॉग टॉवर (Smog towers) सौर ऊर्जा पर कार्य करते हैं, टॉवर में लगे फिल्टर पीएम 2.5 और उससे बडे प्रदूषण कणों को साफ करने में सक्षम होते हैं।

भारत में हो रहा है तैयार स्मॉग टॉवर (Smog towers) 
दिल्ली स्थित एक स्टार्टअप कंपनी द्वारा 40 फुट लंबा स्मॉग टॉवर (Smog towers)  तैयार किया गया है, से दुनिया के सबसे लंबे और सबसे मजबूत प्यूरीफायर के लिए पेटेंट मिला है। यह स्मॉग टॉवर (Smog towers)  अपने 3 Km के दायरे में रह रहे लगभग 75,000 लोगों को स्वच्छ हवा दे सकता है। इस स्मॉग टॉवर (Smog towers) में प्रति दिन 3.2 करोड़ घन मीटर की हवा को स्वच्छ करने की क्षमता है।

Note : इस स्मॉग टॉवर  (Smog towers) को करीन सिस्टम्स (Karen Systems) नामक कंपनी द्वारा विकसित किया गया है, जिसके सह संस्थापक पवनीत सिंह पुरी है।

ऐसे हुआ तैयार स्मॉग टॉवर (Smog Tower)

सर्वप्रथम नीदरलैंड्स के डैन रोज़गार्टर द्वारा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सहायता से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्यूम क्लीनर (Smog Tower) तैयार किया। वर्तमान में इन वैक्यूम क्लीनर (Smog Tower) का प्रयोग नीदरलैंड से लेकर चीन और पोलैंड तक किया जा रहा हैं।

सबसे पहले चीन द्वारा वायु प्रदूषण को काम करने के लिए स्मॉग टॉवर (Smog towers) का पहला प्रोटोटाइप चीन के बीजिंग शहर में स्थापित किया गया। इसके सफल परिक्षण के बाद उसे चीन के तियांजिन और क्राको शहर में भी लगाया गया।

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